राष्ट्रीय संगोष्ठी में लोकसाहित्य एवं संस्कृति पर पुस्तक विमोचित

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डॉ. पूनिया ने 50 से अधिक विधाओं को पुस्तक में किया संकलित 

कुरुक्षेत्र: मई 2017 ; राकेश शर्मा/अल्फ़ा न्यूज इंडिया ;—धरोहर हरियाणा संग्रहालय के प्रभारी एवं यूनिवर्सिटी कॉलेज में हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. महासिंह पूनिया द्वारा लोक साहित्य एवं संस्कृति पर लिखित पुस्तक ‘हरियाणा की लोक साहित्यिक धरोहर’ का विमोचन हरियाणा साहित्य अकादमी की राष्ट्रीय संगोष्ठी में शनिवार को हुआ। इस अवसर पर साहित्य अकादमी की निदेशक डॉ. कुमुद बंसल, विद्या भारती निदेशक डॉ. रामेन्द्र, हरियाणा साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष राधेश्याम शर्मा, डॉ. शिव कुमार खंडेलवाल, डॉ. जय नारायण कौशिक, भारत भूषण सांगीवाल, रामकुमार आत्रेय, प्रो. ब्रह्मानन्द, प्रो. लाल चन्द गुप्त मंगल, डॉ. पूर्ण चन्द शर्मा, डॉ. बालकिशन शर्मा, डॉ. अनिल सवेरा, रामफल चहल, रोहित यादव, ओपी कादियान, सत्यवीर नहाडिय़ा, डॉ. विश्वबंधु शर्मा, डॉ. संतराम देशवाल, प्रो. बाबू राम सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
उल्लेखनीय है कि हरियाणा की लोक साहित्यिक धरोहर नामक इस पुस्तक में साहित्य एवं संस्कृति की 50 से अधिक नवीन विधाओं को संकलितकर प्रस्तुत किया गया है। 15 अध्यायों में विभाजित इस पुस्तक के विषय में डॉ. महासिंह पूनिया ने बताया कि इस पुस्तक में हरियाणा का पौराणिक, सांस्कृतिक इतिहास, हरियाणवी भाषा का पारम्परिक विकास, हरियाणवी लोकोक्तियों का सांस्कृतिक स्वरूप एवं विशेषताएं, हरियाणवी पहेलियों का वर्गीकरण, हरियाणवी स्थानोक्तियों एवं तुकबंदियों का मूल्यांकन, हरियाणवी मुहावरों का लोक सांस्कृतिक अध्ययन, हरियाणवी छन्नों का सांस्कृतिक मूल्यांकन, ढ़कोसलों एवं कड़कों का सांस्कृतिक अवलोकन, हरियाणवी प्रार्थनाएं, हरियाणवी नकल, वाणी-विलास, लोकगाहे, मुकरियां, कहबत, बुझावल, नुस्खे, लोकपद, निस्बत, बालगीत, खेलगीत, अकालगीत, जकड़ी गीत, कथोक्ति, लोकबारे, दोहरे, लघुछन्द कथाएं, दो-सुखने, लोकसूक्तियां, आशीर्वचन को तो संकलित किया ही गया है। डॉ. पूनिया ने बताया कि इसके अतिरिक्त हरियाणवी लोकविनोद की 27 विधाएं जिनमें हाजिरजवाबी, मखौल, ब्योंक, नकल, मसकरी, गप्प, गपोड़, गडंग, मिसल, मनोविनोद, बतंगड़, मजाक, चीड़, हंसी ठठ्ठा, फरड़े, अंगाई, ठोला-ठसका, चुटकला, चुटकली, ठिठोली, टयोंट/व्यंग्योक्ति, ढ़कोसला, चुटकियां, ठसकोली को भी प्रस्तुत किया गया है। उल्लेखनीय है कि धरोहर हरियाणा संग्रहालय की स्थापना के लिए डॉ. पूनिया ने पिछले 12 वर्षों में 5 लाख किलोमीटर से अधिक यात्रा कर हरियाणा की सांस्कृतिक विरासत को समेटा है। इससे पूर्व हरियाणा के प्रबंध काव्यों, पत्रकारिता, लोक सांस्कृतिक धरोहर, हरियाणवी मुहावरा कोश, संस्कृति एवं लोकसाहित्य अनेकों पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इनके लोकसाहित्य एवं संस्कृति से संबंधित 40 से अधिक शोधपत्र भी प्रकाशित हो चुके हैं।

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