जैविक खेती, गऊशाला और जल संरक्षण के प्रशिक्षण का केन्द्र बना गुरुकुल कुरुक्षेत्र:सुमेधा 5

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जैविक खेती, गऊशाला और जल संरक्षण के प्रशिक्षण का केन्द्र बना गुरुकुल कुरुक्षेत्र:सुमेधा
5 जिलों के 10 कलस्टरों से 50 किसानों ने लिया जैविक खेती का प्रशिक्षण, गांव कैंथला में गुरुकुल कुरुक्षेत्र के जैविक फार्म हाउस का किसानों ने किया अवलोकन   

कुरुक्षेत्र  : मई : राकेश शर्मा / अल्फ़ा न्यूज इंडिया   ;——उपायुक्त सुमेधा कटारिया ने कहा कि गुरुकुल कुरुक्षेत्र जैविक खेती, गऊशाला और जल सरंक्षण के प्रशिक्षण का केन्द्र बनकर किसानों को जैविक खेती अपनाने और देसी गायों के पालन पोषण करने के तौर तरीके सिखाने का काम कर रहा है। इस फार्म हाउस का अवलोकन करने के लिए 5 जिलों के 10 कलस्टरों से 50 किसान गुरुकुल कुरुक्षेत्र के जैविक फार्म को देखकर गदगद हो गए।
उपायुक्त सुमेधा कटारिया मंगलवार को अधिकारियों से बातचीत कर रही थी। इससे पहले मेवात, गुरुग्राम, झज्जर, नारनौल, पलवल से आए करीब 50 किसानों ने गुरुकुल कुरुक्षेत्र के प्रांगण में बर्मी कम्पोस्ट, देसी गऊओं की गऊशाला, गोबर गैस प्लांट और इस प्लांट से उत्पन्न होने वाली बिजली एक प्रोजैक्ट का बारीकि से अवलोकन किया और गुरुकुल कुरुक्षेत्र में कृषि विभाग के विकास अधिकारी डा. वजीर सिंह, डा. शैलैन्द्र सिंह, डा. गुलाब सिंह ने किसानों को जैविक खेती, बर्मी कम्पोस्ट, बीज उपचार आदि विषयों के बारे में प्रशिक्षण भी दिया। यहां पर सारा दिन जैविक खेती से सम्बन्धित प्रशिक्षण ग्रहण करने के उपरांत गुरुकुल कुरुक्षेत्र द्वारा गांव कैंथला में 180 एकड़ जमीन पर बनाए गए जैविक फार्म हाउस का किसानों ने अवलोकन किया। इस फार्म हाउस पर किसानों ने खीरे, ककड़ी, हरी तोरी, घीया, कद्दू, मक्का, अरबी आदि सब्जियों की खेती को देखा कि किस प्रकार बिना यूरिया, डीएवीपी और अन्य छिडक़ाव के बिना जैविक खेती की जा रही है।
उपायुक्त सुमेधा कटारिया ने कहा कि हिमाचल के राज्यपाल आचार्य डा. देवव्रत के प्रयासों से ही गुरुकुल कुरुक्षेत्र जैविक खेती के प्रशिक्षण का हब बन गया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की एक महात्वाकांक्षी योजना है कि हरियाणा प्रदेश के सभी किसान जैविक खेती को अपनाएं जिससे भूमि के साथ-साथ प्रदेश के प्रत्येक नागरिक का स्वास्थ्य स्वस्थ रह सके। इतना ही नहीं हरियाणा में जैविक खेती किसानों की प्राचीन पद्धति भी रही है। इस पद्धति को फिर से अपनाने और किसानों की आर्थिक दशा को सुधारने के उदेश्य से ही प्रदेश में जैविक खेती को अपनानेे की योजना को तैयार किया गया है। 
उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर जैविक खेती पर राज्य स्तरीय स्वर्ण जंयती पर 3 फरवरी 2017 को किसान सम्मेलन के दौरान इस पायलट योजना को अमली जामा पहनाया गया। इस योजना के तहत प्रत्येक जिलें में गऊशाला के साथ लगती गांव की 50-50 एकड़ जमीन में दो कलैस्टर बनाएं गए है। 50 एकड़ के एक कलैस्टर में जैविक खेती, गऊशाला और पानी सरंक्षण पर काम किया जाएगा। इस योजना के तहत जिन किसानों की जमींन 50 एकड़ में शामिल होगी उन किसानों को राज्य सरकार की तरफ से सबसीडी भी दी जाएगी। इतना ही नहीं किसानों को बीज, इनपुट, मार्किटिंग, खेती के लिए हर संभव सहयोग किया जाएगा, बशर्ते इन किसानों को जैविक खेती को अपनाना होगा। उपायुक्त ने कहा कि इन किसानों को कृषि एवं किसाना कल्याण विभाग हरियाणा की तरफ से सर्टीफिकेशन भी किया जाएगा ताकि इन किसानों को और अधिक सुविधाएं मिल सके।

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