चंडीगढ़:17 जून: अल्फा न्यूज़ इंडिया प्रस्तुति:—_दिन (वार) – शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।_*
*_शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय “श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टक पाठ करें।
*_ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥_*
*_।।नारायण सभी का नित्य कल्याण करें सभी सदा खुश एवं प्रशन्न रहें।।_*
🌌 *_दिन (वार) – शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।_*
*_शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय “श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम” एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें ।_*
*_शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।_*
*_शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की आराधना करने से जीवन में समस्त सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है बड़ा भवन, विदेश यात्रा के योग बनते है।_*
🔮 *
⚜️ *_दिशाशूलः- शुक्रवार को पश्चिम दिशा में यात्रा नहीं करना चाहिए तथा ज्यादा आवश्यक हो तो घर से दही खाकर निकलें।_*
🚓 *_यात्रा शकुन- शुक्रवार को मीठा दही खाकर यात्रा पर निकलें।_*
👉🏼 *_आज का मंत्र-ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:।_*
🤷🏻♀️ *_आज का उपाय-गणेश मंदिर में मोदक चढाएं।_*
🪵 *_वनस्पति तंत्र उपाय-गूलर के वृक्ष में जल चढ़ाएं।_*
⚛️ *_पर्व एवं त्यौहार – संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत, चतुर्थी तिथि का क्षय, श्री लिएंडर पेस जन्म दिवस, श्री भगत सिंह कोश्यारी जन्म दिवस, डॉ. कैलाश नाथ काटजू जयन्ती, विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस_*
✍🏼 *_विशेष – तृतीया तिथि में नमक का दान तथा भक्षण दोनों ही त्याज्य बताया गया है। तृतीया तिथि एक सबला अर्थात बल प्रदान करने वाली तिथि मानी जाती है। इतना ही नहीं यह तृतीया तिथि आरोग्यकारी रोग निवारण करने वाली तिथि भी मानी जाती है। इस तृतीया तिथि की स्वामिनी माता गौरी और इसके देवता कुबेर देवता हैं। यह तृतीया तिथि जया नाम से विख्यात मानी जाती है। यह तृतीया तिथि शुक्ल पक्ष में अशुभ तथा कृष्ण पक्ष में शुभफलदायिनी मानी जाती है।_*
🗺️ *वास्तु सुझाव_* 🗽
*_हम सबने अक्सर बड़े-बुजुर्गों से सुना है कि गर्म तवे में पानी नहीं डालना चाहिए, लेकिन क्या आप इसकी वजह जानते हैं? अगर नहीं तो हम आपको बताने वाले हैं कि गर्म तवे पर पानी डालने से क्यों मना किया जाता है? ऐसा करने से वास्तु दोष होता है, साथ ही तवे को राहु का रूप माना जाता है इसलिए भी इससे जुड़े नियमों का पालन करना चाहिए। आइए इसे समझते हैं।_*
*_क्या होता है गर्म तवे पर पानी डालने से? दरअसल गर्म तवे में पानी डालने से जो आवाज आती है वो अशुभ मानी जाती है, जब तवा इतना ठंडा हो जाए कि उसमें पानी डालने से आवाज न आए तब हम पानी डाल सकते हैं। मान्यता है कि गर्म तवे में पानी डालने से तबीयत खराब हो सकती है और जीवन में परेशानियां आ सकती हैं।_*
*₹तवा रखने की जगह तवा का प्रतिनिधित्व राहु करते हैं इसलिए तवे को ऐसी जगह रखना चाहिए जहां किसी की नजर सीधी न पड़े। घर के तवे पर किसी बाहरवाले की नजर पड़ना शुभ नहीं होता है। वहीं तवे को हमेशा साफ करके रखना चाहिए।_*
*_उल्टा न रखें तवा अगर कभी तवा आप उल्टा करके या लेटाकर रखते हैं तो ऐसा न करें, ऐसा करने से राहुदोष बढ़ता है और मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है।_*
*_तवे में रोटी बनाने से पहले छिड़कें पानी तवे में रोटी बनाने से पहले अगर पानी छिड़कते हैं तो इससे घर के सदस्यों में प्रेम भाव उत्पन्न होता है और गुस्सा शांत होता है।_*
*_तवे पर रोटी बनाने से पहले छिड़कें नमक मान्यता है कि नमक में लक्ष्मी जी का वास होता है और अगर आप रोटी बनाने से पहले जरा सा नमक उसपर छिड़कते हैं तो घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती है, साथ ही किटाणु भी मर जाते हैं।_*
*_गाय को खिलाएं पहली रोटी पहली रोटी गाय या किसी पक्षी को खिलाना शुभ होता है वहीं आखिरी रोटी आप कुत्ते को देंगे तो शुभ होगा।_*
⚜️ *_जीवनोपयोगी कुंजियां_*
*_बादाम और पिस्ते में पोली अनसेच्यूरेटेड फैटी एसिड्स होते हैं जो रक्त में कि एलडीएल का स्तर कम करते हैं। इसलिये 5 से 7 बादाम और पिस्ता आप रोज़ाना खाएं।_*
*_अंकुरित अनाज खाने से उसमें मौजूद फाइबर्स बुरे कोलेस्ट्रॉल को आंतों से अवशोषित होने की दर को कम करता है। फाइबर्स लेने से कब्ज़ भी नहीं होता जिससे भी शरीर निरोगी रहता है।_*
*।_*
*_जैतून का तेल वह शानदार तेल है जिसे आप जितना लेंगे यह उतना ही आपका बुरा कोलेस्ट्रॉल कम करेगा। खाना पकाने में एवं सलाद पर डालकर खाने में इसका प्रयोग करना चाहिए।_*
*_सेम, मसूर और राजमा में उच्च फाइबर्स का स्तर होता है, इसलिए यह भी बड़े हुए कोलेस्ट्रॉल को कम करता है।_*
*_संतरा, अन्नानास पाइनेपल मोटापा एवं कोलेस्ट्रॉल दोनों को कम करने वाला एक प्रसिद्ध फल है। नीबू, संतरा, सेब और पीअर्स भी कोलेस्ट्रॉल के रोगियों के लिये लाभदायक हैं।_*
*_हरी पत्तेदार सब्ज़ियां कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करने में अपना अद्भुत योगदान दे सकती हैं बशर्ते आप उन्हें ज्यादा तेल में तलकर न खाएं। सलाद एवं उबालकर खाना ज्यादा लाभदायक होता है।_*
*_सेब का सिरका सेब का सिरका कोलेस्ट्रॉल के रोगियों के लिये अमृत है। इसे रोज़ाना सुबह एक चम्मच लेकर एक कप पानी में मिलाकर लेना चाहिए।_*
*_आरोग्य संजीवनी_*
*_हल्की आदतें, चिन्ति स्वभाव, बीमारी आदि सब गायब !_*
*_दवाइयों से रोग नहीं मिटते, दवाइयाँ तो निमित्त होती है, रोग तो आपकी पुण्याई से और आपकी रोगप्रतिकारक शक्ति से मिटते है | अगर दवाइयों से ही रोग मिटते होते तो जवान का ऑपरेशन होने पर थोड़े दिनों में घाव क्यों ठीक होता और बूढ़े व्यक्ति का वही ऑपरेशन होने पर ठीक होने में ज्यादा दिन क्यों लगते हैं ? बूढ़े व्यक्ति की बीमारी मिटने में ज्यादा दिन क्यों लगते हैं और जवान की बीमारी जल्दी क्यों मिटटी हैं ? जिनकी रोगप्रतिकारक शक्ति, प्राणशक्ति, मन: शक्ति दुर्बल है उनके रोग देर से मिटते हैं और जिनकी मन:शक्ति सबल हैं उनको रोग होते नहीं और कभी हो भी जायें तो जल्दी मिट जाते हैं |_*
*_यह जो एलोपैथी के डॉक्टरों को भी मानना पड़ेगा, वैज्ञानकों को भी मानना पड़ेगा और आस्तिक जगत के लोग तो मानते ही हैं | आपमें विचारशक्ति का बल है | दुनिया में कई शक्तियाँ है – विद्युत् शक्ति हैं, परमाणु शक्ति है ….⁶ तमाम शक्तियाँ है | उन सब शक्तियों की ऐसी -तैसी करनेवाली आपकी विचारशक्ति है |_*
*_जो मुसीबतों से, दु:खों से दबे रहते हैं | तो ‘महाराज ! दुःख तो हमारे पास बहुत है , हम तो दु:खों से डर रहे हैं |’ नहीं | लम्बा श्वास लो, भगवान के नाम का उच्चारण करो | जितने मिनट उच्चारण करो उसके आधे मिनट चुपचाप बैठो और मानसिक उच्चारण होने दो | कितनी भी हल्की आदत होगी, कितना भी डरावना स्वभाव होगा, चिंतित स्वभाव होगा – बीमारी का, तनाव का , वह सब थोड़े दिनों में गायब_*
*_गुरु भक्ति योग_*
*_गुरु शिष्य बधिर अंध कर लेखा। एक सुनहि एक नहिं देखा॥ हरहिं शिष्य धन, शोक न हरहीं। ते गुरु घोर नरक मँह परहीं॥_*
*_भजन करने में या भक्ति में अपने आपको जिसकी भक्ति या भजन किया जाता है उसके प्रति समर्पित करना होता है। जब तक समर्पण नहीं होता तब तक भक्ति में एकाग्रता नहीं आती और एकाग्रता के बिना योग सिद्ध नहीं होता। फल की प्राप्ति नहीं होती। ज्ञानी भक्त समर्पण के पूर्व यह जानता है कि जिसको वह आत्म समर्पण कर रहा है वह उसकी नाव को पार लगा भी देगा या नहीं। उनके गुण अवगुणों की खोजबीन करके तब आगे कदम रखता है। गुणों व कारण जो उनकी प्राप्ति के लिए आत्म समर्पण करता है वह उनकी शक्ति या गुणों को अपने भीतर बुलाने और बसा लेने की तैयारी किए रहता है इसलिए आत्म समर्पण करने के साथ जिसकी भक्ति की जाती है उसकी शक्तियाँ या गुण साधना आरम्भ होते ही साधक के अन्त में प्रवेश करना तथा स्थित होना आरम्भ कर देते हैं। लेकिन जहाँ भक्ति तो होती है परन्तु या तो साधक के अनुकूल जिसकी भक्ति की जाती है उसमें गुण या शक्ति नहीं होती तो उसके अंदर उन गुण और शक्तियों का ही प्रवेश होना आरम्भ होता है जो कि जिसकी साधना की जाती है, उसमें होती है। इसलिए अंधविश्वास अयोग्य के साथ सम्बंध स्थापित कर पतन के मार्ग पर ही अग्रसर होते हैं। पर ज्ञानी जीवन भर अपने विश्वास को लेकर योग्य पात्र के साथ जब संबंध स्थापित करता है तब निरंतर प्रगति करता जाता है।_*
*_आत्म समर्पण में लेना और धारण करना ये दोनों ही क्रियायें होती हैं। लेने की योग्यता देखकर जिसकी भक्ति की जाती है वह अपनी शक्तियों को शिष्य के अंतर में प्रवाहित करना आरंभ कर देता है यदि न भी करे तो भी सजातीय अकर्षण के कारण वे दौड़-दौड़ कर उसके अन्तर में प्रविष्ट एवं स्थिर होना आरंभ कर देती हैं। इसलिए भक्त को अपना अन्तर जान लेने की सबल माँग तथा आगत शक्तियों को रोके रखने-या बसा लेने की दृढ़ इच्छा को जगाये रखने की आवश्यकता होती है। ज्ञान में जितनी तीव्रता होती है, साधना में उतनी ही सरलता आती है और सिद्धि में उतनी ही दृढ़ता आती है।_*
*_किसी भी योग की साधना की जावे जब तक मनुष्य को सिद्धि नहीं मिल जाती तब तक उसे कष्ट सहने पड़ते हैं। पर साधक जब ज्ञानपूर्वक भक्तियोग की साधना में दत्तचित्त हो जाता है तब उन कष्टों की ओर से उसका मन ऊपर उठ जाने के कारण कष्टों का उसे अनुभव नहीं होता। सिद्धि की आरंभिक अवस्था का श्री गणेश यहीं से होता है। इसलिए भक्ति योग की साधना का आरंभ तभी से समझना चाहिए जब से उसमें कष्ट सहिष्णुता बढ़ती जावे। लक्ष्य की ओर मन लग जाने से वासनायें भी अपना घर नहीं बना पातीं इसलिए आरंभ से ही मनुष्य की निवृत्ति दुर्वासनाओं से होने लगती हैं। दुर्वासनाओं की निवृत्ति शान्ति का सृजन करती हैं उधर कष्ट सहिष्णुता शान्ति का दृढ़ करती है। योग का लक्ष्य या पूर्ण शाँति है वह मिलना आरम्भ हो जाता है। इसलिए साधना को सिद्धि का तुरंत ही अनुभव मिलने से दृढ़ता उत्पन्न होती है और मनुष्य अन्त तक अपनी साधना पर दृढ़ रहता है।_*
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⚜️ *_तृतीया तिथि केवल बुधवार की हो तो अशुभ मानी जाती है। अन्यथा इस तृतीया तिथि को सभी शुभ कार्यों में लिया जा सकता है। आज तृतीया तिथि को माता गौरी की पूजा करके व्यक्ति अपनी मनोवाँछित कामनाओं की पूर्ति कर सकता है। आज तृतीया तिथि में एक स्त्री माता गौरी की पूजा करके अचल सुहाग की कामना करे तो उसका पति सभी संकटों से मुक्त हो जाता है। आज तृतीया तिथि को भगवान कुबेर जी की विशिष्ट पूजा करनी चाहिये। देवताओं के कोषाध्यक्ष की पूजा आज तृतीया तिथि को करके मनुष्य अतुलनीय धन प्राप्त कर सकता है।_*
*_तृतीया तिथि में जन्म लेने वाला व्यक्ति मानसिक रूप से अस्थिर होता है अर्थात उनकी बुद्धि भ्रमित होती है। इस तिथि का जातक आलसी और मेहनत से जी चुराने वाला होता है। ये दूसरे व्यक्ति से जल्दी घुलते मिलते नहीं हैं बल्कि लोगों के प्रति इनके मन में द्वेष की भावना भी रहती है। इनके जीवन में धन की कमी रहती है, इन्हें धन कमाने के लिए काफी मेहनत और परिश्रम करना पड़ता है।_*
समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें ।_*
*_शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।_*
*_शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की आराधना करने से जीवन में समस्त सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है बड़ा भवन, विदेश यात्रा के योग बनते है।_*
⚜️ *_दिशाशूलः- शुक्रवार को पश्चिम दिशा में यात्रा नहीं करना चाहिए तथा
🗺️ *_वासतु सुझाव_* 🗽
*_हम सबने अक्सर बड़े-बुजुर्गों से सुना है कि गर्म तवे में पानी नहीं डालना चाहिए, लेकिन क्या आप इसकी वजह जानते हैं? अगर नहीं तो हम आपको बताने वाले हैं कि गर्म तवे पर पानी डालने से क्यों मना किया जाता है? ऐसा करने से वास्तु दोष होता है, साथ ही तवे को राहु का रूप माना जाता है इसलिए भी इससे जुड़े नियमों का पालन करना चाहिए। आइए इसे समझते हैं।_*
*_क्या होता है गर्म तवे पर पानी डालने से? दरअसल गर्म तवे में पानी डालने से जो आवाज आती है वो अशुभ मानी जाती है, जब तवा इतना ठंडा हो जाए कि उसमें पानी डालने से आवाज न आए तब हम पानी डाल सकते हैं। मान्यता है कि गर्म तवे में पानी डालने से तबीयत खराब हो सकती है और जीवन में परेशानियां आ सकती हैं।_*
*₹तवा रखने की जगह तवा का प्रतिनिधित्व राहु करते हैं इसलिए तवे को ऐसी जगह रखना चाहिए जहां किसी की नजर सीधी न पड़े। घर के तवे पर किसी बाहरवाले की नजर पड़ना शुभ नहीं होता है। वहीं तवे को हमेशा साफ करके रखना चाहिए।_*
*_उल्टा न रखें तवा अगर कभी तवा आप उल्टा करके या लेटाकर रखते हैं तो ऐसा न करें, ऐसा करने से राहुदोष बढ़ता है और मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है।_*
*_तवे में रोटी बनाने से पहले छिड़कें पानी तवे में रोटी बनाने से पहले अगर पानी छिड़कते हैं तो इससे घर के सदस्यों में प्रेम भाव उत्पन्न होता है और गुस्सा शांत होता है।_*
*_तवे पर रोटी बनाने से पहले छिड़कें नमक मान्यता है कि नमक में लक्ष्मी जी का वास होता है और अगर आप रोटी बनाने से पहले जरा सा नमक उसपर छिड़कते हैं तो घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती है, साथ ही किटाणु भी मर जाते हैं।_*
*_गाय को खिलाएं पहली रोटी पहली रोटी गाय या किसी पक्षी को खिलाना शुभ होता है वहीं आखिरी रोटी आप कुत्ते को देंगे तो शुभ होगा।_*
⚜️ *_जीवनोपयोगी कुंजियां_*
*_बादाम और पिस्ते में पोली अनसेच्यूरेटेड फैटी एसिड्स होते हैं जो रक्त में कि एलडीएल का स्तर कम करते हैं। इसलिये 5 से 7 बादाम और पिस्ता आप रोज़ाना खाएं।_*
*_अंकुरित अनाज खाने से उसमें मौजूद फाइबर्स बुरे कोलेस्ट्रॉल को आंतों से अवशोषित होने की दर को कम करता है। फाइबर्स लेने से कब्ज़ भी नहीं होता जिससे भी शरीर निरोगी रहता है।_*
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*_जैतून का तेल वह शानदार तेल है जिसे आप जितना लेंगे यह उतना ही आपका बुरा कोलेस्ट्रॉल कम करेगा। खाना पकाने में एवं सलाद पर डालकर खाने में इसका प्रयोग करना चाहिए।_*
*_सेम, मसूर और राजमा में उच्च फाइबर्स का स्तर होता है, इसलिए यह भी बड़े हुए कोलेस्ट्रॉल को कम करता है।_*
*_संतरा, अन्नानास पाइनेपल मोटापा एवं कोलेस्ट्रॉल दोनों को कम करने वाला एक प्रसिद्ध फल है। नीबू, संतरा, सेब और पीअर्स भी कोलेस्ट्रॉल के रोगियों के लिये लाभदायक हैं।_*
*_हरी पत्तेदार सब्ज़ियां कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करने में अपना अद्भुत योगदान दे सकती हैं बशर्ते आप उन्हें ज्यादा तेल में तलकर न खाएं। सलाद एवं उबालकर खाना ज्यादा लाभदायक होता है।_*
*_सेब का सिरका सेब का सिरका कोलेस्ट्रॉल के रोगियों के लिये अमृत है। इसे रोज़ाना सुबह एक चम्मच लेकर एक कप पानी में मिलाकर लेना चाहिए।_*
*_आरोग्य संजीवनी_*
*_हल्की आदतें, चिन्ति स्वभाव, बीमारी आदि सब गायब !_*
*_दवाइयों से रोग नहीं मिटते, दवाइयाँ तो निमित्त होती है, रोग तो आपकी पुण्याई से और आपकी रोगप्रतिकारक शक्ति से मिटते है | अगर दवाइयों से ही रोग मिटते होते तो जवान का ऑपरेशन होने पर थोड़े दिनों में घाव क्यों ठीक होता और बूढ़े व्यक्ति का वही ऑपरेशन होने पर ठीक होने में ज्यादा दिन क्यों लगते हैं ? बूढ़े व्यक्ति की बीमारी मिटने में ज्यादा दिन क्यों लगते हैं और जवान की बीमारी जल्दी क्यों मिटटी हैं ? जिनकी रोगप्रतिकारक शक्ति, प्राणशक्ति, मन: शक्ति दुर्बल है उनके रोग देर से मिटते हैं और जिनकी मन:शक्ति सबल हैं उनको रोग होते नहीं और कभी हो भी जायें तो जल्दी मिट जाते हैं |_*
*_यह जो एलोपैथी के डॉक्टरों को भी मानना पड़ेगा, वैज्ञानकों को भी मानना पड़ेगा और आस्तिक जगत के लोग तो मानते ही हैं | आपमें विचारशक्ति का बल है | दुनिया में कई शक्तियाँ है – विद्युत् शक्ति हैं, परमाणु शक्ति है ….⁶ तमाम शक्तियाँ है | उन सब शक्तियों की ऐसी -तैसी करनेवाली आपकी विचारशक्ति है |_*
*_जो मुसीबतों से, दु:खों से दबे रहते हैं | तो ‘महाराज ! दुःख तो हमारे पास बहुत है , हम तो दु:खों से डर रहे हैं |’ नहीं | लम्बा श्वास लो, भगवान के नाम का उच्चारण करो | जितने मिनट उच्चारण करो उसके आधे मिनट चुपचाप बैठो और मानसिक उच्चारण होने दो | कितनी भी हल्की आदत होगी, कितना भी डरावना स्वभाव होगा, चिंतित स्वभाव होगा – बीमारी का, तनाव का , वह सब थोड़े दिनों में गायब_*
*_गुरु भक्ति योग_*
*_गुरु शिष्य बधिर अंध कर लेखा। एक सुनहि एक नहिं देखा॥ हरहिं शिष्य धन, शोक न हरहीं। ते गुरु घोर नरक मँह परहीं॥_*
*_भजन करने में या भक्ति में अपने आपको जिसकी भक्ति या भजन किया जाता है उसके प्रति समर्पित करना होता है। जब तक समर्पण नहीं होता तब तक भक्ति में एकाग्रता नहीं आती और एकाग्रता के बिना योग सिद्ध नहीं होता। फल की प्राप्ति नहीं होती। ज्ञानी भक्त समर्पण के पूर्व यह जानता है कि जिसको वह आत्म समर्पण कर रहा है वह उसकी नाव को पार लगा भी देगा या नहीं। उनके गुण अवगुणों की खोजबीन करके तब आगे कदम रखता है। गुणों व कारण जो उनकी प्राप्ति के लिए आत्म समर्पण करता है वह उनकी शक्ति या गुणों को अपने भीतर बुलाने और बसा लेने की तैयारी किए रहता है इसलिए आत्म समर्पण करने के साथ जिसकी भक्ति की जाती है उसकी शक्तियाँ या गुण साधना आरम्भ होते ही साधक के अन्त में प्रवेश करना तथा स्थित होना आरम्भ कर देते हैं। लेकिन जहाँ भक्ति तो होती है परन्तु या तो साधक के अनुकूल जिसकी भक्ति की जाती है उसमें गुण या शक्ति नहीं होती तो उसके अंदर उन गुण और शक्तियों का ही प्रवेश होना आरम्भ होता है जो कि जिसकी साधना की जाती है, उसमें होती है। इसलिए अंधविश्वास अयोग्य के साथ सम्बंध स्थापित कर पतन के मार्ग पर ही अग्रसर होते हैं। पर ज्ञानी जीवन भर अपने विश्वास को लेकर योग्य पात्र के साथ जब संबंध स्थापित करता है तब निरंतर प्रगति करता जाता है।_*
*_आत्म समर्पण में लेना और धारण करना ये दोनों ही क्रियायें होती हैं। लेने की योग्यता देखकर जिसकी भक्ति की जाती है वह अपनी शक्तियों को शिष्य के अंतर में प्रवाहित करना आरंभ कर देता है यदि न भी करे तो भी सजातीय अकर्षण के कारण वे दौड़-दौड़ कर उसके अन्तर में प्रविष्ट एवं स्थिर होना आरंभ कर देती हैं। इसलिए भक्त को अपना अन्तर जान लेने की सबल माँग तथा आगत शक्तियों को रोके रखने-या बसा लेने की दृढ़ इच्छा को जगाये रखने की आवश्यकता होती है। ज्ञान में जितनी तीव्रता होती है, साधना में उतनी ही सरलता आती है और सिद्धि में उतनी ही दृढ़ता आती है।_*
*_किसी भी योग की साधना की जावे जब तक मनुष्य को सिद्धि नहीं मिल जाती तब तक उसे कष्ट सहने पड़ते हैं। पर साधक जब ज्ञानपूर्वक भक्तियोग की साधना में दत्तचित्त हो जाता है तब उन कष्टों की ओर से उसका मन ऊपर उठ जाने के कारण कष्टों का उसे अनुभव नहीं होता। सिद्धि की आरंभिक अवस्था का श्री गणेश यहीं से होता है। इसलिए भक्ति योग की साधना का आरंभ तभी से समझना चाहिए जब से उसमें कष्ट सहिष्णुता बढ़ती जावे। लक्ष्य की ओर मन लग जाने से वासनायें भी अपना घर नहीं बना पातीं इसलिए आरंभ से ही मनुष्य की निवृत्ति दुर्वासनाओं से होने लगती हैं। दुर्वासनाओं की निवृत्ति शान्ति का सृजन करती हैं उधर कष्ट सहिष्णुता शान्ति का दृढ़ करती है। योग का लक्ष्य या पूर्ण शाँति है वह मिलना आरम्भ हो जाता है। इसलिए साधना को सिद्धि का तुरंत ही अनुभव मिलने से दृढ़ता उत्पन्न होती है और मनुष्य अन्त तक अपनी साधना पर दृढ़ रहता है।_*
. *☞✺═══🪔✺═══✺☜*
⚜️ *_तृतीया तिथि केवल बुधवार की हो तो अशुभ मानी जाती है। अन्यथा इस तृतीया तिथि को सभी शुभ कार्यों में लिया जा सकता है। आज तृतीया तिथि को माता गौरी की पूजा करके व्यक्ति अपनी मनोवाँछित कामनाओं की पूर्ति कर सकता है। आज तृतीया तिथि में एक स्त्री माता गौरी की पूजा करके अचल सुहाग की कामना करे तो उसका पति सभी संकटों से मुक्त हो जाता है। आज तृतीया तिथि को भगवान कुबेर जी की विशिष्ट पूजा करनी चाहिये। देवताओं के कोषाध्यक्ष की पूजा आज तृतीया तिथि को करके मनुष्य अतुलनीय धन प्राप्त कर सकता है।_*
*_तृतीया तिथि में जन्म लेने वाला व्यक्ति मानसिक रूप से अस्थिर होता है अर्थात उनकी बुद्धि भ्रमित होती है। इस तिथि का जातक आलसी और मेहनत से जी चुराने वाला होता है। ये दूसरे व्यक्ति से जल्दी घुलते मिलते नहीं हैं बल्कि लोगों के प्रति इनके मन में द्वेष की भावना भी रहती है। इनके जीवन में धन की कमी रहती है, इन्हें धन कमाने के लिए काफी मेहनत और परिश्रम करना पड़ता है।_*