कुरुक्षेत्र:- 22 मई:- आर के विक्रमा शर्मा/ हरीश शर्मा:— धर्म कर्म की भूमि कुरुक्षेत्र की पावन धरती पर स्थित श्री गीता धाम में श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह के उपलक्ष्य में आज नर नारियों ने सिर पर नाना प्रकार से श्रृंगारित क्लश कुरुक्षेत्र की पावन मोक्षदायिनी धरा का पवित्र जल भर कर नंगे पांव क्लश यात्र हे नाथ नारायण वासुदेवाय और यशोदा के लाला देवकीनंदन के भजन कीर्तन पर नृत्य करते हुए कथा स्थल पर सम्पूर्ण रूप से सम्पन्न की।।
इससे पूर्व यजमान पंडित रामकृष्ण शर्मा और अर्धांगिनी लक्ष्मी देवी शर्मा ने प्रारम्भिक पूजा अर्चना पंडित जी के मंत्रोच्चारण के साथ पूरी करके कथा के श्रीगणेश का मार्ग प्रशस्त किया।। और कथावाचक श्री शिव विष्णु जी को धरमसंगत आचरणानुसार व्यास गद्दी पर आरुढ किया।
कथा सप्ताह का श्रीगणेश करते हुए कथावाचक गद्दी व्यास ने बताया कि कथा श्रवण का महा महत्व क्यों और कितना है यह किसी के कहे पर विश्वास नहीं करके स्वयं कथा श्रवण करने से पुण्य अर्जित करने से वर्तमान भूतकाल और भविष्य यानि अगला जन्म लोक का कल्याण कारी बेअंत फल मिलता है।।
कथा व्यासजी ने कहा कि भगवान से जुड़ें।आप धर्म से जुड़ें। भगवान आप की पुकार सुनते हैं। और एक बार भगवान जिसकी सुन लेता है। उसे फिर किसी और को सुनाने की आवश्यकता ही नहीं रहती है। सुदामा ने दिल से पुकारा था। द्वारकाधीश सिंहासन तजकर नंगें पांव द्वारका से दौड़े चले आए थे।
आज के समय में संत जनता आतुर तो है चिंतन से दूर है और जब संत ही चिंतन से हमें हो जाएंगे तो समाज का कल्याण कैसे हो संत को अपने राम-राम काम की ही चिंता सताती है आज वह समाज का मानव का सुधार और कल्याण करने की चिंता नहीं करता है। आज का संत चिंतन से दूर होता जा रहा है। सच्चा और सम्पूर्ण संत वही है जो चिंतनशील है।