अशोक सम्राट ही महान है और अकबर बेईमान है और सर्वोत्तम है हिंदूस्थान

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चंडीगढ़: 14 अप्रैल:- आरके विक्रमा शर्मा/ करण शर्मा/ अनिल शारदा+ राजेश पठानिया/ हरीश शर्मा प्रस्तुति:—- जब तक धर्म का जन कल्याणकारी नियंत्रण राजनीति पर रहा उस युग के राजा महाराजा हुए चक्रवर्ती सम्राट कहलाए मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम सबल उदाहरण है जहां लंकापति रावण ने धर्म का त्याग किया फल स्वरुप अपने ही साम्राज्य का ब्रजा का और कुटुंब का सत्यानाश किया धर्म और राजनीति एक सिक्के के दो पहलू हैं भारत में स्वतंत्रता के बाद कुछ निर्गुण लोगों ने भारत माता को लज्जित करने के लिए पद दलित करने के लिए अधर्म का साथ दिया और परिणाम आप सबके सामने है। आज इस धरती के उत्तराधिकारी संतानों, उनकी बहन बेटियों का शीलभंग किया जाता है। और भारत माता के वीर सपूत और सुताएं मजबूरन सब झेलती हैं। क्योंकि सत्तारूढ़ लोग धर्म विहीन लोगों के अधीन हैं। थोड़े शब्दों को अधिक समझने का प्रयास करें। बादशाहों के पास भी धर्मगुरु होते थे। इन को काजी कहा जाता था। लेकिन वह अपने आकाओं, बादशाहों को किस प्रकार का मार्गदर्शन देते थे। उनके परिणाम यह रहे कि उन्होंने सिख पंथ के दसवें गुरु पंथ सृजनहार गुरु गोविंद सिंह के चारों लाडले बेटों को तड़पा तड़पा कर मारने के लिए आकाओं के कान भरे थे। सम्राट अशोक महान हैं। और रहेंगे। लेकिन आतताई अकबर महान नहीं हो सकता। दूसरों के धर्म के साथ छल करने वाला बेईमान हो सकता है। बाबर इंसानियत फरामोश था। इसीलिए उनके कुल का नाश हुआ। हमें विचारना होगा। हमें पथभ्रष्ट करने वाली सत्तारुढ़ हमारी ही हिंदूस्थान की सरकार हैं। आखिर हमें हमारे ही पूर्वजों से विमुख क्यों करती रही हैं। और हम आज भी प्रेरणा देने वाले समाचार पत्रों सोशल मीडिया माध्यमों और सिनेमा के जरिए पथभ्रष्ट हो रहे हैं। हिंदू समाज की बहू बेटियां काफिर कौम की ओर ताकती हैं। परिणाम सबके सामने हैं। सीधा सा पथ प्रदर्शन है कि जो हमारी गौ माता को हमारे सामने हमें ही नीचा दिखाने के लिए तड़पा तड़पा कर मारते हैं। वह हमारी धर्म संस्कृति का क्या ख्याल करेंगे।।।।

✍️सम्राट अशोक की जन्म जयंती हमारे देश में नहीं मनाई जाती???🤔*

 

*बहुत सोचने पर भी उत्तर नहीं मिलता! आप भी इन प्रश्नों पर विचार करें!*

 

*१. जिस सम्राट के नाम के साथ संसार भर के इतिहासकार “महान” शब्द लगाते हैं;*

 

*२. जिस सम्राट का राज चिन्ह “अशोक चक्र” भारतीय अपने ध्वज में लगते है;*

 

*३. जिस सम्राट का राज चिन्ह “चारमुखी शेर” को भारतीय राष्ट्रीय प्रतीक मानकर सरकार चलाते हैं, और “सत्यमेव जयते” को अपनाया है;*

 

*४. जिस देश में सेना का सबसे बड़ा युद्ध सम्मान सम्राट अशोक के नाम पर “अशोक चक्र” दिया जाता है;*

 

*५. जिस सम्राट से पहले या बाद में कभी कोई ऐसा राजा या सम्राट नहीं हुआ, जिसने अखंड भारत (आज का नेपाल, बांग्लादेश, पूरा भारत, पाकिस्तान, और अफगानिस्तान) जितने बड़े भूभाग पर एक-छत्र राज किया हो;*

 

*६. सम्राट अशोक के ही समय में २३ विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई, जिसमें तक्षशिला, नालन्दा, विक्रमशिला, कंधार आदि विश्वविद्यालय प्रमुख थे! इन्हीं विश्वविद्यालयों में विदेश से छात्र उच्च शिक्षा पाने भारत आया करते थे;*

 

*७. जिस सम्राट के शासन काल को विश्व के बुद्धिजीवी और इतिहासकार भारतीय इतिहास का सबसे स्वर्णिम काल मानते हैं*

 

*८. जिस सम्राट के शासन काल में भारत विश्व गुरु था, सोने की चिड़िया था, जनता खुशहाल और भेदभाव-रहित थी;*

 

*९. जिस सम्राट के शासन काल में सबसे प्रख्यात महामार्ग “ग्रेड ट्रंक रोड” जैसे कई हाईवे बने, २,००० किलोमीटर लंबी पूरी सडक पर दोनों ओर पेड़ लगाये गए, सरायें बनायीं गईं, मानव तो मानव, पशुओं के लिए भी प्रथम बार चिकित्सा घर (हॉस्पिटल) खोले गए, पशुओं को मारना बंद करा दिया गया;*

 

*१०. ऐसे महान सम्राट अशोक, जिनकी जयंती उनके अपने देश भारत में क्यों नहीं मनायी जाती, न ही कोई छुट्टी घोषित की गई है?*

 

*दुख: है कि जिन नागरिकों को ये जयंती मनानी चाहिए, वो अपना इतिहास ही भुला बैठे हैं, और जो जानते हैं वो ना जाने क्यों मनाना नहीं चाहते;*

 

तथ्य निम्नलिखित हैं

 

*जन्म१४ अप्रैल*

*जन्म वर्ष ३०२ ई पू*

*राजतिलक – २६८ ई पू*

*देहावसान – २३२ ई पू*

*पिताजी का नाम – बिन्दुसार*

*माताजी का नाम – सुभद्राणी*

 

*११. “जो जीता वही चंद्रगुप्त” ना होकर “जो जीता वही सिकन्दर” कैसे हो गया…?*

 

*जबकि ये बात सभी जानते हैं कि सिकन्दर की सेना ने चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रभाव को देखते हुए ही लड़ने से मना कर दिया था! बहुत ही बुरी तरह से मनोबल टूट गया था! और वापस लौटना पड़ा था ।*

 

*कृपया अपने सभी समुहों में भेजने का कष्ट करें और हम सब मिल कर बाक़ी साथियों को भी जागरूक करें!*

 

*आइए मिल कर इस ऐतिहासिक भूल को सही करने का हर संभव प्रयास करें ..*

 

प्रयास करें कि अपने संस्थान में आगामी *14 अप्रैल सम्राट अशोक जन्मदिन* के रूप में सम्मान व उत्साह के साथ मनाया जाए!

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