संगरूर से मान की जीत आने वाले चुनावों में विपक्ष की बन ना जाए बड़ी हार

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चंडीगढ़ :-27 जून:–राजेश पठानिया/अनिल शारदा प्रस्तुति:–संगरूर लोकसभा उपचुनाव में आम आदमी पार्टी को जो भारी राजनीतिक झटका लगा है उसका असर न केवल आने वाले समय में हिमाचल प्रदेश और हरियाणा मैं देखने को मिलेगा बल्कि इससे आम आदमी पार्टी के उस प्रचार पर भी ब्रेक लग जाएंगे जिसमें अरविंद केजरीवाल को भावी प्रधानमंत्री के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश होती थी ।क्योंकि लोकसभा में अब आम आदमी पार्टी का एक भी सांसद नहीं रह गया है ।झटका इतना करारा है कि 3 महीने पहले पंजाब की जनता ने जिस जोश खरोश के साथ आम आदमी पार्टी को प्रदेश की सत्ता सौंपी थी उसी जनता ने पार्टी के लोकसभा उपचुनाव के उम्मीदवार को इतनी करारी हार दे दी कि वह उस धुरी विधानसभा क्षेत्र से भी चुनाव हार गया जहां से मुख्यमंत्री भगवंत मान विधायक हैं ।पिछले लोकसभा चुनाव में इसी धूरी विधानसभा क्षेत्र से भगवंत मान एक लाख से भी ज्यादा मतों के अंतर से चुनाव जीतकर निकले थे और इसी बड़ी जीत के कारण उन्होंने धुरी को विधानसभा के चुनाव के लिए चुना था। इससे भी आगे की बात और खतरनाक है वह यह कि आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार मुख्यमंत्री भगवंत मान के गांव में भी नहीं जीत पाया। यदि पिछले लोकसभा चुनाव की बात करें तो भगवंत मान संगरूर लोकसभा क्षेत्र के सभी 9 विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव जीते थे। यह तो है कि संगरूर में पिछला सांसद मान था और नवनिर्वाचित सांसद भी मान मतलब सिमरनजीत सिंह मान है परंतु संगरूर ने मुख्यमंत्री भगवंत मान का मान नहीं रखा और यह सीट अप्रत्याशित तरीके से अकाली दल अमृतसर के खाते में चली गई ।सिमरनजीत सिंह मान 1999 के बाद मतलब 23 साल बाद सांसद बने हैं। अब यह विचारणीय विषय है कि आखिर ऐसा हुआ क्यों ? इसके कई कारण सामने आए हैं। एक तो यही कि आम आदमी पार्टी की पंजाब की सरकार उस तरह से परफॉर्म नहीं कर पाई है जैसे दावे किए गए थे ।लोग अब से पहले ही खुद को ठगा सा महसूस करने लगे हैं ।आम आदमी पार्टी की हार में सिद्दू मूसे वाला की हत्या का मामला भी काफी काम करता नजर आया। लोगों मे क्षोभ, है नाराजगी है और उनमें कानून व्यवस्था को लेकर कोई भी संतुष्टि नजर नहीं आती। यही कारण था कि मतदान का प्रतिशत भी बहुत थोड़ा रहा। सिमरनजीत सिंह मान के प्रति दिवंगत मूसे वाला की सहानुभूति भी काम करती नजर आई ।कुछ लोग यह कहते भी देखे गए कि विधानसभा चुनाव में अपनी हार के बाद कथित तौर पर सिद्दू मूसे वाला ने यह कहा था कि उन्हें हार का दुख तो है परंतु लोग तो सिमरनजीत सिंह मान जैसे नेता को भी हरा देते हैं ।लगता है उनकी इस भावना को भी लोगों ने दिल से महसूस किया और इससे भी सिमरनजीत सिंह मान को कहीं ना कहीं सहानुभूति प्राप्त होती नजर आई। पंजाब के लोग विशेष तौर पर संगरूर के जनता भी शायद यह महसूस करने लगी है कि बेशक भगवंत मान मुख्यमंत्री हैं परंतु वे एक तरह से डम्मी मुख्यमंत्री बनकर रह गए हैं नीति निर्धारण तो दिल्ली से होता है। कुल मिलाकर लोगों को अपनी नाराजगी दिखाने का जो मौका मिला उन्होंने उसे कैश कर लिया और आम आदमी पार्टी को एक झटके में आईना दिखा दिया। एक कहावत संगरूर को लेकर भी है पंजाब में कहा जाता है कि, मेरा क्या कसूर, मेरा जिला संगरूर। मतलब संगरूर के लोग कुछ भी कर गुजरने को तैयार हो जाते हैं। देखा जाए तो कल यानी रविवार को जब नतीजे आए उस रात मुख्यमंत्री भगवंत मान को ठीक से नींद नहीं आई होगी क्योंकि आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार जिसके नाम की संस्कृति खुद उन्होंने की ,उनके अपने पैतृक गांव में भी हार गया। उनके विधानसभा हलके में हार गया और उनके उस लोकसभा क्षेत्र में हार गया जहां वे मोदी लहर के बावजूद एक नहीं लगातार दो बार चुनाव जीते थे। देखा जाए तो आम आदमी पार्टी के लिए यह बहुत बड़ा राजनीतिक नुकसान है। जिसकी क्षतिपूर्ति आसान नहीं होगी। हरियाणा में स्थानीय स्वशासन चुनाव में भी आम आदमी पार्टी बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई है और अब पंजाब की हार से उसके संगठन की मजबूती पर भी असर पड़ सकता है और पार्टी के प्रति बना आकर्षण कम हो सकता है ऐसे में कुछ लोगों ने आगामी आशंका के दृष्टिगत पार्टी छोड़ने शुरू कर दी तो पार्टी की सेहत पर इसका और भी बुरा असर पड़ेगा। इसलिए आम आदमी पार्टी की हरियाणा और हिमाचल इकाई को अपनी राजनीतिक परिसंपत्ति को संभाल कर रखना पड़ेगा। साभार।

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