चंडीगढ़/आसाम:-28 अप्रैल: आरके विक्रमा शर्मा+करण शर्मा/ राजेश पठानिया+ अनिल शारदा:--भारत एक दरिया ❤️ धर्मनिरपेक्ष देश है! और सहनशक्ति और क्षमा शीलता में दुनिया भर में सबसे आगे है! और इसी का खामियाजा भारतवासी यानी हिंदुस्तानी अपने वतन हिंदुस्तान में भुगत रहे हैं। जिस भी विदेशी, मौकापरस्त को राजद्रोही को एहसान फरामोश को इंसानियत के दुश्मन को पूरी दुनिया में कहीं भी किनारा और सहारा नहीं मिलता है उसे सिर्फ और सिर्फ हिंदुस्तान अपने वतन में अपने आगोश में महफूज रखते हुए सहारा और किनारा देता है। चाहे फिर वह पाकिस्तान शिप लाइन करने वाले मुस्लिम नागरिक हूं यह श्रीलंका से भारत में शरण लेने वाले या फिर बांग्लादेशी रोहिंग्या मुसलमान हो भारत ने सबके लिए पलक पावडे बिछाए हैं। सब को सहारा दिया है। जैसे गाय अपने बछड़े को दर किनारे करते हुए अपने स्वामी का घर दूध से भरती है। ठीक वैसे ही हिंदुस्तान की सरकार अपने हिंदुस्तानी नागरिकों को कई सुविधाओं से वंचित रखते हुए इन शरणार्थियों को इस देश की नागरिकता, राशन और ना जाने कितनी प्रकार की सुविधाएं निशुल्क प्रदान करती है। और अपने देश वासी इन सुविधाओं के लिए सरकार का मुंह ताकते रह जाते हैं। और दूसरे नागरिक इन सुविधाओं के लिए धन जुटाने के लिए सरकार के कोष अपने टैक्सों से भरते रहते हैं। यूं तो यह देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है। यही कारण है कि एक विशेष समुदाय या कौम जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करती है। और एहसान फरामोशी की तस्वीर पेश करती है। राजू तो यह है कि इस फिरका परस्ती कौम के लीडरों को सांसद और विधायक पार्षद आदि बनाने में हिंदुस्तान के हिंदुओं का भी अग्रणी भूमिका रहती है इसके बावजूद यह नेता इस देश में नहीं विदेश में भी जाकर इस देश की तोहीन करने का कोई पल नहीं गंवाते हैं।
अल्पसंख्यक होने के बावजूद बहुसंख्यक समाज की बहू बेटियों के साथ बर्बरता से बलात्कार करते हुए उन्हें तड़पा तड़पा कर कुचलना, सर काटना, वहशीपन से उनका कत्ल करना, इनके लिए आम बात है। एक शुद्ध हिंदुस्तानी ज़मीर और दिलों दिमाग रखने वाले मुस्लिम भाई ने कहा है कि फिरका परस्ती, दगाबाजी व नाइंसाफी फरेब आदि मुस्लिम कौम का पैदाइशी हक है। और इस कौम पर पूरी दुनिया में कहीं भी कोई भी कभी भी यकीन ना करता था ना करता है और ना करेगा।
आसाम में आजकल भारत सरकार के रहमों करम से भारत में बसने वाले बांग्लादेशी मुसलमान हिंदुस्तान से आजादी चाहते हैं। आसाम में अलग मुसलमान देश बनाने का बड़े स्तर पर विदेशी मुस्लिम आकाओं के इशारों पर षड्यंत्र को अंजाम दे रहे हैं। लेकिन वहां के देश प्रेमी मुसलमानों और हिंदुस्तानियों की बदौलत ये वहां छितर यानि जूतों से मारे जा रहे हैं। आज भी आसाम में इन बांग्लादेशी मुसलमानों ने बड़ी तादाद में एकत्रित होकर विशाल जुलूस निकालते हुए हिंदुस्तान से अलग आसाम में मुस्लिम राज्य की स्थापना की मांग की। लेकिन जब वहां की कानून व्यवस्था को संभालने वाली पुलिस ने इनसे जुलूस निकालने की परमिशन मांगी। तो इन्होंने सरकारी ड्यूटी देने वाले सैनिकों और पुलिसकर्मियों से अभद्र भाषा का प्रयोग किया। और पुलिस पर तेवर तरेरे। तो पुलिस ने अपने बचाव में इन्हें खदेड़ने में ही अपनी बेहतरी समझी।
लेकिन सवाल यह है कि हिंदुस्तान में हर चौथे दिन कोई न कोई मत पंथ संप्रदाय अलग देश बनाने का आह्वान करते हुए अभियान व आंदोलन शुरू कर देते हैं। और अपनी इस महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक इस देश के मूल नागरिकों के साथ अन्याय, जुल्मों सितम करने से कौत्ताही नहीं बरतते हैं। जब के आज के दौर में पूरी दुनिया भारत को एक मार्गदर्शक के रूप में देखती है। दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश के नाते पहचानते हैं। बड़ी शर्म तो यह है कि जो लोग इसी भारत माता के गोद में जन्मे हैं। यहीं का खा पी कर पल रहे हैं, बड़े हो रहे हैं। सही इसकी पीठ में छुरा घौंप रहे हैं। ऐसी कौम का ना तो अस्तित्व था ना है ना रहेगा।।