चंडीगढ़ – 17 मई — आरके विक्रमा शर्मा करण शर्मा प्रस्तुति:— *दिन – मंगलवार*🌷 *सौभाग्य-रक्षा और सुख-शांति व समृद्धि बढ़ाने हेतु*
👩🏻 *माताएँ-बहनें रोज स्नान के बाद पार्वती माता का स्मरण करते-करते उत्तर दिशा की ओर मुख करके तिलक करें और पार्वती माता को इस मंत्र से वंदन करें :*
🌷 *“ॐ ह्रीं गौर्यै नम: |”*
👩🏻 *इससे माताओं –बहनों के सौभाग्य की रक्षा होगी तथा घर में सुख-शांति और समृद्धि बढ़ेगी |*
*ज्येष्ठ मास* की महत्ता,,,,,,,,,,,,,
➡️ *इस वर्ष 17 मई 2022 (उत्तर भारत हिन्दू पंचांग के अनुसार) से ज्येष्ठ का आरम्भ हो रहा है (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार 31 मई 2022 से ज्येष्ठ मास प्रारंभ होगा ।*
🙏🏻 *महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 106 के अनुसार “ज्येष्ठामूलं तु यो मासमेकभक्तेन संक्षिपेत्। ऐश्वर्यमतुलं श्रेष्ठं पुमान्स्त्री वा प्रपद्यते।।” जो एक समय ही भोजन करके ज्येष्ठ मास को बिताता है वह स्त्री हो या पुरुष, अनुपम श्रेष्ठ एश्वर्य को प्राप्त होता है।*
🙏🏻 *शिवपुराण के अनुसार ज्येष्ठ में तिल का दान बलवर्धक और मृत्युनिवारक होता है।*
🙏🏻 *ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा के दिन मूल नक्षत्र होने पर मथुरा में स्नान करके विधिवत् व्रत-उपवास करके भगवान कृष्ण की पूजा उपासना करते हुए श्री नारद पुराण का श्रवण करें तो भक्ति जन्म-जन्मान्तरों के पाप से मुक्त हो जाता है। माया के जाल से मुक्त होकर निरंजन हो जाता है। भगवान् विष्णु के चरणों में वृत्ति रखने वाला संसार के प्रति अनासक्त होकर फलस्वरूप जीव मुक्ति को प्राप्त करता हुआ वैकुंठ वासी हो जाता है।*
🙏🏻 *धर्मसिन्धु के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा को तिलों के दान से अश्वमेध यज्ञ का फल होता है।*
🙏🏻 *ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अपरा एकादशी का व्रत किया जाता है।*
🙏🏻 *ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाती है। शास्त्रों के अनुसार शनि देव जी का जन्म ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को रात के समय हुआ था।*
🙏🏻 *ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को गंगा दशहरा का पवित्र त्यौहार मनाया जाता है।*
🙏🏻 *ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी का व्रत किया जाता है।*
🙏🏻 *महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 109 के अनुसार ज्येष्ठ मास की द्वादशी तिथि को दिन-रात उपवास करके जो भगवान त्रिविक्रम की पूजा करता है, वह गोमेध यज्ञ का फल पाता और अप्सराओं के साथ आनन्द भोगता है ।*
🌷 *विष्णुपुराण के अनुसार*
*यमुनासलिले स्त्रातः पुरुषो* *मुनिसत्तम!*
*ज्येष्ठामूलेऽमले पक्षे द्रादश्यामुपवासकृत् ।। ६-८-३३ ।।*
*तमभ्यर्च्च्याच्युतं संम्यङू मथुरायां समाहितः ।*
*अश्वमेधस्य यज्ञस्य प्राप्तोत्यविकलं फलम् ।। ६-८-३४ ।।*
🙏🏻 *ज्येष्ठ मास के शुक्लपक्ष की द्वादशी को मथुरापुरी में उपवास करते हुए यमुना स्नान करके समाहितचित से श्रीअच्युत का भलीप्रकार पूजन करने से मनुष्य को अश्वमेध-यज्ञ का सम्पूर्ण फल मिलता है।*🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞