निर्दोष बच्चे को पुलिस ने पीटा!!! मेडिकल हुआ, मामला हुआ दर्ज, पर नहीं मिला इंसाफ, एसएसपी पर लगी आस

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चंडीगढ़:- 4 अप्रैल:- राजेश पठानिया+ अनिल शारदा:– चंडीगढ़ पुलिस अपने अनुशासित और शिष्ट व्यवहार के साथ-साथ वी केयर फॉर यू के बैनर तले काम करने को लेकर स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर तक सम्मानित होती रही है! लेकिन कई बार पुलिस कर्मचारी लंबी ड्यूटी के कारण मानसिक तनाव के चलते हुए निर्दोष और आम जनता के साथ निंदनीय दुर्व्यवहार तक कर बैठती है! हालांकि उसका उसे पछतावा भी रहता है! लेकिन परिस्थितियों से हर कोई आला अधिकारी, मीडिया प्रेस और स्थानीय पब्लिक मुंह मोड़े रहता है! इतना सब कुछ सहने के बावजूद भी चंडीगढ़ की खाकी वर्दी अपने शहर वासियों के लिए रात दिन मुस्तैद रहकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करती है। इसमें कोई शक नहीं है। लेकिन कभी-कभार निरीह निर्दोष जनता पर अपनाए गए अनैतिक और गैर कानूनी हथकंडे वर्दी की गरिमा को दाग लगाने में सबब बनते हैं।

25 मार्च को एक ऐसा ही मामला सामने आया था। जहां सेक्टर 25 की रहने वाली गीता ने अपने बेटे को सेक्टर 25 पुलिस बीट बूथ पर तैनात कर्मियों द्वारा बुरी तरह से पीटकर गंभीर रूप से जख्मी करने की शिकायत सामने आई थी। और गवर्नमेंट जनरल मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में लड़के का उपचार और मेडिकल कार्ड भी दर्ज हुआ था । मेडिकल कार्ड के मुताबिक कोई संशय नहीं है कि बच्चे को बुरी तरह से पीटा है। मां और बच्चे का सीधा सीधा कहना है कि बीटबॉक्स पर तैनात पुलिसकर्मियों ने उसे अज्ञात कारणों से पीटा है। इस बारे में बीटबॉक्स पर भी पुलिसकर्मियों से बातचीत के लिए संपर्क साधने की कोशिश नाकाम रही। गीता का शिकवा यह भी है कि अभी तक इस पुलिस को दी गई पुलिस कर्मियों की शिकायत पर किसी तरह का कोई कार्यवाही ना करना भी  पक्षपात की ओर इशारा करता है। हालांकि पुलिस अनेकों कारणों से काफी व्यस्त चल रही है। 31 मार्च तक अनेकों पुलिस अधिकारी और कर्मचारी रिटायर हुए हैं। ऐसे में पुलिस अमला में कमी स्वभाविक है। गीता जल्दी ही पुलिस के एसएसपी अधिकारी से मिलने का मन बना रही है। हालांकि अल्फा न्यूज़ इंडिया ने यह भी जानना चाहा की अज्ञात कारणों से निर्दोष बच्चे को आखिर पुलिस पीटेगी ही क्यों?? पुलिस के पास वैसे ही लंबित शिकायतों को निपटाने का वक्त नहीं है! अनेकों मामले लंबे समय से घिसटते चले आ रहे हैं। ऐसे में बच्चों को पीटने के लिए पुलिस के पास फालतू वक्त कहां से मिलेगा। इसका भी जवाब मिलना चाहिए। दूसरा, चंडीगढ़ पुलिस इंसाफ के लिए जानी जाती है। खासकर चंडीगढ़ पुलिस का इंसाफ करने का एक अपना खास रुतबा व सर्वमान्य स्तर है। उसको भी कायम रखा जाना चाहिए। गलती किसी की भी हो। सजा सबके लिए कानून के दायरे में होनी चाहिए। अरे इतना बड़ा भी अपराध नहीं है कि इसकी सजा किसी की वर्दी ही उतरवाकर या नौकरी से ही निकलवा कर राहत की सांस आए। दोनों पक्षों को चाहिए कि गलतफहमी को दूर करें। और अपने अपने हिस्से का दोष स्वीकार करते हुए एक दूसरे से क्षमा मांगना ही सबसे बड़ा धर्म कहा गया है। तो फिर अब कौन सा धर्म अधर्म में बदल जाएगा। चंडीगढ़ पुलिस को नफरत जैसे छोटे-छोटे मुद्दों से ऊपर उठना होगा। और अपनी वर्दी पर लगने वाले दागों को अपनी दरियादिली से धोना होगा। यही पब्लिक व प्रेस और पुलिस के लिए सही और मुनासिब होगा।

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