चंडीगढ़ /कुल्लू, 24 मई :- आरके विक्रमा शर्मा/ अनिल शारदा+ करण शर्मा प्रस्तुति:—- ‘‘मनुष्य योनि सर्वश्रेष्ठ है! जिसका परम लक्ष्य ब्रह्मज्ञान से परमात्मा को जानकर भक्तिमार्ग पर समर्पित भाव से चलते चले जाना है।‘‘ यह पावन प्रवचन सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज द्वारा आज दिनांक 24 मई को अटल सदन, कुल्लू में आयोजित एक विशाल निरंकारी संत समागम में व्यक्त किये गए।
सत्गुरू माता जी ने अपने दिव्य प्रवचनों में कहा कि मानुष जन्म अनमोल है और यह सभी योनियों में श्रेष्ठ है। इसका प्रमाण यही है कि हमारे पास चेतनता, बुद्धि, विवेक है जो अन्य योनियों में नहीं। अतः इसका सदुपयोग करते हुए परमात्मा को जानकर भक्तिमार्ग की ओर अग्रसित हुआ जा सकता है। फिर जीवन में श्रद्धा, भक्ति और प्रेम के समावेश से ही आनंद की प्राप्ति हो जाती है तब किसी भी प्रकार की कोई पीड़ा हमें प्रभावित नहीं करती।
सत्गुरू माता जी ने भक्ति की अवस्था का ज़िक्र करते हुए बताया कि भक्ति ईश्वर से जुड़कर ही प्राप्त हो सकती है। जिस प्रकार एक मनुष्य का विवरण हम किसी को देते है तो दूसरे व्यक्ति के मन में केवल उसकी छवि ही बनेगी किन्तु उसका पूरा चित्रण उससे मिलकर ही जाना जा सकता है। ठीक उसी प्रकार यह अमलोक वस्तु जो हमें प्राप्त हुई है इसका सहारा लेते हुए अपने जीवन में निरंकार को जाना जा सकता है। भक्ति करने का माध्यम भिन्न भिन्न हो सकता है, गृहस्थ में रहते हुए या कोई अन्य कार्य करते हुए भी भक्ति संभव है।
मन की अवस्था का ज़िक्र करते हुए सत्गुरू माता जी ने कहा कि मन में यदि नकारात्मक विचारांे का प्रभाव है तो समर्पित भक्ति संभव नहीं। किन्तु इसके विपरीत यदि मन में सकरात्मक गुणों का समावेश है तो यह संभव है। हर पल में इस प्रभु परमात्मा को सुमिरण रूप में स्मरण किया जा सकता है। परमात्मा को याद करने के लिए कोई समय का बंधन नहीं कि केवल कुछ क्षणों के लिए ही उनकी स्तुति की जाये। जिस प्रकार एक कंपनी में कार्य करने वाला कर्मचारी केवल अपनी कंपनी तक ही सीमित नहीं, अपितु वह घर आने पर भी कर्मचारी ही रहता है। ठीक उसी प्रकार से सेवा, सत्संग सुमिरण करते हुए संत का जीवन भक्तिमय हो जाता है तब वह केवल कुछ क्षणों के लिए नहीं अपितु हर पल ही भक्त कहलाता है। अंत में समस्त संतों के लिए सत्गुरू माता जी ने भक्तिमय जीवन होने की कामना करी।
कुल्लू के संयोजक श्री भूरी राम रवि ने सत्गुरु माता जी का स्वागत किया एवं हृदय से उनका आभार प्रकट किया। साथ ही हिमाचल सरकार का सहयोग के लिए धन्यवाद भी किया। इस समागम में कुल्लू एवं उसके आसपास के क्षेत्रों से सभी संतों ने हिस्सा लेकर सत्गुरु माता जी के पावन प्रवचनों द्वारा स्वयं को निहाल किया तथा उनके दिव्य दर्शनों के उपरांत सभी के हृदय में अपने सत्गुरू के प्रति कृतज्ञता का भाव था।