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जानिए (वास्तु अनुसार) सकारात्मक उर्जा मिलें उसके लिए किस दिशा में बैठकर किस काम को करें–

प्रिय पाठकों/मित्रों, वास्तुविद(वास्तुशास्त्री) पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की प्रत्येक व्यक्ति का अपना एक अलग आभामंडल होता है। आभामंडल का अर्थ है हमारे शरीर के आसपास रहने वाली अदृश्य ऊर्जा। यही ऊर्जा समाज और घर-परिवार में हमारी अच्छी या बुरी छबि निर्मित करती है। जिस प्रकार इंसान का आभामंडल होता है, ठीक उसी प्रकार हमारे घर का भी आभामंडल होता है। यदि आपके घर का आभामंडल सकारात्मक और शुभ होगा तो समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है। यदि घर में नकारात्मक ऊर्जा रहेगी तो आभामंडल भी बुरा असर दिखा सकता है। इसी वजह से घर में ऐसी बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिससे घर के आभामंडल से हमें भी सकारात्मक ऊर्जा मिलती रहे।वास्तु के कुछ आधारभूत नियम हैं, जिन्हें अपनाकर आप अपने घर का सुख-चैन लौटा सकते हैं। इसके लिए आपको अपने घर की साज-सज्जा में कुछ आमूलचूल परिवर्तन करना होगा।   


वास्तु विज्ञान के अनुसार इस तरह की परेशानी का कारण नकारात्मक ऊर्जा है। मकान के किसी कमरे में अकेले जाने या उस कमरे में सोने से डर लगने का कारण भी है। परिवार में अक्सर खींचातानी चलती रहती है तो इसका कारण भी नकारात्मक ऊर्जा हो सकती है। वास्तुविज्ञान में कुछ उपाय बताए गए हैं जिनसे नकारात्मक ऊर्जा को आसानी से नष्ट किया जा सकता है। इन उपायों को आजमाएं और घर में सुख समृद्घि लाएं।
 

वास्तुविद(वास्तुशास्त्री) पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की  हमारा कार्यक्षेत्र दुकान, शोरूम हो या हमारा ऑफिस हो, उस जगह का प्रवेश द्वार और अंदर की साज-सज्जा वहां की तरंगों को प्रभावित करती हैं जिसके फलस्वरूप हमें जीवन में, हमारे कार्यों में हमें सकारात्मकता और नकारात्मकता दिखाती हैं। जैसे दक्षिण और पश्चिम दिशा में प्रवेश द्वार खाद्य और मनोरंजन व्यवसाय के लिए शुभ माना जाता है। 

यदि कार्य महिला वस्त्रों का हो तो दक्षिण-पूर्व की ओर का द्वार अच्छा होता है। इसी त्रह यदि हमारा काम स्टेशनरी या पुस्त्क वगैरह का हो तो हमें अपना प्रवेश -द्वार पश्चिम की ओर राना लाभप्रद रहेगा। इस काम की दुकानों में बैठकर व्यापार करते वक्त हमारा मुंह उत्तर या पूर्व दिशा की ओर हो तो बेहतर होगा।

तैयार माल दुकान में उत्तर –
पश्चिम की ओर राना वास्तु के अनुसार सही माना जाता है। वहीं दुकानों और शोरूम में हल्के रंगों का उपयोग बेहतर होता है। हमारे कार्यस्थल पर भी पूजा का स्थान बहुत् महत्वपूर्ण होता है, इसीलिए पूजास्थल हमेशा उत्तर-पूर्व में होना चाहिए। साथ ही नित्य ही हमें कार्यस्थल की नित्य साफ-सफाई और गूगल-कपूर  जलानी चाहिए। इससे वहां पर सकारात्मक तरंगें आती हैं। अगर आप दुकान पर बैठते हैं तो मालिक का काउंटर भी उत्तर या पूर्व दिशा में ही होना चाहिए। 

वास्तुविद(वास्तुशास्त्री) पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की  यदि हमारा कार्यस्थल ऑफिस है तो यहां पर हल्के रंगों का ही प्रयोग करना चाहिए।
ये हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है। यों कि रंग और बाकी चीजें भी हमारे जीवन को बहुत प्रभावित करती हैं। 

वास्तुविद(वास्तुशास्त्री) पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की यदि हमारा ऑफिस बडा है तो हम वहां चमकीले रंगों का प्रयोग कर सकते हैं, वहीं अगर ऑफिस छोटा है तो वहां हल्के और पेस्टल रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए। ऑफिस में अगर हमारा केबिन दक्षिण या पश्चिम दिशा की ओर है तो भी यह लाभकारी होता है। ऑफिस में कभी भी मुख्य द्वार की ओर पीठ करके नहीं बैठना चाहिए। अगर ऐसा है तो अपनी कुर्सी के पीछे पर्वत् या पहाड का चित्र लगाएं। अगर अपनी फोटो लगानी हो तो दक्षिण दिशा की त्रफ लगाएं। ऑफिस या दुकान में पानी की व्यवस्था उत्तर-पूर्व की ओर होना चाहिए। ध्यान रहे प्रवेश द्वार के आस-पास का क्षेत्र पूर्ण रूप से साफ होना चाहिए। इन कुछ बातों को ध्यान में राकर आप अपने जीवन में सकारात्मकता ला सकते हैं।

जानिए कैसे दूर करें नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव– 


वास्तुविद(वास्तुशास्त्री) पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की  आपके घर में ,आप पर ,परिवार पर नकारात्मक उर्जा अर्थात नुक्सान और क्षति देने वाली ऊर्जा का प्रभाव हो तो उन्हें अपने अन्दर ,परिवार में ,घर में सकारात्मक ऊर्जा बढाकर हटाया जा सकता है ,,नकारात्मक ऊर्जा घर के अँधेरे हिस्सों में हो सकती है,व्यक्ति पर हो सकती है ,परिवार पर हो सकती है ,पित्रदोष ,कुलदेवता/देवी दोष ,स्थान दोष [भूमि में दबी,श्मशानिक क्षेत्र ,बड़े वृक्षीय क्षेत्र ],क्षेत्र दोष ,वास्तुदोष ,अभिचार कर्म ,हत्या आदि के कारन हो सकती है ,खुद आकर्षित होकर आई हो सकती है ,अक्सर इनका पता नहीं चलता ,पर इनके प्रभाव से उन्नति रूकती है ,तनाव-क्लेश होता है ,आया-व्यय की असमानता उत्पन्न होती है ,बचत संभव नहीं होता क्योकि ये किसी न किसी प्रकार असंतुलन उत्पन्न करते रहते हैं और अपना हिस्सा लेते रहते हैं ,रोग-व्याधि बढाते हैं ,दुर्घटनाये देते हैं,मांगलिक कार्यों ,पूजा पाठ में अवरोध आता है ,कोई काम ठीक से सफल नहीं होता ,परिवार में मतभेद -उत्पात रहता है ,संताने बिगड़ने लगती हैं ,भाग्य कुछ और कहता है और होता कुछ और है ,अक्सर यह इतनी धीमी तरीके से अथवा इस प्रकार से होता है की व्यक्ति को कारण समझ में नहीं आता और वह भाग्य का दोष समझता रहता है ,वह किंकर्तव्यविमूढ़ सा देखता रहता है ,,किन्तु जब इनका प्रभाव समाप्त होता है तेजी से उन्नति-खुशहाली आती है तब उसे समझ में आता है की काश पहले ही हम यह सब कर देते |नकारात्मक ऊर्जा हटाने के लिए और सकारात्मक ऊर्जा वृद्धि के लिए निम्न बिन्दुओं पर ध्यान देना चाहिए |

[१] वास्तुविद(वास्तुशास्त्री) पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की नकारात्मक ऊर्जा हटाने के लिए सर्वप्रथम वास्तुदोष पर ध्यान देकर उसके उपचार का उपाय कर घर में धनात्मक ऊर्जा बढ़ानी चाहिए ,इससे किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा को घर में दिक्कत होने लगती है और उसका बल कम होता है ,,आपके घर के आसपास या ऊपर किसी बड़े वृक्ष की छाया से भी नकारात्मक ऊर्जा की वृद्दि हो सकती है ,इस प्रकार की शक्तियों को कुछ वृक्षों के पास शांति मिलती है अतः ये वहां रहना पसंद करती है और मनुष्यों को वहां से हटाने का प्रयास कर सकती है ,वास्तु दोष आदि के लिए वास्तु पूजा ,कुछ अभिमंत्रित वस्तुओ को दबाना ,फेंगसुई की वस्तुओं का प्रयोग ,भारतीय वास्तु निदान प्रयोग लाभप्रद होते है ,कभी कभी विशिष्ट समयों पर हवन आदि करते रहने से सकारात्मकता बढती है |मकान आदि से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के लिए सूर्य का सुबह का प्रकास कमरों में पहुचना लाभदायक होता है ,ऐसी व्यवस्था की जाए की हर कमरे में प्रकाश की प्राकृतिक व्यवस्था हो और हवा आदि आ जा सके तो नकारात्मक ऊर्जा अपने आप कम हो जाती है |
[२] वास्तुविद(वास्तुशास्त्री) पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की  कुलदेवता /देवी की पूजा यथोचित विधि से और यथोचित समय पर हो रही है की नहीं यह देखना चाहिए ,उनका पता न हो तो पता लगाने का प्रयास करना चाहिए ,,न पता लगे तो घर में शिव परिवार की पूजा में वृद्धि कर देनी चाहिए ,क्योकि ९९ %कुलदेवी/कुलदेवता किसी न किसी रूप से शिव परिवार से जुड़े होते हैं या इनके रूप होते है ,शिव परिवार से सम्बंधित देवी-देवता पृथ्वी और प्रकृति की मूल ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करते है और उत्पत्ति-संहार -सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होते हैं ,अतः इनकी आराधना सभी कुलदेवता/देवी की अपूर्णता पूर्ण कर देती है ,,इस हेतु विशिष्ट सिद्ध साधक से अभिमंत्रित यन्त्र ,मूर्ति अथवा शिवलिंग आदि ले कर स्थापित किये जा सकते है ,अथवा धारण किये जा सकते हैं ..काली -महाविद्या-दुर्गा-गणेश-शिव की विशिष्ट पूजा सभी प्रकार से सुरक्षा प्रदान करती है |
[३] वास्तुविद(वास्तुशास्त्री) पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की  तीसरे बिंदु पर ध्यान देना चाहिए की घर में पित्र दोष तो नहीं है ,पित्र दोष होने पर अपने कुछ पित्र जो अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए हों वे अपनी इच्छाओं की पूर्ति भी परिवार से चाहते हैं ,सामान्य मृत्यु वाले भी परिवार के प्रति दृष्टि रखते हैं और उन्हें उचित सम्मान न मिलने ,उन्हें याद न करने ,संस्कारों के विरुद्ध कार्य करने से वे भी बाधाएं उत्पन्न करते हैं ,,सबसे बड़ी समस्या इनके साथ जुड़ने वाली दूसरी शक्तियां उत्पन्न करती हैं ,जिन्हें इस परिवार से कोई लगाव नहीं होता क्योकि ये दुसरे परिवारों से सम्बंधित होती हैं और मित्रता वश इस परिवार के पितरों से जुडी होती हैं ,क्योकि इन्हें इस परिवार से लगाव नहीं होता अतः अपनी सभी अतृप्त इच्छाएं ये इस परिवार से पूर्ण करने का प्रयास करते हैं ,और सीधे परिवार और घर को प्रभावित करते हैं ,चुकी इस परिवार के पित्र खुद असंतुष्ट होते हैं अतः उन्हें ये नहीं रोकते ,,अतः पित्र दोष न रहे यह सदैव ध्यान रखना चाहिए |
[४] .वास्तुविद(वास्तुशास्त्री) पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की  नकारात्मक ऊर्जा आपके साथ कभी आपकी गलती से भी लग सकती है ,राह चलते किसी का उतारा हुआ है और आप प्रथमतः उसे लांघ देते हैं तो यह आपके साथ लग सकती है ,ऐसे उतारे या विशिष्ट स्थान-चौराहे आदि पर राखी गयी पूजन सामग्री ,फूल-माला-सिन्दूर-नीबू-अंडा-पिन आदि को छेड़ देने पर भी प्रभावित रहने की सम्भावना रहती है ,कभी भूलवश किसी मजार-कब्र ,समाधि ,चौरा ,पीठ आदि पर थूक देने या मूत्र त्याद आदि आसपास कर देने पर भी उससे सम्बंधित शक्ति रुष्ट हो आपके साथ लग सकती है और परेशान कर सकती है |अतः ऐसे स्थानों पर सावधानी बरतनी चाहिए और ऐसी समस्या के लिए अच्छे जानकार से सलाह लेनी चाहिए और निराकरण का उपाय करना चाहिए |इनसे बचने के लिए उग्र शक्ति की ताबीज-यन्त्र बहुत मददगार होता है जिसके प्रभाव से सामान्यरूप से ऐसी शक्तिया प्रभावित नहीं कर पाती ..
[५] वास्तुविद(वास्तुशास्त्री) पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की  कभी नकारात्मक ऊर्जा किसी की सुन्दरता ,बलिष्ठता से भी आकृष्ट हो सकती है ,अथवा अपनी अतृप्त ईच्चायें पूर्ति के लिए भी व्यक्ति को निशाना बना सकती हैं ,अक्सर ऐसे मामलों में कुवारी अथवा नवविवाहिता महिलायें,बच्चे शिकार होते हैं ,यह नकारात्मक शक्तियां अधिकतर आत्माएं होती है जो अपनी अतृप्त इच्छाएं पूर्ण करने हेतु इन्हें शिकार बनाती हैं,कभी कभी यह बेहद शक्तिशाली भी होते हैं ,इसके उपचार के लिए अच्छे तांत्रिक की आवश्यकता होती है ,उग्र देवियों /शक्तियों के यन्त्र-ताबीज-पूजा से इन्हें हटाया जा सकता है |इन्हें गले-कमर-बाह में काले धागे,जड़े,ताबीज आदि धारण करने से इनसे बचाव होता है |  

[६] वास्तुविद(वास्तुशास्त्री) पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की  दुश्मन अथवा विरोधी भी तांत्रिकों आदि की सहायता से या स्वयं आभिचारिक टोटके और तंत्र क्रिया से अपने विरोधी पक्ष को परेशांन करते है और काफी क्षति कर सकते है ,यह आभिचारिक क्रियाएं वातावरण की अदृश्य नकारात्मक ऊर्जा को व्यक्ति पर प्रक्षेपित कर देती है ,इनमे कभी कभी आत्माओं को भी भेजा जाता है ,यद्यपि यह जरुरी नहीं होता ,पर यदि आत्मा ऐसी क्रिया से जुडी होती है तो मामला बेहद गंभीर हो जाता है क्योकि यह आत्मा बंधी होती है और खुद नहीं जा सकती जब तक की सम्बंधित तांत्रिक न चाहे ,यहाँ बेहद उच्च स्तर का साधक ही विरोधी तांत्रिक की क्रिया को काट कर यह समाप्त कर सकता है |सामान्य तांत्रिक अभिचार को घर में अभिमंत्रित जल छिडकने ,कवच आदि का पाठ करने ,गायत्री -काली -दुर्गा आदि के हवंन से रोका अथवा हटाया जा सकता है ,हवन-जल छिडकाव से सकारात्मक उर्जा प्रवाह बढ़ता है और इनका प्रभाव कम होता है |
[७] वास्तुविद(वास्तुशास्त्री) पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की  कभी कभी किसी जमीन में हड्डी-राख-कब्र-समाधि आदि दबी होती है और जानकारी के अभाव में व्यक्ति वहां मकान बनवा लेता है ,तब भी उस घर में नकारात्मक ऊर्जा की समस्या आ सकती है ,कभी के नदी-तालाब-कुआ-श्मशान के हिस्सा रहे भूमि में भी कुछ भी दबा हो सकता है जो घर में रहने वालो को प्रभावित करता है और रोग-शोक-विवाद-कलह-उत्पात-अशांति-उन्नति में अवरोध -दुर्घटनाओं के लिए उत्तरदाई हो सकता है ,ऐसे में जमीन लेने पर उसकी जांच करनी चाहिए ,बाद में समस्या लगने पर अच्छे जानकार की मदद लेनी चाहिए ,तंत्र में इसके इलाज हैं ,उस मकान में ५ लाख महामृत्युंजय अथवा शतचंडी अथवा बगलामुखी अनुष्ठान करवाकर इन्हें रोका और मकान को शुद्ध किया जा सकता है ,जमीन में अभिमंत्रित पलास की कीले ,मकान में अभिमंत्रित कीले ठोककर सुरक्षित किया जा सकता है और सकारात्मक ऊर्जा बढाई जा सकती है |कोसिस करनी चाहिए की ऐसे मकानों में अन्धेरा हिस्सा न रहे ,दिन का प्रकाश हर हिस्से तक पहुचे .
वास्तुविद(वास्तुशास्त्री) पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की  उपरोक्त तथ्यों पर ध्यान देते हुए व्यवस्था करने पर नकारात्मक ऊर्जा को नियंत्रित किया जा सकता है फिर भी यदि इनका प्रभाव आ ही जाए तो घर-परिवार -व्यक्ति पर से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव हटाने के लिए सकारात्मक शक्तियों का प्रभाव बढ़ाना चाहिए, अच्छे जानकार की मदद लेनी चाहिए ,कोई भी दैवीय शक्ति जो मांगलिक हो उसका प्रभाव बढ़ाने से इन नकारात्मक शक्तियों की ऊर्जा का क्षरण होता है और इन्हें कष्ट होता है अतः ये पलायन करने लगते हैं ,उग्र और मांगलिक दैवीय शक्तियां यहाँ अधिक लाभदायक होते हैं यथा दुर्गा-काली-बगलामुखी-हनुमान आदि ,इनके पूजा-अनुष्ठान-यन्त्र प्रयोग-हवन आदि से नकारात्मक शक्तिया शीघ्र हटती हैं |  

घर में बेकार, टूटा-फूटा या जंग लगा सामान एकत्र नहीं करना चाहिए। खासकर बंद पड़ी घडि़यों व टूटी मूर्तियों का घर में होना वास्तु के अनुसार अच्छा नहीं माना जाता है। 
वास्तु की भाषा में खुला-खुला घर व्यक्ति के खुले विचारों का द्योतक माना जाता है। अत: आपका घर जितना हवादार व खुला होगा उतनी ही सकारात्मक ऊर्जा आपके घर में प्रवेश करेगी।
खिड़कियों को चौबीस घंटे में से कम से कम पच्चीस मिनट के लिए जरुर खोलें ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा को प्रवेश करने का और नकारात्मक उर्जा को बाहर निकलने का रास्ता निकल पाएं।
उत्तर के कोण में तुलसी का पौधा लगाएं।
घर में पूजा घर में नियमित रूप से घी का दीपक जलाएं।
घर के मंदिर में देवी-देवताओं पर चढ़ाए गए फूल-हार दूसरे दूसरे दिन हटा देना चाहिए।
अनावश्यक वस्तु, सूखे पौधे या सूखे फूलों का गुलदस्ता निराशा बढ़ाते हैं। इसलिए इन्हें घर से बाहर कर दें।
घर में ख़राब विद्युत उपकरण नहीं रखें। अगर ठीक नहीं हो सकते तो घर से बाहर कर दें।
नियमित साफ-सफाई नहीं होने से दीवारों व सामानों पर धूल-मिट्टी जम जाती है, जिससे घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है।
देवी-देवताओं की मूर्तियां उपहार में देना व घर में शो-पीस के रूप में सजाना भी ठीक नहीं है। 
खाली पड़े व बिखरे बर्तन घर के खालीपन के द्योतक होते हैं। सजावट के लिए हम मिट्टी व टेराकोटा के कई प्रकार के बर्तनों, घड़ों आदि का उपयोग करते हैं। इन्हें घर में सजाना तो ठीक है परंतु यहाँ-वहाँ लुढ़के व खाली पड़े बर्तन वास्तु में अच्छे नहीं माने जाते। 
घरों में अनावश्यक फर्नीचर और बड़ी-बड़ी आकृतियाँ रखना सकारात्मक ऊर्जा के संचार में बाधा उत्पन्न करता है। अत: घर में केवल उपयोगी वस्तुएँ ही रखें।  
घर की नियमित साफ-सफाई नहीं होने से दीवारों व सामानों पर धूल-मिट्टी जम जाती है, जिससे घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है। 

आर्टिकल मैं लिखने वाले के यह अपने विचार हैं (अल्फा न्यूज़ इंडिया का इस आर्टिकल पे कोई स्पस्टीकरण X नहीं है )

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