दूल्हा व दुल्हन फेरो के वक्त कलयुग में अग्नि को साक्षी मानकर मौखिक वचन देने की परम्परा को छोड़ कर एफिडैविट दे -बेलन ब्रिगेड

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लुधियाना  : 5 मार्च ; अजय पाहवा  ;—- बेलन ब्रिगेड की तरफ से महिलायो के अधिकारो के हित के लिए एक प्रेस कान्फ्रेन्स का आयोजन सर्कट हाउस में किया। 

इस अबसर पर संस्था की राष्ट्रीय अध्य्क्ष आर्किटेक्ट अनीता शर्मा ने कहा कि 18 वी सदी में महिलाये घर में रह कर ही काम करती थी सारी जिंदगी घूंघट में निकाल देती थी और उन्हें एक मिनट  भी काम से फुर्सत नहीं मिलती थी कुंए से पानी लाना, लकड़ी से चूल्हे पर खाना बनाना, कच्चे घरो को लीपना पोतना, पूरे परिवार की देखभाल करनी और 8 -10 बच्चो को जन्म देना और उनका पालन पोषण करना होता था। इतिहास गवाह है कि पुराने वक्त में भी महिलाये मर्दो से ज्यादा काम करती थी। मर्द तो केवल जंगलो में दिन भर घूम कर फल और जानवरो का शिकार करके लाते थे।  

आज 21 वी शताब्दी में सब कुछ बदल गया है महिलाऐं आज आधुनिक तौर के तरीके से घर का काम कर रही है और घरो की चार दिवारी से बाहर आ चुकी है लेकिन दुर्भाग्य से आज भी नारी को मर्दो की गुलामी में जीवन जीना पड़ रहा है महिलायो को मर्दो की सलाह से ही काम  करना पड़ता है यहाँ तक की बच्चे की माँ बंनने के लिए भी नारी को पति की स्वीकृति जरूरी है यदि पति नहीं चाहेगा तो एक औरत अपनी इच्छा से माँ भी नहीं बन सकती उसे गर्भ रखना है या गर्भपात कराना है यह भी मर्दो की इच्छा पर ही निर्भर करता है। 
अनीता शर्मा ने कहा कि अदालतों में महिलायो को सबसे ज्यादा जलील होना और धक्के खाने पड़ते है घरेलू हिंसा तलाक के मामलो में एक औरत को कई कई वर्ष इन्साफ नहीं मिलता।  वे अपने बच्चे को गोद में उठाये अपना व बच्चे का खर्चा लेने के लिए अदालतों व वकीलो के चक्कर काट काट कर अपनी जिंदगी को नरक बना लेती है और उन्हें कई कई साल तक तलाक के मामले में खर्चा नहीं मिलता सारा केस वकीलो की बहस और जज की नासमझी की भेंट चढ़ जाता है और जिंदगी बर्बाद हो जाती है एक माँ और बेटे की। इन तलाक के मामलो में एक अबला नारी की जो दुर्दशा भारतीय अदालतों में इन्साफ के लिए होती है उस पर आज तक किसी ने ध्यान नहीं दिया। 
मैडम शर्मा ने कहा कि शादी से पहले लड़के के माँ बाप रिश्तेदार कहते है कि लड़का हज़ारो रूपए कमाता है अपना घर है फैक्टरी है लेकिन जब तलाक की नोबत आती है तो लड़के के घर वाले उसे बेदखल कर देते है अब लड़का कोई काम नहीं करता क्योकि असल में वह अपनी पत्नी व बच्चे को कोई खर्च नहीं देना चाहता।  शादी से पहले लाखो करोड़ो वाला दूल्हा अपने आप को वकील साहेब की मदद से जज के सामने कंगाल घोषित कर  देता है।  
हज़ारो वर्ष पहले सतयुग में वेदों के काल हिन्दू लोग शादी में फेरो के वक्त दूल्हा व दुल्हन अग्नि को साक्षी मान कर एक दुसरे को वचन देते थे और जिदगी भर उसका पालन करते थे और आज कलयुग में यहां लोग झूठ फरेव में जीवन जी  रहे है माँ बाप भाई बहन एक दुसरे को धोखा दे रहे है और यही  शादी में फेरो के वक्त मौखिक वचन देने वाले पति पत्नी शादी के बाद मुकर जाते है लड़का व लड़की एक दुसरे पर दोष लगाते है ।  इसलिए अब शादी के वक्त फेरो के समय कलयुग में  मौखिक वचन देने की परम्परा को छोड़  कर दूल्हा व  दुल्हन एफिडैविट पर अपने वचनों पर  साइन करे ताकि शादी के बाद तलाक की नोबत आने पर अपने वचनों से मुकरे नहीं। 
अनीता शर्मा ने कहा कि नारी जो माँ है बेटी है बहू है बहन है लेकिन पुरुष प्रधान समाज में उसको आज भी भोग की ही वस्तु समझा जाता है हर कोई इन्सान उसको अपने वश में करने की युक्त लगाता रहता है यही कारण है कि नारी की सोच ज्ञान ममता सहनशीलता मान मर्यादा का लोग गलत अर्थ लगाते है, उसका नाजायज फायदा उठाते है और उसे कमजोर समझते है। दूसरी तरफ नारी कमजोर नहीं है  9 महीने तक बच्चे को अपने पेट में पाल कर और बच्चे के जन्म के समय वह अपनी आँखों के सामने ही बच्चे को जन्म देने के लिए अपना पेट चिरवा लेती है  इससे बड़ा हिम्मत और बड़े जिगर वाला कौन सा प्राणी होगा।  
जो मर्द शराबी, नशेड़ी, कामचोर, जुआरी व रंडीबाज है और घर में माँ बाप, पत्नी व बच्चो को खर्च नहीं देता इस हालात में  मर्द के इस निकम्मेपन का खामियाजा भी  औरत को भुगतना पड़ता है। 
पुरूष समाज ताकतवर है क्योकि वह रुपये कमाता है नारी रुपया नहीं कमाती इसलिए कमजोर है और घर के खर्चे के लिए मर्दो के मुँह की तरफ देखती है। अब वक्त आ गया है नारी समाज को जागना पड़ेगा अपने हक़ के लिए लड़ना होगा उन्हें खुद रोज़गार करना होगा रुपया कमाना होगा ताकि महिलाओं को घर परिवार चलाने के लिए मर्दो की मोहताज न होना पड़े। 
नवकिरन वूमेन वेलफेयर एसोसिएशन व बेलन ब्रिगेड ने महिला सशक्तिकरण तथा उन्हें रोज़गार उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया है ताकि किसी भी महिला को पुरूषों की कमाई से घर परिवार चलाने के लिए मुँह न ताकना पड़े।
शादी से पहले लड़की वाले जिस लड़के से शादी हो उसके माँ बाप से लड़के के कारोबार व उसकी प्रोपेर्टी चल अचल का एफीडैविट ले ताकि तलाक के वक्त पत्नी व बच्चे को खर्चा देने से न भागे और लड़के व लड़की का मेडिकल भी शादी से पहले होना चाहिए। 
इसलिए संस्था की तरफ से अदालतों में लटके हुए महिलायो के तलाक व खर्चे के केसों को निपटाना। नशे से बर्बाद हो रहे घर परिवार और महिलायो को इस से बचाना।  हर औरत खुद काम करे रुपया कमाये इसलिए हर वर्ग की  महिलायो को रोज़गार व नौकरी उपलब्ध कराना हमारा उद्देश्य है। 
इस अवसर पर कोमल शर्मा, शोभा दीदी, रीमा, शिहान पंकज साहनी, हेम लता, जगदीश कौर आदि ने अपने विचार रखे।    

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