चंडीगढ़ 8 जून:- राजेश पठानिया/अनिल शारदा:—चंडीगढ़ ब्यूटीफुल सिटी को अब स्मार्ट सिटी का रुतबा दिलाने के लिए चंडीगढ़ प्रशासन पानी की तरह पैसा बहा रहा है और इसकी सुंदरता में कोई कमी न रह जाए इसके लिए भरसक प्रयास जारी है लेकिन इन सब के बावजूद इन सुविधाओं के उपभोक्ता ही इन सुविधाओं का बेड़ा गर्क करने में जुटे हुए हैं हैरत की बात तो यह है कि प्रशासन और पुलिस सहित संबंधित विभाग सड़कों पर बनी सरकारी प्रॉपर्टी के डैमेज होने का कोई संज्ञान नहीं ले रहे हैं और लाखों की गवर्नमेंट प्रॉपर्टी का अज्ञात लोग जो कि सरकारी कैमरों में कैद हैं खूब नुकसान कर रहे हैं। आखिर संबंधित विभाग सड़कों पर लगे बिजली के खंभों, हरे रंग की मजबूत लोहे की ग्रिल यानी के रेलिंग को कौन चला रहा है उक्त समाचार के साथ संलग्न फोटो में साफ दिखाई दे रहा है कि कचहरी गांव के सामने वाली मुख्य सड़क पर लगी रेलिंग डैमेज कर दी जाती है और चुरा ली जाती है बिजली के पोल क्षतिग्रस्त हुए पड़े हैं। इनकी कोई किसी प्रकार की सुध लेने वाला नहीं है। यह कभी भी गिर कर वाहन चालकों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं। ऐसे में प्रशासन और पुलिस सहित रोड़ विभाग, पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट इलैक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट सभी की बनती मुस्तैदी और जिम्मेवारी पर प्रश्न चिन्ह लगता है। इस लाखों रुपए के डैमेज लॉस का आखिर सरकार कब तक भरपाई करेगी? क्यों नहीं! उन लोगों से यह हरजाना वसूल किया जाए! जो सरकारी प्रोपर्टी को डैमेज कर रहे हैं। और जानबूझकर लॉस पहुंचा रहे हैं।।
अक्सर देखा जाता है कि चीफ इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट का रोड विंग खूब मेहनत मशक्कत करके इस डैमेज प्रॉपर्टी को हटाकर नई ग्रील और रेलिंग लगाने का कड़कती धूप में भी काम को जारी रखे हुए हैं। मालूम करने पर पता चला कि रेगुलर लेबर का ना होना इस डिपार्टमेंट के लिए मैन पावर की कमी का बड़ा सबब है। ऐसे में विभाग आउटसोर्सिंग पर लेबर रखकर उनसे यह काम करवाती है। और साफ देखा जाता है कि इन रोड्स से रोजाना संबंधित प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस अधिकारी और संबंधित विभाग के आला अधिकारी गुजरते हैं। और शर्मनाक और अफसोसजनक बात तो यह है कि कोई भी इस लेबर क्लास की सुरक्षा की ओर कभी भी ध्यान नहीं देता है। यह लेबर क्लास के मजदूर लोग अपनी जान हथेली पर रखकर रोड पर भारी आवाजाही के दौरान अपने काम को अंजाम देते आम देखे जाते हैं। इनके पास किसी भी तरह की सेफ्टी बेल्ट, हेलमेट, सेफ्टी शूज ग्लाबज व ड्रेस आदि और यातायात को सावधान करने के लिए वैरीकैडस कुछ भी सामान उपलब्ध नहीं होता है। ऐसे में हर समय इनकी जान पर बनी रहती है। कब कोई अंधाधुंध गाड़ी चलाने वाला सिरफिरा इन पर गाड़ी चढ़ा दे। इनको शारीरिक क्षति पहुंचा दे। कोई भी अधिकारी इस ओर ध्यान ही नहीं देता है। क्या यह मानव अधिकारों का उल्लंघन नहीं है। क्या यह मानवता के प्रति उदासीनता नहीं है।।
सरकारी वातानुकूलित सरकारी वाहनों में चलने वाले संबंधित विभाग के अधिकारी इस लेबर क्लास की जान और माल के प्रति पूर्णत लापरवाह बने हुए हैं। और इंसानी जानों से खिलवाड़ करने से गुरेज नहीं बरत रहे हैं। इस ओर सियासी पार्टियां और समाजसेवी संस्थाएं भी मूकदर्शक बनकर तमाशबीन बनी हुई हैं। कोई भी इनके प्रति इनकी सुरक्षा के प्रति जवाब देह और जिम्मेदार नहीं दिखाई देता है।।