केंद्रीय गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि जिस प्रकार महाराणा प्रताप ने जीवन पर्यंत मातृ भूमि के मान सम्मान एवं स्वाभिमान की रक्षा के लिए संघर्ष किया तथा विदेशी ताकतों के सामने कभी घुटने नही टेके। उसी प्रकार भारत सरकार विदेशी ताकतों द्वारा लगातार भारत के स्वाभिमान पर ठेस पहुंचाने के लिए किए जा रहे नापाक इरादों को कभी भी सफल नही होने दिया जाएगा तथा आतंकवाद का मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा।केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह आज कलायत स्थित अनाज मंडी में वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप की 477वीं जयंती के अवसर पर आयोजित राज्यस्तरीय समारोह में बतौर मुख्यातिथि विशाल जनसभा को संबोधित कर रहे थे। इससे पूर्व श्री राजनाथ सिंह ने अन्य विशिष्ट अतिथियों के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन से किया। श्री राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि महाराणा प्रताप को आदर्श मानकर हम सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा पड़ौसी देशों के साथ हमेशा अच्छे रिश्ते बनाने का प्रयास किया है, लेकिन पाकिस्तान अपनी आदतों से बाज नही आ रहा है। उन्होंने पिछले दिनों हुई घटना का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ आतंकवादी सीमा पार से भारत में घुस आए थे तथा कायरता पूर्वक ढंग से हमला करके हमारे 17 जवानों को शहीद कर दिया था। केंद्र सरकार द्वारा दस दिन के अंदर कठोर निर्णय लेते हुए सीमा पार सैनिक भेजकर उन आतंकवादियों का सफाया किया था। उन्होंने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि भारत के स्वाभिमान पर चोट पहुंचती है तो यह किसी भी कीमत पर भारत बर्दाश्त नही करेगा।श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि महाराणा प्रताप को किसी जाति, धर्म और मजहब की सीमाओं में बांधकर नही देखा जा सकता। महाराणा प्रताप ने जीवन में संघर्ष करके मातृभूमि की रक्षा के लिए महल व सत्ता का सुख छोडक़र लड़ाई लड़ी, लेकिन पराधिनता को स्वीकार नही किया। महाराणा प्रताप का जब स्वर्गवास हुआ तो उनके विरोधी अकबर ने भी प्रशंसा करते हुए आंखों में आंसु बहाए थे। उन्होंने कहा कि आज हम महाराणा प्रताप जयंती के साथ-साथ 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की पूर्व संध्या की जयंती भी मना रहे हैं। महाराणा प्रताप की मातृभूमि के प्रति स्वाभिमान और स्वतंत्रता संग्राम में बहुत समानताएं हैं। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप का जीवन आदर्श और प्रेरणा का केंद्र रहा है, जिसे हमें अपने जीवन में आत्मसात करके इससे प्रेरणा लेनी चाहिए।उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप के योगदान एवं बलिदान का सही मूल्यांकन होना चाहिए तथा उनके जीवन दर्शन को बच्चों को पाठय क्रम में पढ़ाया जाना चाहिए। इब्राहिम लिंकन की माता ने भी हल्दी घाटी से एक मु_ी मिट्टी मंगवाई थी, जहां पर वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप ने अकबर की सेना के साथ लड़ाई लड़ते हुए वीरता का परिचय देते हुए इतिहास रचा था। गृहमंत्री ने शहीदों के त्याग और बलिदान को याद करते हुए कहा कि चंद्रशेखर आजाद, शहीद भगत सिंह, अशफाक उल्लाखां जैसे शहीद हुए है, जिन्होंने भारत माता की बेडिय़ों को तोडऩे के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूमा था। उन्होंने कहा कि चंद्रशेखर आजाद ने स्वाभिमान के लिए स्वयं की गोली से ही अपने प्राण दे दिए, ताकि विदेशी गोली उनके शरीर को न छू सके। अशफाक उल्लाखां ने भी फांसी के तख्ते पर चढ़ते हुए जज को यह कहा था कि फांसी ही उनकी दुल्हन है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय भावना से ही प्रेरित होकर राष्ट्रीय स्वाभिमान का भाव पैदा होगा। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप में सभी को साथ लेकर चलने की कला थी। उन्होंने महाराणा प्रताप की जन्म स्थली राजस्थान की पहचान बताते हुए कहा कि मीरा बाई की भक्ति, पन्नादायी की मुक्ति, भामा शाह की संपत्ति तथा महाराणा प्रताप की शक्ति ही राजस्थान की पहचान है। व्यक्ति अपने कर्मों से अमर होता है न कि धन दौलत से। उन्होंने देश के नौजवानों का आह्वान करते हुए कहा कि वे हकीकत को समझे कि मनुष्य की जिंदगी में मान-सम्मान तथा स्वाभिमान से बढक़र कुछ नही है।श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भारत के नव निर्माण के लिए कुछ ऐसी योजनाएं शुरू की है, जिससे युवाओं में स्वाभिमान पैदा होने के साथ-साथ कौशल विकास के प्रति योग्यता व क्षमता विकसित हो। उन्होंने देश का गौरव विदेशों में बढ़ाकर देश का मस्तक ऊंचा करने का कार्य किया है। यह बात विदेशी लोग भी मानते हैं। भारत में 2022 तक सभी को छत उपलब्ध करवाई जाएगी तथा किसानों की आमदनी को बढ़ाकर दोगुणा किया जाएगा। उन्होंने लोगों से कहा कि वे महाराणा प्रताप को आदर्श मानकर स्वाभिमान से जिएं, क्योंकि याचक बनकर स्वाभिमान की जिंदगी नही जी जा सकती। उन्होंने कहा कि हरियाणा में महाराणा प्रताप जयंती पर भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसके लिए आयोजक बधाई के पात्र हैं। उन्होंने विशेषकर मुख्य संसदीय सचिव श्री श्याम सिंह राणा को कार्यक्रम की सफलता के लिए बधाई देते हुए कहा कि यह आयोजन राजस्थान में हुए कार्यक्रम से भी भव्य रहा, जिसकी उन्होंने कल्पना नही की थी। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के निमंत्रण के बाद उन्होंने हरियाणा के लोगों की आस्था को देखते हुए इस कार्यक्रम में हर हालत में शामिल होने का फैसला किया।हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष श्री कंवर पाल ने अपने संबोधन में कहा कि महाराणा प्रताप की जयंती मनाना गौरव की बात है तथा समाज ने इस कार्यक्रम में अनुशासन का परिचय दिया है, जिस प्रकार महाराणा प्रताप ने देश के गौरव को बढ़ाने हेतू हमेशा संघर्ष किया। उसी प्रकार सरकार द्वारा भी देश के गौरव को बढ़ाने के लिए निरंतर कार्य किया जा रहा है। महाराणा प्रताप ने भीलों से मिलकर भी स्वाभिमानता के संघर्ष को जारी रखा तथा मान-सम्मान की रक्षा की। चेतक व रामप्रसाद जैसे पशुओं ने भी उनका भरपूर साथ दिया। महाराणा प्रताप शूरवीर, चरित्रवान तथा दयावान व्यक्तित्व के धनी थे। सरकार द्वारा भी महापुरूषों की जयंती को मनाने का फैसला जनहित में लिया गया है, ताकि युवा पीढ़ी को महापुरूषों से प्रेरणा मिले।हरियाणा के शिक्षा मंत्री राम बिलास शर्मा ने महाराणा प्रताप की जयंती के अवसर पर कलायत वासियों को प्रदेश सरकार की ओर से तोहफा देते हुए घोषणा की कि कलायत में महाराणा प्रताप के नाम से राजकीय महाविद्यालय स्थापित किया जाएगा तथा इसकी कक्षाएं वर्तमान सत्र से ही शुरू कर दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण गोपाल शर्मा ने 15 वर्ष तक अनुसंधान करके यह निष्कर्ष निकाला है कि हल्दी घाटी में महाराणा प्रताप की जीत हुई थी और अकबर की हार हुई थी। अकबर ने मान सिंह के माध्यम से महाराणा प्रताप को खाने पर बुलाया तो महाराणा प्रताप ने यह कहकर अन्न जल ग्रहण करने से मना कर दिया कि यह सब अकबर का है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि महाराणा प्रताप जैसे योद्धाओं को हम नमन करते हैं।मुख्य संसदीय सचिव एवं कार्यक्रम के संयोजक श्री श्याम सिंह राणा ने गृहमंत्री का स्वागत करते हुए कहा कि प्रथम बार इस जयंती को एक स्थान पर राज्य स्तरीय समारोह के रूप में मनाने का फैसला समाज द्वारा लिया गया है। उन्होंने कहा कि योद्धा महाराणा प्रताप से प्रेरणा लेकर युवा संगठित हों और राष्ट्रभक्त बनें। महाराणा प्रताप ने स्वाभिमान व राष्ट्रभक्त का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कभी भी पराधीनता स्वीकार नही की। हमारे बुजुर्गों ने देश की स्वतंत्रता के लिए लगातार संघर्ष किया। हमें पूर्वजों के पद चिन्हों पर चलकर स्वदेशी वस्तुओं को अपनाकर देश को आर्थिक रूप से मजबूत करना है।सांसद राजकुमार सैनी ने कहा कि हमें योद्धाओं के जीवन से हमेशा प्रेरणा मिलती है। महाराणा प्रताप ने हमेशा संघर्ष और त्याग का जीवन जीकर आगे बढऩे का संदेश दिया। उन्होंने अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लडक़र सम्मान को जीवन में प्राथमिकता दी। महाराणा प्रताप ने घास की रोटियां खाकर भी मान-सम्मान की रक्षा की थी। आज हमें महाराणा प्रताप के जज्बे, ईमानदारी और स्वाभिमान की भावना से शिक्षा ग्रहण करने की आवश्यकता है।राजपूत समाज की ओर से केंद्रीय गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह तथा कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथियों को स्मृति चिन्ह और पुष्प गुच्छ भेंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर समारोह को जयदीप राणा, सुरेश राणा, अमरपाल राणा, मीना परमार, अशोक ठाकुर, शांतनु, कर्नल देवेंद्र सिंह, पूर्व विधायक रेखा राणा, मेनपाल राघव, विनोद थंबड़, अनुप चौहान, ठाकुर लाल सिंह, राजकुमार राणा ने भी संबोधित किया। समारोह के दौरान पूरा पंडाल भारत माता की जय, महाराणा प्रताप अमर रहे तथा जय श्रीराम के नारे से गुंजायमान रहा। सभी उपस्थितगण ने केंद्रीय गृहमंत्री का खड़े होकर अभिनंदन किया।इस मौके पर विधायक कुलवंत बाजीगर, कैप्टन राजकुमार, महेंद्र सिंह तंवर, मेनपाल राणा, जय सिंह राणा, धर्मपाल शर्मा, नरेश चौहान, ऋषिपाल, रामपाल, रामकुमार राणा, जिले सिंह, रणधीर राणा, पवन नंबरदार सहित समाज के गणमान्य व्यक्ति तथा विभिन्न राजपूत सभाओं के पदाधिकारी मौजूद रहे।================================