अबोहर:–24 दिसंबर:– धर्मवीर शर्मा राजू प्रस्तुति:—कमाल है! कांग्रेस विरोधियों की बोलती बंद की नरेंद्र मोदी सरकार ने?आजादी के पहले से कांग्रेस पर जिन मुद्दों को लेकर कांग्रेस विरोधी निशाना साधते रहे हैं, पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार ने इन आठ वर्षों में उन कांग्रेस विरोधियों की बोलती बंद कर दी है?
ताजा खबर है कि…. मोदी सरकार ने संसद में कहा है कि- भारत और श्रीलंका के बीच रामसेतु के पुख्ता साक्ष्य नहीं हैं?
केंद्र के स्पेस मिनिस्टर जितेंद्र सिंह ने गुरुवार को सांसद कार्तिकेय शर्मा के रामसेतु पर पूछे गए सवाल का जवाब में कहा कि- जिस जगह पर पौराणिक रामसेतु होने का अनुमान जाहिर किया जाता है, वहां की सैटेलाइट तस्वीरें ली गई हैं, छिछले पानी में आइलैंड और चूना पत्थर दिखाई दे रहे हैं, पर यह दावा नहीं कर सकते हैं कि यही रामसेतु के अवशेष हैं!
यह पहला मौका नहीं है, जब मोदी सरकार ने कांग्रेस विरोधियों को सियासी आईना दिखाया हो, गौहत्या विरोधी कानून, स्वदेशी आंदोलन, हिंदी-अंग्रेजी, मंदिर-मस्जिद, मुस्लिम टोपी-शाल जैसे अनेक मुद्दों पर मोदी समर्थकों कांग्रेस विरोधियों को निराशा ही हाथ लगी है?
(19/12/ 2022) को- किसान ही नहीं, गौसेवक, श्रमिक, महिलाएं, छात्र संगठन, स्वदेशी आंदोलनकारी भी नाराज हैं? क्या 2024 में पीएम फेस बदलने की भूमिका बन रही है? में लिखा था….
देश की राजधानी दिल्ली में आरएसएस के संगठन भारतीय किसान संघ की किसान गर्जना रैली में मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक और तमिलनाडु समेत सात राज्यों के किसानों ने दिल्ली के रामलीला मैदान पर विशाल प्रदर्शन करके मोदी सरकार से नाराजगी दिखाई है?
यह पहला मौका है, जब मोदी सरकार के किसी करीबी संगठन ने ऐसा प्रदर्शन किया है, लिहाजा इसके राजनीतिक अर्थ-भावार्थ तलाशे जा रहे हैं?
क्या 2024 में पीएम फेस बदलने की भूमिका बन रही है?
दरअसल, मोदी सरकार से किसान ही नहीं, गौसेवक, श्रमिक, महिलाएं, छात्र संगठन, स्वदेशी आंदोलनकारी भी नाराज हैं, वजह….
एक- अच्छे दिन को लेकर जनता का बहुत खराब अनुभव रहा है.
दो- गौहत्या विरोधी कानून नहीं बनाने को लेकर गौसेवक सख्त नाराज हैं, क्योंकि यह सबसे पुरानी और प्रमुख मांग है.
तीन- चीन के साथ व्यापार जारी रहने को लेकर स्वदेशी आंदोलनकारी परेशान हैं, चीनी सामान के बहिष्कार का स्वदेशी आंदोलन ढेर हो गया है.
चार- महंगाई, रसोई गैस आदि को लेकर जो झूठे वादे किए गए थे, उनके कारण महिलाएं गुस्से में हैं.
पांच- बढ़ती बेरोजगारी युवाओं के लिए बहुत बड़ा सवालिया निशान है, लिहाजा छात्र संगठन भी खुश नहीं हैं.
छह- मोदी सरकार मजदूरों के बजाए, मालिको के हितों के लिए काम कर रही है, जिसकी वजह से श्रमिक संगठन भी नाराज हैं.
सात- सबसे बड़ा सवाल तो मध्यमवर्ग के सामने है, जो सबसे बड़ा बीजेपी समर्थक रहा है और इन आठ वर्षों में सबसे ज्यादा परेशानी में यही वर्ग आया है.
आठ- आश्चर्यजनक तथ्य तो यह है कि संघ का सबसे बड़ा समर्थक भी मध्यमवर्ग ही है, तो नरेंद्र मोदी को सत्ता में बनाए रखने के लिए संघ कब तक जनविरोधी सरकार के साथ खड़ा रहेगा?
नौ- सियासी सयानों का मानना है कि लंबे समय से बीजेपी समर्थकों का सियासी आकर्षण सीएम योगी के लिए बढ़ रहा है, तो क्या यह 2024 के लिए पीएम फेस बदलने की भूमिका बन रही है?
दस- याद रहे, गुजरात को छोड़कर पूरे देश में मोदी फैक्टर ढेर हो चुका है, इसलिए यदि संघ ने पीएम फेस बदलने का मन बना लिया, तो नरेंद्र मोदी को लालकृष्ण आडवाणी बनने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा?
यह जानना भी दिलचस्प होगा कि इन तमाम मुद्दों पर इतने वर्षों से कांग्रेस का विरोध करने वालों की पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ आवाज निकल पाती है या नहीं!
(3/1/2022) को- सबसे ज्यादा मस्जिद-मजार पर जाने वाले प्रधानमंत्री कौन हैं? किसके तुष्टीकरण के लिए? में लिखा था….
इनदिनों विधानसभा चुनाव के मद्देनजर हिन्दू-मुस्लिम राजनीति जोरों पर है और इसे तुष्टीकरण के साथ जोड़कर सवाल उछाले जा रहे हैं!
लेकिन, सबसे बड़ा सवाल यह है कि…. सबसे ज्यादा विदेशों की मस्जिद-मजार पर जाने वाले भारत के प्रधानमंत्री कौन हैं? और…. किसके तुष्टीकरण के लिए?
खबरों पर भरोसा करें तो विदेशों की मस्जिद-मजार पर जाने और विश्व के मुस्लिम नेताओं को गले लगाने के मामले में देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अव्वल हैं!
नरेन्द्र मोदी तो प्रधानमंत्री बनने के बाद देश-विदेश की अनेक मस्जिदों में भी गए हैं, मजार के लिए चादरें भी भेजी हैं और फूल भी चढ़ाए हैं.
आज तक की खबर थी कि वर्ष 2017 में मोदी जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ अहमदाबाद में 16वीं सदी में बनी सिदी सैयद की जाली मस्जिद में गए थे.
विदेश यात्रा के दौरान वे इंडोनेशिया के इस्तकलाल मस्जिद भी गए थे, तो वर्ष 2018 की शुरूआत में पीएम मोदी ओमान के मस्कट में सुल्तान कबूज ग्रांड मस्जिद में गए थे.
यही नहीं, वे सिंगापुर की लगभग दो सौ साल पुरानी चिलुया मस्जिद भी गए थे.
इतना ही नहीं, पीएम मोदी प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह, अजमेर में भी चादर भेजते रहे हैं.
पीएम मोदी वर्ष 2017 में म्यांमार यात्रा के दौरान बादशाह बहादुर शाह जफर की मजार पर भी गए थे, जहां उन्होंने फूल भी चढ़ाए थे और इत्र भी छिड़का था.
जहां एक ओर मोदी के मस्जिद-मजार पर जाने की खबरें थी, वहीं बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अपने एक बयान में कहा था कि- राम मंदिर निर्माण में पीएम मोदी का तो कोई योगदान नहीं है, जिन लोगों ने काम किया उनमें राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हा राव और अशोक सिंघल के नाम शामिल हैं!