चंडीगढ़:- 28 दिसंबर: आरके विक्रमा शर्मा /अनिल शारदा+ राजेश पठानिया प्रस्तुति जैसे गाड़ी को आयलिंग की बेहद जरूरत रहती है वैसे ही मानव शरीर को भी आयलिंग की सख्त जरूरत है। हमारा शरीर परमात्मा की अद्भुत देन है क्योकि गर्भ की उत्पत्ति नाभी के पीछे होती है और उसको माता के साथ जुडी हुई नाडी से पोषण मिलता रहता है और इसलिए मृत्यु के तीन घंटे तक नाभी गर्म बनी रहती है।
गर्भधारण के नौ महीनों अर्थात 270 दिन बाद एक सम्पूर्ण बाल स्वरूप बनता है। नाभी के द्वारा सभी नसों का जुडाव गर्भ के साथ होता है। इसलिए नाभी शरीर का एक अद्भुत भाग होता है।
नाभी के पीछे की ओर पेचूटी होता है। जिसमें 72000 से भी अधिक रक्त धमनियां स्थित होती है
नाभी में शुध्द घी, सरसो का तेल या जैतून का तेल लगाने से बहुत सारी शारीरिक दुर्बलता का उपाय होता है।
1. आँखों का शुष्क होना व नजर कमजोर होना और चमकदार त्वचा और बालों के लिये।
2. घुटने के दर्द के लिये।
3. शरीर में कमपन्न तथा जोड़ोँ में दर्द और शुष्क त्वचा के लिये।
4. मुँह और गाल पर होने वाले पिम्पल के लिये।
एक बेहतर उपाय रात को सोने से पहले तीन से सात बूंद राई या सरसों कि तेल नाभी में डालें और उसके चारों ओर डेढ ईंच में फैला देवें।
नाभी में तेल डालने का कारण क्योकि हमारी नाभी को मालूम रहता है कि हमारी कौनसी रक्तवाहिनी सूख रही है, इसलिए वो उसी धमनी में तेल का प्रवाह करती है।
बालक जब छोटा होता है और उसके पेट में जब दर्द होता था तब हम हींग और पानी या तेल का मिश्रण उसके पेट और नाभी के आसपास लगाते थे और उसका दर्द ठीक हो जाता था। नाभी पर तेल के उपयोग से लाभकारी फायदे हैं