राधा-माधव पधारे अपने नए निवास स्थान, नवनिर्मित सिंहासन पर हुए आरुढ, मोबाइल कैमरों  में हुए राधे कृष्णा विराजमान

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 चंडीगढ़:- 6 अप्रैल : आर के विक्रम शर्मा/अनिल शारदा+ करण शर्मा/ राजश पठानिया प्रस्तुति :— अधर्म आ सकता अनुशासनहीनता दुष्कर्म व्यभिचारी वृत्ति और नाना प्रकार के नकारात्मक शक्तियों पर मर्यादा पुरुषोत्तम दशरथ नंदन भगवान श्रीराम ने बखूबी संयम धैर्य सहनशक्ति सहनशीलता दूरदर्शिता के साथ संस्कार नष्ट होकर विजय प्राप्त की थी लेकिन भगवान श्री कृष्ण महाराज ने कर्मभूमि कुरुक्षेत्र में भौतिक संसार रूपी अर्जुन को जीवन यापन की विविध कलाओं का बखान करते हुए स्वयं सिद्ध होने का भागवत ज्ञान दिया था सृष्टि के रचयित  योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण जी ने जन्म लेते ही और बैकुंठ लोक की  सम्मत धरा से प्रस्थान करने तक जीवन जीने का मार्ग प्रशस्त किया। आज समूची दुनिया में गीता ज्ञान भौतिक संसार को जीने की कला सिखा रहा है। और जब तक सूर्य चांद धरती नभ अग्नि वायु रहेंगे। तब तक भागवत गीता ज्ञान खुद को सार्थ करता ही रहेगा। यही हिंदू धर्म की अलौकिक दिव्यता और पौराणिक प्राचीनतम संस्कार निष्ठ सुसंस्कृति श्री  स्वरुप सभ्यता का अद्वितीय दर्शन है।

स्थानीय श्री चैतन्य गौड़ीय मठ सेक्टर-20  में 52वें धर्म सम्मेलन की शुरुआत हुई। इस सम्मेलन का आगाज़ श्री चैतन्य महाप्रभु व राधा माधव जी को नवनिर्मित सिंहासन पर विराजित करके किया गया। भगवान का नया सिंहासन बंगाल के कारीगरों द्वारा हाथों से बनाया गया है जिसे पूरा करने में 3 वर्ष लगे हैं। इस सिंहासन को बनाने में 16 लाख की लागत आई है। भगवान श्री चैतन्य महाप्रभु व राधा माधव जी को 3 महीने बाद भव्य कार्यक्रम आयोजित करके उनके सिंहासन पर विराजित किया गया।

मठ के प्रवक्ता जय प्रकाश गुप्ता ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष पूज्य पाद त्रिदंडी स्वामी भक्ति विचार विष्णु महाराज के सानिध्य में धर्म सम्मेलन के अंतर्गत 10 अप्रैल तक रोजाना रात्रि 7:30 बजे से 10:30 बजे तक कार्यक्रम आयोजित होंगे जिसमें वैष्णवों संतों द्वारा संकीर्तन किया जाएगा। 8 अप्रैल को सुबह 7:45 से 8:45 तक श्रीविग्रहों की महाभिषेक पूजा का आयोजन किया जाएगा।दोपहर 3 बजे बच्चों के लिए ड्राइंग कम्पटीशन भी आयोजित होगा। 10 अप्रैल को रामनवमीं उत्सव मनाया जाएगा। 11 अप्रैल को सायं 4 बजे से 7 बजे तक नृत्य संकीर्तन के साथ भगवान की रथ यात्रा द्वारा इस धर्म सम्मेलन का अंत होगा। कोरोना काल के बाद पहली बार इस रथ यात्रा का आयोजन होगा जिसमें करीब 5000 श्रद्धालुओं शामिल होंगे।

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