चंडीगढ़: 16 जून: राजेश पठानिया/ अनिल शारदा प्रस्तुति:– भारतीयों के लिए वरदान #अग्निपथ योजना….
पहला साल- 21,000×12= 2,52,000
दूसरा साल- 23,100×12= 2,77,200
तीसरा साल- 25,580×12= 3,06,960
चौथा साल- 28,000×12= 3,36,000
कुल मिला कर 11 लाख 72 हज़ार 160 रुपए, चार सालों में मिलेंगे उसके बाद, रिटायरमेंट पर 11 लाख 71 हज़ार।
मियां बाबू, जॉब आर्मी की है, रहना खाना, इलाज वगैरह सब फ़्री है, मतलब जो उम्र नुक्कड़ों पर चाय सिगरेट में निकल जाती है, उन 4 सालों में 23 लाख 43 हज़ार 160 रुपये कमाने का सुनहरा अवसर है। आप 17 से 23 साल की उम्र के लड़के अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना को जॉइन ज़रूर कीजिए। समझिए मोदी जी सरकारी पैसों से 4 साल आपको आर्मी की ट्रेनिंग देंगे, साथ मे इतने सारे पैसे भी, जॉब वैसे भी नहीं है, बारवीं या गरेड्यूशन करने के बाद सीधे अग्निपथ के रास्ते पर चले जाइए, यही आपका भविष्य है और हमारा भी।
उसके बाद 24-25 की उम्र में रिटायरमेंट के बाद, इन पैसों से कोई बिजनेस शुरू कर लीजिएगा, या नहीं तो इंडियन आर्मी की ट्रेनिंग के साथ गल्फ़ तो है ही, आर्मी का अनुशासन आपके बहुत काम आएगा। लाइफ जैसी अभी चल रही है, उससे बेहतर तय है। तो आप अग्निपथ योजना के विरोध का हिस्सा मत बनिए बल्कि ये समझिए कि, आप के लिए बल्क में, आर्मी तक नहीं पहुँचने का जो आरक्षण था अब वो ख़त्म हो चुका है।
अपना मुस्तक़बिल सुरक्षित कीजिए और सोचिए 24 के उम्र में 0 से आर्मी ट्रेनिंग के साथ कुल मिला कर 11 लाख रूपये सैलरी के रूप में मिलने वाला पूरा पैसा अगर आप ख़त्म भी कर देते हैं तो रिटायरमेंट के वक़्त मिलने वाला 11 लाख 71 हज़ार रुपिया कम नहीं है।।
हिन्दू अभी भी इस योजना में कमियां ढूंढ रहा है……जो उसके सशास्त्रिकरण की पहली सीढ़ी है , पर “उनको” ये अच्छे से समझ आगया है ये गजवा-ए-हिन्द की राह में मोदी ने फिर एक रोड़ा अटका दिया है…देश में 50% लोग ऐसे हैं जो पूरी उम्र में इतना पैसा नहीं कमाते जो 4 साल में अग्नीपथ से आयेंगे l
साथ ही भविष्य उन लोगो को ही प्राथमिकता मिलेगी जो #अग्निवीर होंगे इसकी भी शुरुआत यूपी से हो गई है…..!!
नमस्कार.. मैं हूँ पुण्य प्रसून बाजपेयी.. बेरोज़गारी के लंबे आलम में आपका स्वागत है (हाथ मसलते हुए)
बीते कुछ बरसों से मोदी सरकार पर ये आरोप था कि वो युवाओं के लिए कुछ नहीं कर रही है और रोज़गार के नाम पर प्रधानमंत्री मोदी पकौड़े तलने की बात करते हैं.. वैसे पकौड़ों से याद आया बड़े दिन हो गए पकौड़े खाये को.. एक तो रोज़गार नहीं ऊपर से बेरोज़गारी और इन सबके ऊपर महँगा तेल.. फ़िलहाल तो बरसात के मौसम में भी पकौड़ों के बारे में सोचकर ही खुश हुआ जा सकता है..
दरअसल इस दौर में केंद्र सरकार एक योजना लाती है उसे नाम देती है “अग्निपथ” इसमें केंद्र सरकार दावा करती है कि वो 17 से 21 वर्ष के युवाओं को मिलिट्री ट्रेनिंग देगी, एक अच्छी खासी तनख़्वाह भी उन्हें दी जाएगी.. इनमें से मात्र 25% को वो भारतीय सेना में शामिल करेगी और बाकी के 75% को एकमुश्त कोई 10-11 लाख रुपये भी देगी..
सेना का अनुशासन, प्रशिक्षण पाए ये युवा इन पैसों से स्वयं का कोई रोज़गार शुरू कर सकते हैं.. इन्हें कहीं निवेश कर सकते हैं.. इसके अलावा उन्हें निजी क्षेत्रों में भी अच्छी तनख़्वाह मिलेगी..
दरअसल अगर ग़ौर से देखा जाए तो मोदी सरकार की ये योजना दमदार मालूम होती है.. और जिस तरीके से विपक्ष ने इसका विरोध शुरू किया है और युवाओं को भड़काना और बरगलाना शुरू किया है उससे तो लगता है कि अग्निपथ योजना वाक़ई विपक्ष को आग लगाने वाली है और विपक्ष इसमें अग्निवीर की बनने की बजाय स्वयं राख ना हो जाये..
जो विपक्ष कभी सरकार में रहकर मनरेगा गड्ढे खोदने जैसी योजना पर अपनी पीठ थपथपाता फिरता था.. 365 में से मात्र 100 दिन रोज़गार की गारंटी देकर, बाकी के 265 दिन गरीब को उसके हाल पर मरने को छोड़ देता था.. फ़ूड सिक्योरिटी बिल के नाम पर अपनी पीठ थपथपाता था वो आज इस अग्निपथ योजना को फालतू बता रहा है..
फ़िलहाल इस योजना के पक्ष और विपक्ष में दलीलें दी जा रही है.. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस योजना पर सवालिया निशान लगाए हैं और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी मोदी सरकार पर निशाना साधा है.. ये और बात है कि राहुल गांधी को NCC के बारे में नहीं पता और अरविंद केजरीवाल को दिल्ली और पंजाब के बारे में कुछ नहीं पता..
बल्कि जिस तरह पंजाब की हर छोटी से छोटी बात केजरीवाल सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं, पंजाब के अधिकारियों से मीटिंग कर रहे हैं इससे तो लगता है कि उन्होंने दो राज्यों के मुख्यमंत्री होने का कीर्तिमान रचने की तैयारी भी कर ली है..
बहरहाल इस योजना के ज़रिए विपक्ष जिस तरह से मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहा है.. उससे कुछ सवाल तो विपक्ष पर भी उठ रहे हैं कि वो अपने फायदे के लिए युवाओं को आगजनी और तोड़फोड़ करने के लिए उकसा रहे हैं..
दरअसल इस खेल को समझना ज़रूरी है कि पर्दे के पीछे आखिर चल क्या रहा है.. अगर गहराई से देखें तो लगता है कि विपक्ष इसे किसान बिल आंदोलन बनाने की जुगत बिठा रहा है.. टीवी चैनलों पर डिबेट्स शुरू हो चुकी हैं.. पक्ष और विपक्ष के प्रवक्ता चीख चीखकर अपना गला सुखा रहे हैं और इन सबको शांत करने, बार बार विज्ञापनों के लिये ब्रेक लेने के दबाव में सूटबूट पहने न्यूज़ एंकर एयरकंडीशंड स्टूडियो में भी पसीने से तरबतर हुए जा रहे हैं..
दरअसल इन डिबेट्स में बहुत से उम्रदराज़ प्रवक्ता, वक्ता केवल इसलिए भी आते हैं कि वो खूबसूरत महिला एंकर का वो एक वाक्य सुन सकें – फलाने जी सबसे पहले मैं आपके पास आना चाहती हूँ इसके बाद ढिकाणे जी मैं आपके पास आऊँगी..
टीवी डिबेट्स की इन्हीं अंतहीन चिल्ला पुकार के बीच खूबसूरत एंकर के ये वाक्य भीषण गर्मी में राहत देती बरसात की बूँदों के जैसे होते हैं..
दरअसल इस देश के भीतर माहौल कुछ ऐसा बन पड़ा है कि सरकार अपना पक्ष दिखाकर खुश है, विपक्ष उसका विरोध करके खुश है और कुछ वक्ता, प्रवक्ता इस तरह के वाक्यों को सुनकर खुश हैं.. देश की जनता इन्हें इस तरह लड़ते देखकर खुश है तो कोई इन्हें सोशल मीडिया पर गालियाँ देकर खुश है.. कोई पत्थरबाजी करके खुश है, कोई इन पत्थरबाज़ों का समर्थन करके खुश है तो कोई पत्थरबाज़ों पर बुलडोज़र चलता देखकर खुश है.. असल में सारी लड़ाई तो खुश रहने की ही है..
बहरहाल आगे ये देखना दिलचस्प होगा कि मॉनसून सत्र में विपक्ष इस योजना को लेकर किस तरह सरकार पर हमलावर होता है और सरकार किस तरह विपक्ष पर पलटवार करती है.. लेकिन अंदरखाने खबर ये है कि विपक्ष के लिए ये समझना बेहद पेचीदा हो चला है कि मोदी सरकार की इस योजना का तर्कों और तथ्यों के साथ विरोध करने और सत्ता में वापसी का आखिर ये रास्ता जाता किधर है..।।।