चंडीगढ़: 26 जून:- राजेश पठानिया/अनिल शारदा:— चंडीगढ़ शहर अपनी भवन निर्माण कला, बेजोड़ वास्तुकला के लिए पूरे देश में अपना सानी नहीं रखता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू के सपनों के पैरिस शहर में हर सेक्टर मार्केट धर्मस्थल अस्पताल स्कूल और सड़कें सब कुछ बहुत ही सुनिश्चित ढंग से व्यवस्थित हैं। और हर सेक्टर में निर्धारित संख्या तक मकान और जनसंख्या निर्धारित की गई थी। हालांकि सियासत दानों की बदौलत सियासी स्वार्थों के चलते यह कायदे कानून सेबेमानी हो चुके हैं।
हैरत की बात है कि सिटी ब्यूटीफुल की ब्यूटीफिकेशन के लिए सरकारी राजस्व यहां पानी की तरह नहीं, बल्कि पानी में सरकारी राजस्व कथित तौर पर बहाया जाता है। यह बिल्कुल स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है। कभी ग्रीन सिटी के नाम से जाना जाता यह सिटी ग्रीन शहर आज बिल्कुल पत्थरों का शहर बन चुका है। ग्रीन बेल्ट बिल्कुल खत्म हो चुकी है। उनकी जगह पर पैवर्स ब्लॉक लगाए जा चुके हैं। चप्पा चप्पा सीमेंटेड है। और हरी घास ढूंढने से भी नहीं मिलती है। ग्रीन सिटी का अब कागजों में भी दम घुट रहा है। सड़क के किनारे हरे भरे पेड़ पिछले डेढ़ दशक से दीमक का शिकार हो रहे हैं। सूखकर खत्म हो रहे हैं। लेकिन शहर को आज भी सरकारी दस्तावेजों में मानचित्र के पटल पर ग्रीन सिटी के नाम से नवाजा जाता है। यह दुख पर बड़े शर्म की बात है। ए ग्रीन सिटी विदाउट ग्रीनरी इज कॉल्ड ग्रीन सिटी चंडीगढ़।
सेक्टर 44-45 और 50-51 लाइट प्वाइंट चौक जिसे गौशाला चौक का नाम भी दिया जाता है! बहुत जल्दी सड़क के नक्शे पर से गायब हो जाएगा! इस पर कार्य प्रगति पर है! चंडीगढ़ इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट की रोड विंग खूब मेहनत करके इसके नवीनीकरण यानी राउंटअबाउट बनाने में मशगूल है। और इस प्रोजेक्ट का ठेका भी दे दिया गया है। ठेकेदार के मुताबिक अपुष्ट रूप से तकरीबन 3:30 करोड़ का यह ठेका उठा है। जिस पर प्राइवेट ठेकेदार अपना काम जारी कर चुका है। और 10 से 12% काम मुकम्मल हो चुका है। अगला कार्य भी खूब प्रगति पर है। जल्दी ही यह लाइट प्वाइंट चौक खत्म कर दिया जाएगा। और इसकी जगह राउंटअबाउट चौक एक बार फिर अस्तित्व में आएगा।। पहले यहां सिंगल वे रोड थी। जिसे पांच नंबर लेबर कॉलोनी रोड भी कहा जाता था। लेकिन पांच नंबर कॉलोनी से यह सारा स्पेस कोर्ट के ऑर्डर से खाली करवाए जाने के बाद अभी हां गवर्नमेंट कार्य गति पर है।
इस लाइट प्वाइंट चौक को राउंटअबाउट में तब्दील करने को लेकर एक स्थानीय ग्रामीण अब चंडीगढ़ वासी का कहना है कि पढ़े-लिखों के शहर में अनपढ़ता की बात हास्यास्पद लगती है। सिंगल रोड से जब यह लाइट प्वाइंट चौक बनाया जा रहा था। इसका नक्शा इसका प्रोजेक्ट आदि तैयार किया जा रहा था। तो किसी ने क्यों नहीं राउंड अबाउट की पेशकश की। इस मुद्दे पर क्यों नहीं विचार किया गया। और सरकारी राजस्व का एक बड़ा भाग पहले तो लाइट पॉइंट चौक बनाने में और अब उसको यहां से हटाकर राउंटअबाउट चौक बनाने पर खर्च किया जा रहा है। बात तो बिल्कुल सही है कि यहां सरकारी पैसा पानी की तरह बहाया नहीं जाता है। बल्कि पानी में ही बहा दिया जाता है। यह पानी शब्द कई शब्दों का प्रारूप लिए हुए हैं। सरकारी जेबें, अंदर खाते जेबां , अंडर टेबल जेबें कुछ भी कहा जा सकता है। यह सरकारी धन रूपी पैसा ना जाने किस-किस पानी की शक्ल में किस-कस के यहां बह रहा है। और बहाया जाता रहेगा।। स्थानीय मीडिया सरकारी विभागों से मिलने वाली बड़ी विज्ञापन राशि के चक्कर में मूकदर्शक बने रह जाते हैं। और सरकारी धन रूपी पैसा उनकी जेबों से उनकी तिजोरी तक पहुंचता है। ऐसे रहस्य उद्घाटन समय-समय पर इन्हीं अखबारों द्वारा किए जाते हैं। जो विज्ञापन के नाम पर सरकार का करोड़ों रुपया अपनी तिजोरी में भरते हैं।