अनपढ़ मालामाल और आधुनिक भारत का शिक्षित कगांल,बेरोजगार व् नशेड़ी . आखिर क्यों

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कुरुक्षेत्र ; 3 मार्च ; राकेश शर्मा ;——-भ्रष्टाचार एक ऐसी दीमक है जो देश की जड़ो को दिन रात खाये जा रही है ओर मंत्री से लेकर संत्री तक इसको जड़ से खत्म करने की दलीले देते रहते है आज देश के विकास की गति मेें सबसे बड़ी बाधा बनता जा रहा है भ्रष्टाचार चुनावी माहौल के दौरान इस भ्रष्टाचार के मुददे को पुरे जोर शोर से बढी बढ़ी जनसभाओं में जनता के बीच खत्म करने के दावे किये जा रहे है लेकिन ये आम बात है क्योंकि चुनाव भी जीतना है क्योंकि आज सब जानते है कि भ्रष्टाचार ही देश के सामने सब से बड़ा मुददा है जिससे कोई भी वर्ग अछुता नही है ओर मजे की बात यह ही भ्रष्ट लोग ही इसे खत्म करने की बात कह रहे है। भारत देश महान देश है जहंा हर कार्य को करने के लिए रिशवत ओर भ्रष्टचार साथ साथ चलते है छोटे से लेकर बड़े कार्य को,सच को झुठ,नकली को असली बताने के लिए हर काम में रिशवतखोरी आज हमारे देश में भ्रष्टचार को मिटाने के लिए ना जाने कितने दावे किये जा रहे है लेकिन धरातल पर सच्चाई कुछ ओर ब्यान कर रही है ओर एक कड़वी सच्चाई ये भी कि चुनावी जनसभााओं से सता की कुर्सो हथियाने वाले सफेद पोश नेता भी इस कार्य में पूरी तरह लिप्त है जैसे की हम सब जानते है कि कोई भी सता की कुर्सी बैठ जाने के बाद ओर उससे पहले उसके पास क्या होता है लेकिन जैसे ही वह सत्ता में आता है तो करोड़ो का मालिक फिर उसे जनता की कोई जरूरत नही रहती आज देश में मंत्री से संत्री तक सब अपने अपने फायदे के दावं लगा रहे है ा ओर जनता बेबस लाचार होकर सब देख रही है?
यु तो अनेक कानुन बनाये गये ही भ्रष्टाचार व रिशवत को रोकने के लिए ना जाने कितने कानुन बनाये गये है लेकिन ये कानुन उस समय धरे धराये रह जाते है जब हम सही कार्य के लिए भी रूपये देने पड़े,जब अपने किसी सगे सम्बंधी के ईलाज के लिए अलग से रूपये देने पड़े,जब अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए डोनेशन देना पड़े, जब हमें नौकरी पाने के लिए मंत्री जी को मिठाई रूपी रिशवत देनी पड़े,आज हम कि मानसिकता पर ऐसा प्रभाव पड़ गया है कि हम सब जानने लगे है कि कोई भी काम बगैर रिशवत के नही होगा, आज अमीर आदमी ओर अमीर हो रहा है गरीब आदमी ओर गरीब होता जा रहा है ऐक ऐसी खाई जो शायद कभी भी नही भर सकती। 
पैसा होना चाहिए तरीका कोई भी ऐसी सोच बन गयी है हमारी देश को बचाने वाले ही देश को दोनों हाथों से लुट कर खा रहे है ओर अपना केवल पांच साल में वो सब हासिल कर लेते है जिसे पाने के लिए आम आदमी की जिन्दगी गुजर जाती है कमाने में आखिर कब ऐसा कानुन आऐगा कि हम सब जान पाएगेे कि हमारे देश के रखवालों के पास ईतना पैसा कहां से आया कौन सा पद पाकर उनका इतना धन आर्जित किया है कहां से आएगा सरकारी बाबुओं के पास इतना धन कि वो एक बार सरकार के हुए तो सरकार ने ही उन्हे शुन्य से शिखर तक पहुंचा दिया। देश का युवा पुछना चाहता हमारे देश के प्रतिनिधियों से कि हमारा क्या कसुर है कि हम पढ़ लिख भी बेरोजगार है ओर आप अनपढ़ भी मालामाल है?

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