चंडीगढ़:06 अप्रैल:- आरके विक्रमा शर्मा/करण शर्मा+ अनिल शारदा प्रस्तुति:—🚩नवरात्रि के पांचवे दिन होती है मां स्कंदमाता की पूजा! जानिए क्या है पूजा विधि, मंत्र और कथा स्कंदमाता प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं की सेनापति बनी थीं जिस वजह से पुराणों में कुमार और शक्ति कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है।*
*👉🏻🚩चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन दुर्गा मां के स्कंदमाता रूप की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुासर, इनकी कृपा से मूढ़ भी ज्ञानी हो जाता है। पहाड़ों पर रहकर सांसारिक जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वालीं देवी हैं स्कंदमाता। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से भी जाना जाता है। इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। भक्त को मोक्ष मिलता है। वहीं, मान्यता ये भी है कि इनकी पूजा करने से संतान योग की प्राप्ति होती है*
*🍃वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।*
*सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्वनीम्।।*
*धवलवर्णा विशुध्द चक्रस्थितों पंचम दुर्गा त्रिनेत्रम्।*
*अभय पद्म युग्म करां दक्षिण उरू पुत्रधराम् भजेम्॥*
*पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानांलकार भूषिताम्।*
*मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल धारिणीम्॥*
*प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वांधरा कांत कपोला पीन पयोधराम्।*
*कमनीया लावण्या चारू त्रिवली नितम्बनीम्॥*
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