काशी विश्‍वनाथ मंदिर का पूरा गर्भगृह सोने का, पीएम मोदी के प्रशंसक ने किया गुप्‍त भगवान

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चंडीगढ़: 15 जुलाई: आरके विक्रमा शर्मा/ हरीश शर्मा/ करण शर्मा/ राजेश पठानिया+ अनिल शारदा प्रस्तुति:– धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है जीवन है और मोक्ष है तो वह काशी नगरी वाराणसी है जो भगवान शंकर की धरती पर अति प्रिय नगरी है यहां पर भगवान शंकर के तब करने के व्याख्यान पौराणिक ग्रंथों में शास्त्रों में उल्लेखित है काशी विश्वनाथ भगवान अपनी महिमा का स्वयं उदाहरण है‌। आज के दौर में हिंदुत्व धारणाओं के धनी नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने काशी विश्वनाथ के मंदिर को एक नई पहचान भगवान शंकर के आशीर्वाद और अनुकंपा के तहत दी है। आज यह मंदिर पूरे विश्व में अपनी वास्तुकला, अपनी सजावट और पौराणिक धार्मिक धरोहर के कारण अग्रणी पंक्ति में सर्वोपरि सर्वोत्तम स्थान प्राप्त किए हुए है।

  मंदिर प्रशासन के मुताबिक करीब 30 घंटे में रविवार दोपहर गर्भगृह के अंदर की पूरी दीवार पर सोने की परत चढ़ा दी गई। जानकारी के मुताबिक, दीवारों को स्वर्णमंडित करने के लिए 10 सदस्यीय कारीगरों की टीम ने काम किया।

 

वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) के इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय जुड़ गया है। 187 वर्षों के बाद मंदिर के गर्भगृह के अंदर की दीवारों पर सोने की परतें चढ़ाई गई हैं। स्वर्ण परतों के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह के अंदर की पीली रोशनी हर किसी को सम्मोहित कर रही है। मंदिर में गर्भगृह को सोने से स्वर्णमंडित कराने का काम लगभग पूरा हो चुका है।

 

गर्भगृह के अंदर 37 किलो सोना लगाने का काम पूरा हो चुका है। अब स्वर्ण शिखर से नीचे बचे हिस्सों और चौखट आदि बदलवाने के लिए 24 किलो सोना लगाने की योजना है। बताया जा रहा है कि महाशिवरात्रि के बाद यह काम शुरू किया जाएगा।

 

दक्षिण भारत के एक श्रद्धालु ने अपना नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर मंदिर प्रशासन के साथ मिलकर गर्भगृह में सोना मढ़वाया है। गुप्त दान करने वाला ये शख्स पीएम मोदी से काफी प्रभावित बताया जा रहा है। साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि श्रद्धालु ने पीएम नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन के वजन के बराबर सोना दान किया है। महाशिवरात्रि से पहले विश्वनाथ मंदिर का गर्भगृह स्वर्णजड़ित हो गया है।

 

तीन महीने पहले मंदिर में आया था श्रद्धालु

 

दक्षिण भारत के एक भक्त ने तीन महीने पहले मंदिर आकर इस बात की जानकारी ली थी कि गर्भगृह में कितना सोना लगेगा। तब उसने सोना दान करने की बात कही थी। साथ ही उसने कहा कि उसका नाम गुप्त रखा जाएगा। मंदिर प्रशासन की अनुमति के बाद सोना लगाने के लिए मापने और सांचा बनाने की तैयारी शुरू हुई। महीनेभर की तैयारी के बाद शुक्रवार को सोना लगाने का काम शुरू हुआ, जो रविवार दिन में पूरा हुआ।

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