चंडीगढ़/ नई दिल्ली:- 25 मई:- आरके विक्रमा शर्मा /सुमन वैदवाल:— सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि किसी जांच एजेंसी की पहुंच से दूर भगोड़ा करार दिए गए व्यक्ति को अदालत से कोई रियायत या माफी नहीं मिलनी चाहिए।
माननीय जज दिनेश और जस्टिस अनिरुद्ध पर आधारित बेंच ने कहा कि जब कोई मुलजिम फरार हो जाता है। उसको भगोड़ा करार दे दिया जाता है। तो उसको आईपीसी की धारा 438 अधीन लाभ देने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है।
माननीय बेंच ने स्पष्ट किया कि मौलिक अधिकारों की उल्लंघनों से संबंधित सख्त पाबंदियां लगाए जाने से संबन्धित मुलजिम के मामले में विचार करने से व्यक्ति के दोष भरपूर आचरण का प्रभाव खत्म नहीं हो जाता है।।