महामहिम राष्ट्रपति ने बीकानेर सौर ऊर्जा परियोजना की एसजेवीएन रखी आधारशिला*

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चंडीगढ़/जयपुर/जैसलमेर:—- 03 जनवरी:- आरके विक्रमा शर्मा/एडवोकेट विनीता शर्मा +चंद्रभान सोलंकी प्रस्तुति:—- भारत की महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज राजस्‍थान के जयपुर में एसजेवीएन की 1000 मेगावाट “बीकानेर सौर ऊर्जा परियोजना” की आधारशिला रखी।

इस ऐतिहासिक अवसर पर राजस्थान के महामहिम राज्यपाल कलराज मिश्र और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की  उपस्थि‍ति‍ रही।

यह परियोजना एसजेवीएन लिमिटेड द्वारा अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली अधीनस्‍थ कंपनी एसजेवीएन ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एसजीईएल) के माध्यम से निष्‍पादित की जा रही है।
एसजेवीएन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नन्‍द लाल शर्मा के अनुसार यह परियोजना राजस्थान के बीकानेर जिले के बांदेरवाला गाँव के समीप 5000 एकड़ एकमुश्त खरीदी गई भूमि पर विकसित की जा रही है । जो देश के सर्वाधिक सूर्य उपलब्‍धता क्षेत्रों में से एक है। परियोजना की निष्‍पादन लागत 5492 करोड़ रुपए है और इस परियोजना के लिए 44.72 लाख रुपए प्रति मेगावाट की वायबिलिटी गैप फंडिंग सहायता इरेडा द्वारा प्रदान की जा रही है।

शर्मा ने बताया कि यह परियोजना क्रमशः लगभग 150-200 और 800-1000 व्यक्तियों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित करेगी । यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने, हरित रोजगार सृजित करने और आस-पास के क्षेत्रों के समग्र विकास में मददगार होगी।
एसजेवीएन ने प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम योजना चरण-II, ट्रेंच-III (सरकारी उत्पादक योजना) के तहत यह 1000 मेगावाट क्षमता की बीकानेर सौर ऊर्जा परियोजना हासिल की है। परियोजना द्वारा उत्‍पादित विद्युत स्व-उपयोग या सरकार/सरकारी संस्थाओं द्वारा प्रत्‍यक्ष या वितरण कंपनियों (डिस्‍कॉम) के माध्यम से उपयोग के लिए होगी।

परियोजना की कमीशनिंग मार्च 2024 तक प्रस्‍तावित है। इस परियोजना की कमीशनिंग के पश्‍चात प्रथम वर्ष में 2454.55 मिलियन यूनिट का विद्युत उत्पादन होगा और 25 वर्षों की अवधि में लगभग 56838 मि.यू. संचयी विद्युत उत्‍पादन होगा। इसका अधिकतम उपयोग शुल्क 2.57 रुपए प्रति यूनिट तय किया गया है, जिससे उपभोक्ताओं को किफायती विद्युत प्रदान करने में सहायता मिलेगी।

शर्मा ने बताया कि यह बहुत ही गर्व की बात है कि एसजेवीएन की सबसे बड़ी सौर परियोजना की आधारशिला भारत के माननीय राष्ट्रपति द्वारा रखी गई और इस परियोजना की कमीशनिंग से भारत सरकार के वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। घरेलू स्तर पर निर्मित सौर फोटोवोल्टिक सेल और मॉड्यूल का उपयोग मेक इन इंडिया अभियान को बढ़ावा देगा। ग्रिड में मूल्यवान नवीकरणीय ऊर्जा जोड़ने के अलावा, परियोजना से उत्‍सर्जन में 27,85,077 टन कार्बन की भी कमी आएगी।

एसजेवीएन, भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत एक प्रमुख पावर सीपीएसई के पास लगभग 45000 मेगावाट का कुल परियोजना पोर्टफोलियो है और यह भारत के 13 राज्यों और नेपाल में 73 हाइड्रो, सौर, पवन और थर्मल परियोजनाओं को कार्यान्वित कर रहा है। साभार खबरे आनलाइन।।

 

 

 

 

 

 

 

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