सदर अस्पताल के कर्मचारी की रिश्वतखोरी ने समस्तीपुर सहित बिहार और मानवता का शर्म से झुका दिया सर

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चंडीगढ़/ समस्तीपुर: 09 जून:- आरके विक्रमा शर्मा/ राजेश पठानिया/ अनिल शारदा+ करण शर्मा:-– भारत में ही नहीं अपितु पूरी दुनिया में यदा-कदा गवर्नमेंट मैनेजमेंट या तो खुद या उसके साए में कुछ ना कुछ ऐसा अप्रिय अनैतिक अशिष्ट अनुशासनहीन गैर कानूनी अमानुषिक कुकृत्य घट जाता है। जब पूरे सिस्टम पर से ही विश्वास आस्था लगाव और उम्मीद सब खत्म हो जाता है।

ऐसा ही कुछ समस्तीपुर में निंदनीय हरकत हुई। यह सरकारी प्रबंधन के साथ-साथ मानवीय सरोकारों को लज्जित कर दिया है। ऐसा भी नहीं है कि बिहार में यह अमानवीय व दुस्साहस पहली बार हुआ हो। समय-समय पर छोटे-बड़े अंतराल के बाद बिहार उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश पश्चिम बंगाल आंध्र प्रदेश है कर्नाटक तमिल नाडु राजस्थान महाराष्ट्र गुजरात से ऐसी खबरें आती हैं। जो मानवता की पगड़ी पर ही दाग लगा जाती हैं।

समस्तीपुर जिला के सदर अस्पताल में एक बुजुर्ग दंपति से अस्पताल के कर्मचारी ने ₹50,000 की रिश्वत मांगी ताकि बूढ़े मां बाप को उनके नौजवान बेटे की लाश संस्कार के लिए मिल सके। सरकारी कर्मचारी ने बुजुर्ग मां-बाप से जवान बेटे की दर्दनाक मौत के बाद पोस्टमार्टम के बाद लाश देने के एवज में ₹50,000 की शर्मनाक गैर कानूनी अनैतिक मांग की। बेटे का संस्कार तक कर पाने में असमर्थ मां-बाप वापस अपने गांव लौट आए। और बुजुर्ग मां-बाप ने अपने आंचल फैला कर गांव वासियों से और यहां वहां सबसे भीख मांगते हुए ₹50000 एकत्रित किए मां बाप की दयनीय हालत को मद्देनजर रखते हुए अनेकों गांव वासी धनाढ्य परिवारों ने दिल खोलकर मदद की और बेटे का शव मां बाप को दिलवाया तब मां बाप ने अपने बेटे का अंतिम संस्कार किया।

अल्फा न्यूज़ इंडिया द्वारा एकत्रित जानकारी के मुताबिक घटनाक्र बिहार के जिला समस्तीपुर के ताजपुर थाना के आहार ग्राम के महेश ठाकुर के 25 वर्षीय नौजवान संजीव ठाकुर बेटे को लेकर है। जो 25 मई से लापता बताया गया। जिसकी खूब खोजबीन की गई। लेकिन कड़वा सत्य यह है कि यह खोजबीन बूढ़े मां बाप ने ही की। इसमें पुलिस ने प्रशासन ने समाजसेवी संस्थाओं ने धार्मिक संस्थाओं ने धर्म के ठेकेदारों ने किसी तरह की भी कोई मदद तक नहीं की। आखिर 7 जून को बुजुर्ग मां-बाप को इतला मिली कि मुसरीघरारी  थाना क्षेत्र में एक अज्ञात नौजवान का शव पुलिस ने बरामद किया है। बदकिस्मती से यह शव संजीव ठाकुर उम्र 25 साल पिता महेश ठाकुर गांव आहार ताजपुर थाना समस्तीपुर का था। बुजुर्ग मां-बाप ने झोली फैला कर जब भीख मांगी तो किसी दयालु नागरिक ने उनकी वीडियो बनाकर वायरल कर दी। जो जंगल की आग की तरह फैलते हुए सदर अस्पताल प्रबंधन के संज्ञान में भी पहुंची। अस्पताल प्रबंधन के हाथ पांव फूले। आनन-फानन में शव पुलिस के हवाले किया गया। और फिर शव का अंतिम संस्कार बुधवार 8 जून को किया गया। लेकिन तब तक पुलिस और प्रशासन सहित अस्पताल प्रबंधन यहां तक कि समस्तीपुर जिला के बाद बिहार के नाम पर भी लोगों ने घोर निंदा जनक शब्द प्रयुक्त किए। ऐसा नहीं है कि बिहार में इस तरह की निंदनीय अमानवीय घटना पहली मर्तबा हुई हो। यहां अक्सर ऐसे दिल दहला देने वाले और प्रशासन की भ्रष्ट रिश्वतखोर मानसिकता और संकीर्ण सोच का भंडाफोड़ते प्रकरण अक्षरत होते रहते हैं।

लेकिन बिहार सरकार ने इस तमाम मामले में समस्तीपुर जिला अधिकारी और सदर अस्पताल प्रबंधन मंडल से किस तरह की जानकारी मांग कर क्या कानूनन उचित कार्यवाही को अंजाम दिया है। यह सब अभी पुष्टि की इंतजार में है। लेकिन एक बार फिर बिहार में फैले कथित भ्रष्ट तंत्र ने समूचे बिहार प्रांत को एक बार फिर कलंक की दलदल में धकेला है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के भ्रष्ट तंत्र ने नौजवान बेटे संजीव से पहले ही जीते जी उनके मां बाप का संस्कार कर दिया। जो अपने बेटे के स शव का संस्कार ना कर पाने पर शायद कम रोये होंगे। और खुद को गरीब होने पर ज्यादा रोये और कोसते होंगे कि उनका बदनसीब बेटा संस्कार से भी मोहताज हो गया। मां बाप जीवन भर में चंद पैसे भी ना जोड़ सके कि नौजवान 25 वर्षीय बेटे संजीव के शव का अंतिम संस्कार तो कर सकें। यह भारत देश के बदलते परिवेश की कौन सी विकसित तस्वीर है। जिसको देखकर पत्थर दिल भी पिघल जाता है। और आज के प्रशासकीय तंत्र पर अवाक रह जाता है।

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