अब तक की सबसे अधिक ₹12,491 करोड़ की वित्तीय सहायता प्रदत्त

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चंडीगढ़: 5 मई: आरके विक्रमा शर्मा/ करण शर्मा/ अनिल शारदा/  हरीश शर्मा/ राजेश पठानिया प्रस्तुति:–राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान राज्य में अब तक की सबसे अधिक ₹12,491 करोड़ की वित्तीय सहायता प्रदान की है। नाबार्ड विभिन्न रियायती निधियों जैसे ग्रामीण बुनियादी सुविधा विकास निधि (आरआईडीएफ), सूक्ष्म सिंचाई निधि (एमआईएफ), भंडारागार बुनियादी सुविधा निधि (डब्ल्यूआईएफ), आदि के माध्यम से ग्रामीण बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए राज्य सरकार का सहयोग कर रहा है एवं कृषि और ग्रामीण विकास के लिए ग्रामीण वित्तीय संस्थानों को पुनर्वित्त सहायता प्रदान कर रहा है।

मुख्य महाप्रबंधक, डॉ. राजीव सिवाच ने कहा कि वर्ष 2021-22 के दौरान, नाबार्ड ने 46% की सालाना वृद्धि के साथ ₹823 करोड़ की अब तक की सबसे अधिक आरआईडीएफ सहायता को मंजूरी दी। इसमें 63 ग्रामीण पेयजल परियोजनाएं, दुग्ध प्रसंस्करण इकाई का आधुनिकीकरण, जल निकासी और भंडारण परियोजनाएं शामिल हैं। नाबार्ड ने 2021-22 में 28% की सालाना वृद्धि के साथ ₹765 करोड़ का रिकॉर्ड संवितरण किया है। इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन से राज्य भर की 15.15 लाख आबादी को पीने योग्य जल, प्रतिदिन 2 लाख लीटर दूध का प्रसंस्करण, 3593 अतिरिक्त क्लास रूम, 28672 हेक्टेयर जलजमाव वाले क्षेत्र का सुधार और 1.25 लाख मीट्रिक टन भंडारण क्षमता का निर्माण होगा।

मुख्य महाप्रबंधक ने कहा कि नाबार्ड ने किसानों के कृषि कार्यों और ग्रामीण उद्यमों के वित्तपोषण के लिए राज्य सहकारी बैंक, डीसीसीबी, पंजाब ग्रामीण बैंक, वाणिज्यिक बैंकों और अन्य एजेंसियों को ₹11,636 करोड़ की पुनर्वित्त सहायता प्रदान की।

नाबार्ड ने राज्य में विकास गतिविधियों के लिए ₹7.29 करोड़ संवितरित किए। विविधीकरण पर जोर देने के साथ, मत्स्य पालन और डेयरी क्षेत्र में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन किया गया।

डॉ. सिवाच ने कहा, “पंजाब जल स्तर में गिरावट का सामना कर रहा है क्योंकि 138 में से 109 ब्लॉक ‘अति-शोषित’ श्रेणी में रखे गए हैं, जिससे “ग्रेन बाउल ऑफ इंडिया” में पानी का गंभीर संकट पैदा हो गया है।” राज्य में घटते भूजल का संज्ञान लेते हुए, ₹150 करोड़ की मंजूरी के साथ सूक्ष्म सिंचाई निधि को क्रियाशील किया गया है। साथ ही नाबार्ड ने पीएयू, लुधियाना के सहयोग से “तर-बतर प्रौद्योगिकी” का उपयोग करके धान की प्रत्यक्ष रूप से बिजाई पर प्रायोगिक परियोजना के माध्यम से जल संसाधनों के संरक्षण के लिए भी पहल की है।

पटियाला और संगरूर जिलों के क्षेत्र मिट्टी की क्षारीयता की समस्या का सामना कर रहे हैं, सीएसएसआरआई, करनाल के सहयोग से इन जिलों के 1000 हेक्टेयर में मिट्टी के सुधार के लिए एक प्रायोगिक परियोजना लागू की जा रही है। किसानों को टेली एक्सटेंशन सेवाएं प्रदान करने के लिए GADVASU, लुधियाना के साथ साझेदारी में एक ICT आधारित पशु पालक टेली सलाहकार केंद्र (PP-TAK) स्थापित किया गया है। इसी तरह, फाजिल्का जिले में गाजर, प्याज, लहसुन आदि सब्जियों के प्रति विविधीकरण के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने के लिए एक अन्य परियोजना भी कार्यान्वित की गई।

नाबार्ड ने 2021-22 में ग्रामीण युवाओं को रोजगार योग्य बनाने के लिए 15 कौशल विकास कार्यक्रमों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की है। सीमा क्षेत्र के युवाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए, CIPET, अमृतसर के माध्यम से “इंजेक्शन मोल्डिंग ऑपरेटर” पर प्रशिक्षण आयोजित किया गया। अंबुजा सीमेंट फाउंडेशन (एसीएफ) के सहयोग से सीएसआर के तहत ग्रामीण महिलाओं को इलेक्ट्रीशियन का प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इसी तरह, राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (एनएसआईसी), राजपुरा को भी विविध गतिविधियों पर कौशल विकास कार्यक्रमों के संचालन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की गई।

नाबार्ड ने पैक्स के क्षमता निर्माण और बुनियादी ढांचे के उन्नयन के लिए सहकारी विकास निधि के तहत ₹ 75 लाख की वित्तीय सहायता प्रदान की।

भूमिहीन/भूमि पट्टाधारक किसानों को कृषि और गैर-कृषि क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों के लिए जमीनी स्तर पर संस्थागत ऋण उपलब्ध कराने के लिए डीसीसीबी/आरआरबी के माध्यम से जेएलजी को बढ़ावा दिया गया।

कृषि और अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण प्रवाह को बढ़ाने की दृष्टि से, नाबार्ड ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 में बैंकों द्वारा प्राथमिकता वाले क्षेत्र को ऋण देने के लिए ₹ 2,61,067 करोड़ की संभावना का अनुमान लगाया है, जिसमें कृषि के लिए ₹1,51,627 करोड़ शामिल हैं।

 

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