श्री “गुरूग्रँथ” साहिब जी …भारत की यशस्वी शूरवीर परोपकारी धरती का गौरव

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चंडीगढ़: 22 जून: अल्फा न्यूज़ इंडिया डेस्क प्रस्तुति:-श्री “गुरूग्रँथ” साहिब जी ……………………
‘गुरुबाणी’ में परम पिता ‘परमात्मां’ के लिये प्रयोग किये गए 16 “नाम”

🔹हरी – 50 बार
🔹राम – 1758 बार
🔹प्रभू – 1314 बार
🔹गोबिन्द – 204 बार
🔹मुरारी – 42 बार
🔹ठाकुर – 238 बार
🔹गोपाल – 109 बार
🔹परमेशर – 16 बार
🔹जगदीश – 37 बार
🔹कृशन – 8 बार
🔹नाराईण – 39 बार
🔹वाहिगुरू – 13 बार
🔹मोहन – 30 बार
🔹 भगवान – 41 बार
🔹 निरंकार – 36 बार
🔹वाहगुरू – 3 बार

1 सिक्ख = 1.25 लाख मुगल — जानने के लिये पुरी पोस्ट पढ़ें

धरती की सबसे मंहंगी जगह सरहिंद (पंजाब), जिला फतेहगढ़ साहब में है, यहां पर श्री गुरुगोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों का अंतिम संस्कार
किया गया था।

सेठ दीवान टोंडर मल ने यह जगह 78000 सोने की मोहरे (सिक्के) जमीन पर फैला कर मुस्लिम बादशाह से ज़मीन खरीदी थी।

सोने की कीमत के मुताबिक इस 4 स्कवेयर मीटर जमीन की कीमत 2500000000 (दो अरब पचास करोड़) बनती है।

दुनिया की सबसे मंहंगी जगह खरीदने का रिकॉर्ड आज सिख धर्म के इतिहास में दर्ज करवाया गया है। आजतक दुनिया के इतिहास में इतनी मंहंगी जगह कही नही खरीदी गयी।

दुनिया के इतिहास में ऐसा युद्ध ना कभी किसी ने पढ़ा होगा ना ही सोचा होगा, जिसमे 10 लाख की फ़ौज का सामना महज 42 लोगों के साथ हुआ था

और जीत किसकी होती है..??

उन 42 सूरमो की !

यह युद्ध ‘चमकौर युद्ध’ (Battle of Chamkaur) के नाम से भी जाना जाता है जो कि मुग़ल योद्धा वज़ीर खान की अगवाई में 10 लाख की फ़ौज का सामना सिर्फ 42 सिखों के सामने 6 दिसम्बर 1704 को हुआ जो की गुरु गोबिंद सिंह जी की अगवाई में तैयार हुए थे !

नतीजा यह निकलता है की उन 42 शूरवीर की जीत होती है जो की मुग़ल हुकूमत की नीव जो की बाबर ने रखी थी , उसे जड़ से उखाड़ दिया और भारत को आज़ाद भारत का दर्ज़ा दिया।

औरंगज़ेब ने भी उस वक़्त गुरु गोबिंद सिंह जी के आगे घुटने टेके और मुग़ल राज का अंत हुआ हिन्दुस्तान से ।

तभी औरंगजेब ने एक प्रश्न किया गुरुगोबिंद सिंह जी के सामने। कि यह कैसी फ़ौज तैयार की आपने जिसने 10 लाख की फ़ौज को उखाड़ फेंका।

गुरु गोबिंद सिंह जी ने जवाब दिया

“चिड़ियों से मैं बाज लडाऊं , गीदड़ों को मैं शेर बनाऊ।”
“सवा लाख से एक लडाऊं तभी गोबिंद सिंह नाम कहाउँ !!”

गुरु गोबिंद सिंह जी ने जो कहा वो किया, जिन्हे आज हर कोई शीश झुकता है , यह है हमारे भारत की अनमोल विरासत जिसे हमने कभी पढ़ा ही नहीं !

अगर आपको यकीन नहीं होता तो एक बार जरूर गूगल में लिखे ‘बैटल ऑफ़ चमकौर’ और सच आपको पता लगेगा ,

आपको अगर थोड़ा सा भी अच्छा लगा और आपको भारतीय होने का गर्व है तो जरूर इसे आगे शेयर करे जिससे की हमारे भारत के
गौरवशाली इतिहास के बारे में दुनिया को पता लगे !

***कुछ आगे *##***

चमकौर साहिब की जमीन आगे चलकर एक सिख परिवार ने खरीदी उनको इसके इतिहास का कुछ पता नहीं था । इस परिवार में आगे चलकर जब उनको पता चला के यहाँ गुरु गोबिंद सिंह जी के दो बेटे शहीद हुए है तो उन्हों ने यह जमीन गुरु जी के बेटो की यादगार ( गुरुद्वारा साहिब) के लिए देने का मन बनाया ….जब अरदास करने के समय उस सिख से पूछा गया के अरदास में उनके लिए गुरु साहिब से क्या बेनती करनी है ….

तो उस सिख ने कहा के गुरु जी से बेनती करनी है के मेरे घर कोई औलाद ना हो ताकि मेरे वंश में कोई भी यह कहने वाला ना हो के यह जमीन मेरे बाप दादा ने दी है ।

वाहेगुरु….और यही अरदास हुई और बिलकुल ऐसा ही हुआ उन सिख के घर कोई औलाद नहीं हुई……

अब हम अपने बारे में सोचेh 50….100 रु. दे कर क्या माँगते है । वाहे गुरु….

🙏वाहेगुरु जी का खालसा,
वाहेगुरु जी की फतेह जी 🙏👏

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