अमर देशभक्त बलिदानी को देशभक्ति के लिए दी गई थी फांसी

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चंडीगढ़/गुरुग्राम:18 अप्रैल: अल्फा न्यूज इंडिया डेस्क प्रस्तुति:— देशभक्ति से ओतप्रोत क्रांतिकारी व स्वतंत्रता सेनानी तात्या टोपे की पुण्यतिथि पर कृतज्ञ राष्ट्र ने भावभीनी और करो मई स्मरण पुष्पांजलि अर्पित की और तात्या टोपे के जीवन से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी भावी पीढ़ी से भी सांझा की।

इसी क्रम में हरियाणा के गुरुग्राम मैं देश भक्ति से जुड़ा एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन विभिन्न संस्थाओं द्वारा किया गया।

इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि तात्या टोपे नाना साहब के करीबी तथा बचपन के मित्र थे। 1857 में भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम में तात्या टोपे एक जनरल थे। उन्होंने झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की काफी मदद की। और उनके साथ मिलकर ग्वालियर शहर पर कब्जा भी कर लिया था। अंग्रेजों को उन्होंने लोहे के चने चबवा दिए थे। बताया जाता है कि कानपुर की रक्षा के लिए लड़ी गई लड़ाई में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा था। ब्रिटिश जनरलों के खिलाफ उन्होंने कई लड़ाई लड़ी थीं। वक्ताओं ने कहा कि गुरिल्ला सेनानी के रुप में उनकी सेवाएं सदैव याद की जाएंगी। देश को आजाद कराने में उनका बड़ा योगदान रहा था। अपनों से ही भीतरीघात का सामना तात्या टोपे को करना पड़ा था। 18 अप्रैल 1859 को शिवपुरी में इस क्रांतिकारी व स्वतंत्रता सेनानी को अंग्रेजों द्वारा फांसी दे दी गई थी।

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