जयपुर : 13 जनवरी ; चदंरभान सोलंकी /अल्फ़ा न्यूज इंडिया ;—— सात साल की मासूम दूसरी क्लास में पढ़ती थी। पिता पढ़ा-लिखाकर उसके अच्छे भविष्य की योजना बनाते थे और मां संक्रांति पर उसका पसंदीदा खाना बनाकर खिलाती थी। कल न तो इस घर में खाना बनेगा और न ही पतंगबाजी होगी। दिखेगा तो सिर्फ गम। क्योंकि चाइनीज मांझे से होने वाली पतंगबाजी ने इस घर की खुशियों को गम में बदला है।
जानिए क्या है पूरी घटना…
जेएलएन मार्ग स्थित लाल बहादुर नगर निवासी महंत प्रमोद दाधीच का घर, जो ठीक तीन साल पहले संक्रांति के दिन बेटी चंचल को चाइनीज मांझे की वजह से खो चुका है।
चाइनीज मांझे से चंचल की जान जाने पर उन्होंने गवर्नमेंट के खिलाफ केस दायर किया है, जिसके न्याय का इंतजार चंचल को आज भी है। यही कारण है, कि उसके पिता ने उसकी अस्थियां विसर्जित नहीं की हैं। पिता प्रमोद का कहना है, जिम्मेदार लोगों को सजा मिलने के बाद ही अस्थियां विसर्जित करूंगा। अस्थियों की पूजा और कोर्ट का चक्कर ;—परिवार का कहना है, चंचल की अस्थियां न्याय मांग रही हैं। परिवार रोज अस्थि कलश की पूजा करता है। कल भी पूजा होगी और हर पूजा में जिम्मेदारों की सजा की कामना की जाएगी।
न्याय मिलने पर ही चंचल की आत्मा को शांति मिलेगी। परिवार की परेशानी यहीं नहीं थमती है। केस दायर होने के बाद भी सिर्फ प्रमोद ही कोर्ट के चक्कर लगाते हैं। तारीख पर जिम्मेदार तो आते ही नहीं हैं। ऐसे हुआ था हादसा ;—-संक्रांति के ही दिन दोपहर के समय चंचल पिता के साथ मोटरसाइकिल पर टोंक रोड होते हुए घर जा रही थी। तभी चाइनीज मांझे से उसकी आधी गर्दन कट गई, जिससे वह बेहोश हो गई।
अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया गया। प्रमोद कहते हैं, क्या सड़क पर चलना हमारा कसूर था !चाइनीज मांझा बेचने और उपयोग करने वालों पर कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है। केस भी इसलिए दायर किया, कि हमारी तरह किसी और परिवार की खुशियां गम में न बदले।