माघ माह-महात्म्य सनातन धर्म समाज में है व्याप्त 

Loading

चंडीगढ़:-06 जनवरी 23:- आरके विक्रमा शर्मा/ हरीश शर्मा+करण शर्मा/ अनिल शारदा/ राजेश पठानिया /अश्विनी शर्मा प्रस्तुति—-

सनातनी कलैंडर के अनुसार पौष माह के बाद वर्ष का 11 वां महीना माघ मास प्रारंभ होता है। *पौष पूर्णिमा के बाद यह माह प्रारंभ होता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार यह माह 7 जनवरी 2023 शनिवार से प्रारंभ हो रहा है।* 

*माघ माह का महत्व* 

माघ माह में गंगा के तट पर वार्षिक कुंभ मेले का आयोजन होता है। इस महीने में गंगा नदी में स्नान और दान का खास महत्व है। इस माह में मां गंगा, सूर्यदेव, भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष फल मिलता है। इस महीने में गंगा स्तोत्र और गंगा स्तुति का पाठ करना भी बहुत शुभ माना गया है।

*दान*

माघ मास में दान करने का बहुत महत्व है। पुराणों में अनेकों दानों का उल्लेख मिलता है जिसमें अन्नदान, विद्यादान, अभयदान और धनदान को माना गया है, यही पुण्‍य भी है। दान से इंद्रिय भोगों के प्रति आसक्ति छूटती है। मन की ग्रथियां खुलती है जिससे मृत्युकाल में लाभ मिलता। माघ मास में खिचड़ी, घृत, नमक, हल्दी, गुड़, तिल का दान व सेवन करने से महाफल प्राप्त होता है।

*स्नान*

माघ मास या माघ पूर्णिमा को संगम में स्नान का बहुत महत्व है। संगम नहीं तो गंगा, यमुना, गोदावरी, कावेरी, नर्मदा, कृष्णा, क्षिप्रा, सिंधु, सरस्वती, ब्रह्मपुत्र आदि पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। *प्रयाग में माघ मास के अन्दर तीन बार स्नान करने से जो फल होता है वह फल पृथ्वी में दस हजार अश्वमेघ यज्ञ करने से भी प्राप्त नहीं होता है। निर्णय सिंधु में कहा गया है कि माघ मास के दौरान मनुष्य को कम से कम एक बार पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए।* भले पूरे माह स्नान के योग न बन सकें लेकिन एक दिन के स्नान से श्रद्धालु स्वर्ग लोक का उत्तराधिकारी बन सकता है।

*खास बातें*

*कल्पवास :* माघ माह में कल्पवास करने का सबसे बड़ा पुण्य है। कल्पवास अर्थात कुछ काल के लिए या संपूर्ण माघ माह तक के लिए नदी के तट पर ही कुटिया बनाकर रहना और साधुओं के साथ व्रत, तप, उपवास, संत्संग आदि करना ही कल्पवास है। कल्पवास पौष माह के 11 वें दिन से माघ माह के 12वें दिन तक रहता है। कुछ लोग माघ पूर्णिमा तक कल्पवास करते हैं। कल्पवास से शरीर के सभी रोग और मन के सभी शोक समाप्त हो जाते हैं। ब्रह्मा, विष्णु, महादेव, रुद्र, आदित्य तथा मरूद्गण माघ मास में प्रयागराज के लिए यमुना के संगम पर गमन करते हैं।

*सत्संग*

माघ माह में मंदिरों, आश्रमों, नदी के तट पर सत्संग, प्रवचन के साथ माघ महात्म्य तथा पुराणों की कथाओं का आयोजन होता है।

*नाम और कथा दान*

सबसे उत्तम दान है *श्रीकृष्ण कथा और नाम का दान! हरि नाम संकीर्त्तन करना अति मंगलकारी है।*

*स्वाध्याय*

*स्वाध्यय के दो अर्थ है।* पहला स्वयं का अध्ययन करना और दूसरा धर्मग्रंथों का अध्ययन करना। स्वाध्याय का अर्थ है स्वयं का अध्ययन करना। अच्छे विचारों का अध्ययन करना और इस अध्ययन का अभ्यास करना। आप स्वयं के ज्ञान, कर्म और व्यवहार की समीक्षा करते हुए पढ़ें, *दिव्य ग्रंथो का स्वाध्याय मानो तो उन ग्रंथो के रचनाकार भक्तों से सहज सत्संग और मिलन हो जाना।*

*माघ मेला*

सदियों से माघ माह की विशेषता को लेकर भारत वर्ष में नर्मदा, गंगा, यमुना, सरस्वती, कावेरी सहित कई पवित्र नदियों के तट पर माघ मेला भी लगता हैं।

पुराणों में वर्णित है कि इस माह में पूजन-अर्चन व स्नान करने से नारायण को प्राप्त किया जा सकता है तथा स्वर्ग की प्राप्ति का मार्ग भी खुलता है।

महाभारत के एक दृष्टांत में उल्लेख है कि माघ माह के दिनों में अनेक तीर्थों का समागम होता है। वहीं पद्मपुराण में बताया गया है कि अन्य मास में जप, तप और दान से भगवान विष्णु उतने प्रसन्न नहीं होते जितने कि माघ मास में नदी तथा तीर्थस्थलों पर स्नान करने से होते हैं। मान्यता यह भी है कि माघ मास की पूर्णिमा को नदी स्नान और दान देने से सूर्य और चंद्रमा युक्त दोषों से मुक्ति मिलती है।

माघ मास में कुछ महत्त्वपूर्ण व्रत होते हैं, यथा– षटतिला एकादशी, तिल चतुर्थी, रथसप्तमी, भीष्माष्टमी, मौनी अमास्या, जया एकादशी, संकष्टी चतुर्थी आदि। 

इस मास में *बसंत पंचमी के पर्व* का विशेष महत्व है 

🚩 *श्री जी धर्मक्षेत्र* 🚩

🏵 *श्री बलदेव करूणा सदन* गाँव उगाला अम्बाला परिवार के लिए बसंत पंचमी का दिन बहुत महत्व रखता है

इस पावन दिन 🍃 *श्री राधा-रमण जी* की प्रत्यक्ष रूप मे सेवा प्राप्त हुई।

इस बर्ष *26 जनवरी* को *बसंत पंचमी* का पर्व है आप सभी *प्रथम पाट्य उत्सव* में सादर आमंत्रित है।

 

*विशुद्ध भक्ति मार्ग पर अग्रसर होते हुए किसी भी फल की कामना से कोई भी कर्म कांड/ व्रत नही करना चाहिए। केवल मात्र हमारे इष्ट देव का माह है, जानकर उनकी प्रसन्नता प्राप्त करनी है, इसी आनन्द में यह नियम किया जाना चाहिए। मूल रूप से उधेश्य भजन को बढ़ाना है, कर्म कांड याँ खाने पीने पर केंद्रित नही होना है। ऐसे अद्भुत मास में कोई नियम लीजिए! जैसे अधिक जप का, कुछ अधिक स्वाध्याय का, श्री धाम सेवन का, संकीर्त्तन का! इत्यादि! जो भी क्रिया हमे हमारे इष्ट के निकट लावै। वह इस महीने में अवश्य कीजिये। आनन्द हो जाएगा।*

💝 *श्री राधा कृष्ण जी*💝

माता-पिता आप हमारे❗️हम शरण में हैं आपकी‼️

🏵 *श्री बलदेव करूणा सदन* गाँव उगाला अम्बाला परिवार संदेश से साभार।🙏🌹जय जय श्री राधा-रमण जी🌹🙏

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

159100

+

Visitors