चंडीगढ़ /पंचकूला:- 6 नवंबर:- आर के विक्रमा शर्मा/ हरीश शर्मा /राजेश पठानिया+अनिल शारदा:— भारतीय रेलवे मंत्रालय रेलवे स्टेशनों की पैसेंजर ट्रेंस की दशा और दिशा सुधारने में सरकारी राजस्व बाढ़ के पानी की तरह बहा रहा है। लेकिन रिजल्ट के नाम पर ढाक के तीन पात से ज्यादा कुछ परिणाम हासिल नहीं हो पा रहे हैं। ऐसी ही अव्यवस्थाएं और अनियमितताएं चंडीगढ़ उत्तर रेलवे स्टेशन पर पसरी हुई दिखाई देती हैं। एक रेलवे यात्री ऐके सूद जो अमृतसर से चंडीगढ़ आने वाली ट्रेन में अभी खबर लिखे जाने तक रेलवे स्टेशन पर उतरे। और पाया कि पंचकूला की तरफ वाले एक्सलेटरस बिल्कुल बंद पड़े हैं। एक्सलेटर कोई काम नहीं कर रहे हैं। नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे आने वाले दोनों तरफ के अज्ञात कारणों से बंद पड़े हैं। यात्रियों को खासकर बुजुर्ग रेलवे यात्रियों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। और इसके लिए जवाब देह और जिम्मेदार अधिकारी भी मुंह खोलने से परहेज बरत रहे हैं। और यह मौका पहली मर्तबा नहीं है। अक्सर यह सुविधा बंद ही पड़ी रहती है। और अपने ऊपर किए गए भारी राजस्व खर्चे की इंतजामी की खोखली पोल खोलती है। गर्भवती महिलाएं और गोद में छोटे बच्चों को उठाए हुए साथ में भारी लगेज खींचती हुई महिलाओं को एक्सलेटर बंद देखकर रेलवे इंतजामी पर भारी गुस्सा और रोष पैदा होना स्वाभाविक है। लेकिन बेबसी में अगल-बगल झांकते हुए सीढ़ियों से मजबूरन मंजिल की सम्मत बढ़ना पड़ रहा है। ऐसी बद इंतजामी के लिए रेलवे विभाग के ड्यूटी पर तैनात जिम्मेदार अधिकारियों की उच्च अधिकारियों को तुरंत सुध लेनी चाहिए। और कानूनन बनती कार्यवाही की जानी चाहिए। ताकि रेलवे उपभोक्ताओं के अधिकारों का हनन तुरंत प्रभाव से बंद किया जा सके।
बताते चलें कि एके सूद खुद इक समाज सेवा में समर्पित संस्था “समस्या समाधान एंड वेलफेयर एसोसिएशन, चंडीगढ़” के संस्थापक और संचालक और जाने-माने सही मायने में निस्वार्थ भाव से समाज सेवक हैं।