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चंडीगढ़:-19 जून:– आरके विक्रमा शर्मा/ अनिल शारदा/ करण शर्मा/ राजेश पठानिया प्रस्तुति:—-*जून मास के तीसरे रविवार को मनाते हैं हम पितृ दिवस,*

 

*पिता* *प:* प्यार, *इ:* इच्छाओं, *त:* तरक्की, *आ:* आशीषों का भण्डार होता है पिता ।

 

क्या एक दिन मना कर पितृ दिवस ।

हम घटा रहे पिता का सम्मान नही ।

क्या हमारा हर दिन पितृ दिवस नहीं ।

पिता के अंश से ही हमने जीवन पाया ।

हमारे पैदा होने पर वो खुशी हुए अपार ।

ना जाने कितनी दुआऐ मागी होंगी पाने को हमे ।

उनसे ही हमे जीवन के सब रिश्ते मिले ।

उन्होंने ही हमे उठना बैठना बोलना सिखाया ।

अंगुली पकड कर चलना उन्होंने सिखाया ।

आरम्भिक शिक्षा घर पर ही दी उन्होने ।

फिर पढ़ने हमे स्कूल था भिजवाया ।

हर इच्छा हमारी पूरी सदा की उन्होंने ।

तब अपनी इच्छाओं को भूल गए वो ।

साधन कम होने पर भी हमे हर चीज दिलाई ।

उनके होते दुनिया की हर चीज थी हमारी ।

पढ़ाई जब हमने पूरी कर ली अपनी ।

हमारे रोजगार के लिए हर प्रयास किया उन्होंने ।

हमारी इच्छा अनुसार जीवन साथी दिलवाया ।

जीवन की हर अच्छी बात उन्होंने हमे सिखाई ।

दुनिया में केवल पिता ही ये चाहता है ।

कि उसके बच्चे सदा उससे आगे रहें ।

बाकी सभी रिशते तुम से आगे हैं रहना चाहते ।

पोता पोती के होने पर उसकी खुशियो का थाह नहीं ।

होने पर उनके वो सब कमियों को भूल जाते ।

पर ना जाने क्यों आज कल कुछ बच्चे ।

भूल जाते हैं उनके किए सब उपकार ।

और उन्हें छोड़ आते हैं वृद्ध आश्रमों में ।

देते है वो वहां से भी अपने बच्चों को आशीष ।

पिता से सुन्दर दुनिया मे नहीं कोई रिश्ता ।

पिता के बारे मे सब कोई कलम लिख नहीं सकती ।

भूल जाओ केवल इक दिन की बात ।

हर दिन पिता का मन से सम्मान करो ।

धन् धन हर पिता को मन से प्रणाम ।

 

🙏🌹 *पिता को हर क्षण नमन्* 🌹🙏

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