कोलेस्ट्राल की शरीर में उपयोगिता, लक्षण, रोगी और निदान, नैचुरोपैथ कौशल करेंगे समाधान

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*कोलेस्ट्राल क्या होता है…?*

शरीर में पाई जाने वाली कोलेस्ट्राल एक प्रकार की चर्बी होती है जो शरीर में कई प्रकार की क्रियाकलापों को कराने जैसे नई कोशिकाओं के निर्माण, इंसुलिन तथा हारमोंस उत्पादन करने में आवश्यक है।

शरीर को जितनी मात्रा में कोलेस्ट्राल की जरूरत होती है, यकृत उतनी ही कोलेस्ट्राल का निर्माण होता है।

 

कोलेस्ट्राल दो तरह के होते हैं-

*1. एल.डी.एल. (खराब कोलेस्ट्राल)-*

खराब कोलेस्ट्राल से हृदय रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।

 

*2. एच.डी.एल. (अच्छा कोलेस्ट्राल)-*

अच्छे कोलेस्ट्राल से खतरा बहुत कम अर्थात शून्य के बराबर होता है।

कोलेस्ट्राल से धमनी की दीवारों में जलन युक्त रोग पैदा हो जाते हैं जिसे अर्थरोस्क्लोरोसिस कहते हैं।

इस रोग के कारण से धमनी की दीवारों में चर्बी जम जाती है और रक्त संचारण में रुकावट पैदा हो जाती है और इसके कारण से दिल का दौरा भी पड़ने लगता है।

शरीर में कोलेस्ट्राल का सामान्य स्तर लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग होना चाहिए।

 

*कारण:-*

यह रोग अनुवांशिकता के कारण से भी हो सकता है।

गतिहीन जीवन बिताने से भी यह रोग अधिक होता है जैसे- चलने-फिरने का कार्य न करना, व्यायाम न करना। डायबिटीज या मानसिक दबाव के कारण से भी यह रोग हो सकता है। स्टराइड के कारण से भी कोलेस्ट्राल रोग हो सकता है। यकृत रोग तथा थायराइड से सम्बंधित रोग होने के कारण से यह रोग हो सकता है।

 

*लक्षण:-*

इस रोग से पीड़ित रोगी के छाती में दर्द होता है, मोटापा बढ़ जाता है, मधुमेह का रोग भी हो जाता है, रोगी के रक्त में कोलेस्ट्राल की मात्रा बहुत अधिक बढ़ जाती है व यदि इस रोग से धमनियां प्रभावित हो गई हो तो नपुंसकता रोग हो जाता है।

रोगी के मांसपेशियों में दर्द होता है।

वैसे रक्त में कोलेस्ट्राल की मात्रा बढ़ जाने के कारण से कोई विशेष प्रकार के लक्षण नहीं दिखाई पड़ते। इस कारण कुछ गम्भीर अवस्थाए भी पैदा हो सकती हैं जैसे- हृत्शूल, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग या आघात होना।

 

*खान-पान में रखें सावधानी*

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर खानपान में काम आने वाले तेल का सही बैलेंस जरूरी है। ऎसे व्यक्ति को ऑइली चीजों से थोड़ी दूरी बना लेनी चाहिए। उसके स्वास्थ्य के लिए एक दिन में तीन चम्मच तेल काफी है।

तेल बदल-बदल कर और कॉम्बिनेशन में खाएं, मसलन एक महीने सरसों और मूंगफली का तेल काम में लें लेकिन रिफाइंड तेल बिलकुल नहीं।

 

आप अपनी पसंद से कॉम्बिनेशन बना सकते हैं। कॉम्बिनेशन और बदल-बदल कर तेल खाने से शरीर को सभी जरूरी फैट्स मिल जाते हैं। ऑलिव ऑइल भी यूज कर सकते हैं। इसे सलाद आदि पर डालकर खा सकते हैं।

 

फाइबर से भरपूर चीजों को अपनी डाइट में शामिल करें जैसे- गेहूं, ज्वार, बाजरा, जई आदि।

दलिया, स्प्राउट्स, ओट्स और दालों के फाइबर से कोलेस्ट्रॉल कम होता है।

 

चोकरयुक्त आटा इस्तेमाल करें।

 

हरी सब्जियां, साग, शलजम, बीन्स, मटर, ओट्स, सनफ्लावर सीड्स, अलसी आदि खाएं। इनमें फॉलिक एसिड होता है, जो कोलेस्ट्रॉल लेवल को मेंटेन करने में मदद करता है।

 

अलसी, बादाम, बीन्स, फिश, राइस ब्रान और सरसों तेल में काफी ओमेगा-3 होता है, जो दिल के लिए अच्छा है।

मेथी, लहसुन, प्याज, हल्दी, बादाम, सोयाबीन आदि खाएं।

एक चम्मच मेथी के दानों को पानी में भिगो लें।

सुबह उस पानी को पी लें।

मेथी के बीजों को स्प्राउट्स में मिला लें॥

 

*कोलेस्ट्रॉल लिवर के डिस्ऑर्डर से बढ़ता है…*

लिवर को डिटॉक्सिफाइ करने के लिए नोनी, अलोवेरा, आंवला और वेजिटेबल जूस आदि लें।

 

ताजे फल जैसे- पपीता, तरबूज, बेर या संतरा का सेवन करना लाभकारी होता है।

 

शरीर की त्वचा पर मुलायम पीले चकत्ते नज़र आने लगें या कोलेस्ट्राल बढ़ जाने के कारण से यदि निम्न लक्षण दिखाई दें जैसे….

चक्कर आना, सिर में दर्द, छाती में दर्द, टांगों में दर्द, आवाज भारी हो जाना या अनियंत्रित चाल आदि तो तुरंत ही चिकित्सक से सलाह लेकर उपचार कराएं या मुझसे मुफ्त सलाह कभी भी भी ले सकते हैं।

 

 

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