चंडीगढ़ :-03 सितंबर:- आरके विक्रमा शर्मा/ राजेश पठानिया+ अनिल शारदा :— सिख पंथ के प्रवर्तक हिंदू परिवार में जन्मे कालू दास मेहता के पुत्र बाबा नानक देव जी का आज ही के दिन 3 सितंबर को बीबी सुलखनी देवी के साथ शुभ विवाह हुआ था। और आगे चलकर इनके दो पुत्र रतन पैदा हुए थे। जयचंद और लक्ष्मीचंद। लेकिन बाबा नानक ने अज्ञात कारणों से इन्हें अपनी गुरु गद्दी का वारिश नहीं बनाया था। और दोनों पुत्रों ने आगे चलकर अपने अपने छोटे-छोटे मत संप्रदाय स्थापित किए थे। बाबा नानक की उदासियों का सूफी जीवन में गहरा प्रभाव है। बाबा नानक ने परमपिता परमेश्वर तब खूब सिमरन किया। और नाम जपा। उन्होंने तत्कालीन हिंदू धर्म की वक्त के साथ-साथ आई खामियों को भी दूर करने का प्रयास किया। और उसमें कुछ हद तक सफल भी रहे। आडंबरों पाखंडों पहरावों का विरोध करने वाले बाबा नानक अपने प्रयासों में कितना सफल हुए हैं यह तो इतिहास ही बताएगा हिंदुओं के हजारों साल पुराने चले आ रहे नाम सिमरन से बाबा नानक खुद को प्रभावित किए बिना नहीं रह पाए उन्होंने तत्कालीन परिवेश में व्यापक कुरीतियों का विरोध किया लोगों को सादा जीवन उच्च विचार परोपकारी मददगार देश प्रेमी आदि बढ़ने की शिक्षाएं दीं।।