अगर दोस्त यार हैं तो जिंदगी के हर पल खुशियों से हैं गुलजार :—आरती शर्मा

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चंडीगढ़:- 08 जनवरी:- आरके विक्रमा शर्मा हरीश शर्मा करण शर्मा प्रस्तुति:—-+ श्रीमती आरती शर्मा समाज सेवा क्षेत्र में और हिंदुत्व की ज्योति जगाने में, हिंदुत्व का प्रचार प्रसार करने में अग्रणी भूमिका निभाने वाली समाज सेविका  अपने बहुत ही बिजी शेड्यूल से समय निकालकर समाज कल्याण के लिए और समाज के मनोरंजन के लिए लेखनी चलाने का शौक भी बखूबी पूरा करती हैं। इस मर्तबा शुद्ध लेख पाठकों के लिए आरती शर्मा की यह कविता प्रस्तुत है।।

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पुराने साथियों को सताते रहिये,

प्रेम और क्रोध भी जताते रहिये।

कभी हाले दिल ही बताते रहिये,

कभी अपनी खबर सुनाते रहिये।

छठे छमाही समय निकाल कर,

दोस्तों की डोर बेल दबाते रहिये।

 

 

कभी अपने घर की देहरी लांघ,

दोस्तों के चक्कर लगाते रहिये।

अपने छोटे दरबे के बाहर झांक,

साथ में सुख दुःख सुनाते रहिये।

जब मन अनमना सा महसूस करे,

दोस्तों की डोर बेल दबाते रहिये।

 

कभी रखके हाथ उनके कंधों पर,

दोस्ती का अहसास कराते रहिये।

हरदम औपचारिकता में न जियें,

बिना मतलब भी बतियाते रहिये।

जब करने को कोई काम न सूझे,

दोस्तों की डोर बेल दबाते रहिये।

 

टूटे दिलों को आस दिलाते रहिये।

किस्मत के रूठों को हंसाते रहिये।

जीवन से मायूस हो चुके दिलों में,

आशाओं के दीपक जलाते रहिये।

जब दिल्लगी करने का मन करे,

दोस्तों की डोर बेल दबाते रहिये।

 

ऐसा न हो कि मन में पछताते रहें,

वक्त को भी मुट्ठी में फंसाते रहिये।

मिले जब भी तुमको खाली समय,

प्रियजनों को गले से लगाते रहिये।

करने को कुछ भी न सूझ रहा हो,

दोस्तों की डोर बेल दबाते रहिये।।

 

*🙏🙏🙏

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