करोली बनने जा रहा है कैराना, समुदाय विशेष से वफादारी की उम्मीद यानि आत्महत्या:- सच्चा इंसान

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चंडीगढ़ गाजियाबाद 10 अप्रैल राजेश पठानिया/ अनिल शारदा/ दिलीप शुक्ला प्रस्तुति:—करोली बनने जा रहा है कैराना, आखिर अखंड भारत का बहू संख्यक वर्ग जब तक जागेगा। तब तक चिताओं को अग्नि देने वाला भी शायद ही कोई बचेगा। यह विचार उन तमाम पिछली घटनाओं का सार हैं। जो उत्तर प्रदेश में करौली और कैराना के कारण जेहन में और जद्दोजहद में आए हैं। क्या कोई कौम बोलती कुछ हो और करती कुछ हो। सामने कुछ और अंदर और कुछ हो। ऐसा उदाहरण बन सकती है। जैसा यह समुदाय विशेष अपने जन्म से लेकर आज तलक कर रहे हैं। और करते रहेंगे। तो क्या मौत का जवाब मौत से वाजिब नहीं रहेगा। यही सवाल का सही जवाब है।

 

करौली की घटना के दिन सुबह से घटने वाली संदेहास्पद घटनाएं

 

1 – आम दिनों में करौली में पूरे शहर में रात 11  बजे तक ऑटो चलते हैं जिनमे से 90 प्रतिशत ऑटो समुदाय विशेष के हैं |

घटना वाले दिन या तो समुदाय विशेष अपने ऑटो लेकर आया ही नहीं और आया भी तो घटना से पहले-पहले  ही ऑटो लेकर अपने इलाके में चले गए |

 

2 घटना वाले दिन समुदाय विशेष ने अपनी दुकान नहीं खोली और खोली भी तो दोपहर तक बंद कर दी |

यहां तक की हॉस्पिटल के बाहर फलों की दुकान जो कभी बंद नहीं होती उस दिन वो दुकाने भी बंद थी |

 

3  घटना वाले दिन सुबह मंडी में भी समुदाय विशेष के दुकानदार नहीं गए जबकि उस दिन शनिवार था |

 

4 घटना वाले दिन हटवाड़ा में डॉक्टर मक़सूद अहमद, मतलूब और अंचू  के जिम, घर और मस्जिद ढोलीखार

और चिड़चिड़ी के लड़के देखे गए | जबकि ये मोहल्ले घटनास्थल से बहुत दूर के हैं |

 

5 किसी भी घर और मस्जिद पर इतने पत्थर सामान्य तौर पर नहीं हो सकते | और अगर हो भी तो भावनाये भड़कने के बहाने हाथोहाथ इकट्ठे नहीं किये जा सकते |

 

6 कोई 50 – 100 लोग मिलकर किसी 4000 के आसपास की भीड़ पर हमला करने की हिम्मत नहीं कर सकते  जब तक की उनको प्लानिंग के तहत उनको बैकअप प्लान का सपोर्ट नहीं हो |

 

7 घटना में एक भी समुदाय विशेष का व्यक्ति घायल नहीं हुआ है | इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है की हमला कितना सुनियोजित था |

 

8 करौली नगर पालिका सभापति रशीदा खातून हैं फिर अमीनुद्दीन खान को प्रशासन अपनी मीटिंग में क्यों बुला रहा है जबकि अमीनुद्दीन खान सट्टे के अपराध में कई बार पुलिस की पकड़ में आ चूका है |

 

करौली में पिछले सालों में क्या-क्या संदेहास्पद हो रहा था, जिससे वर्तमान घटना के सूत्र जुड़ते हैं |

 

1 – करौली शहर में घुसने और बाहर आने के लिए 6 बड़े दरवाज़े और 12 छोटे रास्ते हैं |

इनमे केवल 2 दरवाज़ों के पास ही मुस्लिम आबादी रहती थी |

लेकिन पिछले सालों में अचानक हर दरवाज़े के अंदर और बाहर मस्जिदों की बाढ़ आ गई है | वो सब की सब अवैद्य | वो भी बिना किसी सरकारी परमिशन के |

 

2 – सारी मस्जिदे हिन्दू बहुल इलाकों में बनायीं गईं, जिनपर प्रशासन को कई बार ध्यान दिलाया गया लेकिन किसी ने गंभीरता से नहीं लिया |

करौली के लोगों ने कभी भी करौली में बाहर के मुसलमान नहीं देखे थे |

लेकिन पिछले सालों में करौली में देवबंद और तब्लीगी जमात के बाहर के लोगों का जमावड़ा बढ़ गया है | जिसको प्रशासन ने कभी गंभीरता से नहीं लिया |

 

3 ताम्बे की टौरी जो की रियासतकालीन होने के साथ साथ करौली का सबसे संवेदनशील इलाका है क्योंकि ये हिन्दुओं के पलायन के कारण कसाइयों के मोहल्ले ढोलीखार से लग चुका है |

इस मोहल्ले में नगर परकोटे के पास मासलपुर दरवाज़े के बाहर करौली शहर के ऐतिहासिक शमसान घाट हैं और हनुमानजी के कई प्राचीन मंदिर हैं |

इस मोहल्ले में मासलपुर दरवाज़े के अंदर पिछले 3 सालों में अवैध मस्जिद खड़ी कर दी गई है | जबकि ये मोहल्ला हिन्दुओं का है | यहाँ समुदाय विशेष आबादी है ही नहीं | इस मस्जिद के बनते ही शमशान और मंदिरों को जाने वाले रास्ते में इस मस्जिद के इलाके में तेजी से मुस्लिमो को उठना बैठना शुरू हो गया |

जिससे मोहल्ले में कई बार असहज सिथि उत्पन्न हुई |

 

4 मस्जिद बनाने के बाद ऐतिहासिक करौली के परकोटे को जगह-जगह तोड़ दिया गया है और अतिक्रमण कर लिया गया है | प्रशासन का इस इसको गंभीरता नहीं हुई |

 

5 – मस्जिद के बनने के बाद एक घटना घटी जिसने 2 अप्रैल 2022 को घटने वाली घटना के संकेत दे दिए थे |

नवम्बर 2021 में ताम्बे की टौरी मोहल्ले के लोगों को एक घटना ने झकझोर दिया |

टौरी मोहल्ले में जिस जगह मस्जिद बनायीं गई है उसके बाहर सिद्ध हनुमान का मंदिर है |

परकोटे ले अंदर वाले हिस्से से परकोटा तोड़कर मंदिर की ज़मीन की तरफ समुदाय विशेष आबादी को बढ़ाने की कोशिश की गई |

जब मोहल्ले के लोग साफ़-सफाई और बॉउंड्री का निर्माण करने लगे तो मुस्लिम इकट्ठे हुए और सीधी धमकी पर आ गए की यहां कुछ नहीं बनेगा | जबकि ज़मीन मंदिर की थी | टौरी के हिन्दू लोग इस बात से चिंतित हुए की मस्जिद बनने से पहले ये लोग प्यार प्रेम से रहते थे और मस्जिद बनने के बाद अचानक ये मोहल्ले में विवाद करने लगे |

 

6 – जब ये अतिक्रमन की कोशिश की जा रही थी तो वर्तमान नगर सभापति (तथाकथित) अमीनुद्दीन खान का छोटा भाई भी यहां साथियों JCB लेकर दूर उपस्थित था | जबकि उसका निवास दूर मोहल्ले में है |

इसकी सूचना कलेक्टर सहित प्रशासन को दी गई |

इसके उपरांत भी नगर सभापति प्रतिनिधि (तथाकथित) अमीनुद्दीन खान ने मंदिर की ज़मीन पर नगर पालिका का सरकारी बुलडोजर भेजा |

जिसका साफ सफाई का बहाना बनाया गया | लोगों ने फिर शिकायत की तब बुलडोजर मंदिर की ज़मीन से बाहर गया |

 

7 – गौरतलब बात ये है की जिस अमीनुद्दीन खान को नगर सभापति की हैसियत से मीटिंग में शामिल कर रही है वो नगर सभापति है ही नहीं | अमीनुद्दीन की माँ चेयरमैन है | ये अमीनुद्दीन तो सट्टे के अवैद्य कारोवार में  कई बार पुलिस की गिरफ्त में आ चुका है | उसके बाद भी सांसद, विधायक, कलेक्टर, एसपी इसको ससम्मान अपने साथ बिठाते हैं | इससे प्रशासन की मनोस्थिति समझी जा सकती है |

 

8 – इसके बाद पिछले महीने इन्ही लोगों ने करौली के शमसान की जमीन पर अपना हक़ जताने की कोशिश की |

जबकि ये स्थानीय लोग पिछले सैंकड़ों सालों से जानती हैं की शमसान घाट राजकीय समय से ही हिन्दुओं का है |

 

9 – ठीक इसी तरह करौली के नदी दरवाज़े के बाहर बैठे हनुमान के आसपास तेजी से समुदाय विशेष आबादी बढ़ा दी गई है | वहा पर पिछले बर्षों में बैठे हनुमान जी के पास कुंड के शीतल कुइया महादेव मंदिर में शिवलिंग तोड़फोड़ की गई

 

10 – ठीक इसी प्रकार हिंडौन दरवाज़े के बाहर मस्जिद बनाकर नूर कालौनी बसा दी गई | जबकि वहां केवल 10 समुदाय विशेष परिवारों की आवादी होगी |

 

11 – ठीक इसी तरह शिकारगंज वाले रोड पर अपनी आबादी बढाकर पूरा एरिया कब्ज़ा लिया गया है | और वहा ही माहौल तनावपूर्ण बना दिया गया है |

 

12 – ठीक इसी प्रकार वजीरपुर गेट पर हिन्दुओं को मस्जिद के आगे हिन्दुओं को अपनी बारात के DJ बंद करने पड़ते हैं | यहां तक की जब करौली के आराध्य मदनमोहनजी की पोशाक गाजे बाजे के साथ जाती है तब भी बाजे को बंद करना पड़ता है |

 

इस तरह पूरी करौली में पिछले 5 सालों में करौली में बहुत संदेहास्पद और तनावपूर्ण बदलाव हुए हैं |

इसकी लेकिन प्रशासन ने इसको कभी ध्यान नहीं दिया |

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