आखिर सरकारी खजाने को घाटा किसकी शह पर

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चंडीगढ़: 12 दिसंबर:- आरके विक्रमा शर्मा /हरीश शर्मा/ करण शर्मा/ राजेश पठानिया/ अनिल शारदा:-— चंडीगढ़ सोहनी सिटी दो राज्यों की राजधानी है!  और यहां पूरे देश भर से अलग-अलग प्रांतों के रहने वाले लोग रहते हैं। रोजी-रोट कमा कर गुजर-बसर बखूबी करते हैं।  अपनी वास्तु कला और साफ सफाई जन सुविधाओं के मामले में चंडीगढ़ शहर बखूबी अपनी पहचान बनाए हुए है। देश विदेश से यहां शिक्षा ग्रहण करने के लिए बड़ी तादाद में विद्यार्थी आते हैं। शहर भर में पंजाब और हरियाणा के सरकारी दफ्तरों की भरमार है। इन दफ्तरों में काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए चंडीगढ़ प्रशासन ने सरकारी क्वार्टर बनाए हुए हैं। आज की तारीख में इन मकानों में बसने वाले लोगों की जनसंख्या भी लाखों में है। हालांकि यह मकान बहुत पुराने होने के कारण जर्जर हाल में किसी भी जानलेवा घटना को अंजाम देने की कगार पर हैं। और सबसे बड़ी दुखद और हैरत की बात यह है कि शहर भर में आज भी इन सरकारी खाली क्वार्टर्स की बड़ी तादाद मौजूद है‌। लेकिन अनेकों नए और पुराने जरूरतमंद कर्मचारियों के लिए यह अनुपलब्ध हैं। समझ से परे है कि इन मकानों की हाथ की हाथ जरूरतमंदों को क्यों नहीं अलाटमेंट किया जाता है। खाली पड़े यह घर सरकारी खजाने को हर साल लाखों रुपए का घाटा दे रहे हैं। प्रशासन को इसकी बखूबी खबर है। लेकिन अलॉटमेंट करने की जहमत से बेखबर हैं। बेहतर होगा इन खाली मकानों को खंडहर बनने से रोकने के लिए जल्दी से जल्दी अलॉट किए जाएं। और इनकी बनती मरम्मत करवाई जाए। सरकार को हर महीने पड़ने वाले घाटे का निपटारा किया जाए। अंदर खाते अखबारी सुर्खियों की न सूखने वाली स्याही का सबब इन मकानों को अंदर खाते अनेकों जरूरतमंदों को गैरकानूनी ढंग से अलॉट भी किया गया है। विभागीय विजिलेंस इस मामले में कई बार छापेमारी कर चुकी है। लेकिन अज्ञात कारणों से ढाक के तीन पात से ज्यादा कोई फायदा नहीं दिखाई दिया। यह मकान खाली क्यों पड़े हैं? और कब से पड़े हैं? इन को सूचीबद्ध क्यों नहीं किया जाता? अलॉटमेंट से यह क्यों वंचित हैं? इसका जवाब प्रशासन को जिम्मेदार और जवाब देह अधिकारियों और कर्मचारियों से लेना चाहिए। और जो सरकार को घाटा इन लोगों की लापरवाही से हो रहा है। उसकी भरपाई इनकी जेबों से की जानी चाहिए। ऐसा जरूरतमंद कर्मचारियों और अधिकारियों की मांग और मंशा है।

अल्फा न्यूज़ इंडिया की प्रशासन से पुरजोर मांग है कि खाली पड़े मकानों को सूचीबद्ध करके हाउस एलॉटमेंट कमेटी तुरंत प्रभाव से इनकी अलॉटमेंट करें। और जरूरतमंदों को सरकारी मकान की बुनियादी जरूरत से दूर ना रखें।

इस विषय पर अधिक और स्पष्ट जानकारी देते हुए संजीव कुमार इनकम टैक्स डिपार्टमेंट यूनियन चंडीगढ़ के प्रेसिडेंट ने बताया कि सेंट्रल गवर्नमेंट इंप्लाइज और विशेषकर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के एंप्लाइज के लिए आरक्षित मकानों का जर्नल पूल का कोटा बिल्कुल हाउसफुल है। सभी क्वार्टर संबंधित इच्छुक कर्मचारियों को तुरंत प्रभाव से अलॉट किए जाते हैं। यही वजह है कि इस वक्त इस पुल के तमाम क्वार्टर भरे हुए हैं। यहां दीगर बात यह है कि प्रेसिडेंट संजीव कुमार ने तमाम खाली पड़े क्वार्टरों के बारे में प्रशासन से आग्रह किया है कि जरूरतमंदों को तुरंत प्रभाव से सरकारी मकान अलॉट किए जाएं ताकि सरकारी खजाने को राजस्व आय बढ़े।

 

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