नल नव विक्रम संवत्सर 2079 मंगलमय हो राजा शनि मंत्री बृहस्पति फल मंगलमय हो

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  • चंडीगढ़:-29 मार्च:- आरके विक्रमा शर्मा/करण शर्मा प्रस्तुति:– देसी वर्ष 2 अप्रैल से शुरू होने जा रहा है। और समस्त भौतिक समाज को स्वस्थ मंगलकामनाएं फलीभूत हो। नव संवत्सर कुंडली अंग्रेजी 20 सो 22 ईस्वी मुताबिक 2 अप्रैल से शुरू हो रही है यह नल नव विक्रम संवत 2079 वर्ष है इस वर्ष का राजा शनि और वर्ष का मंत्री बृहस्पति है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को चैत्र नवरात्रि प्रारंभ के साथ नव वर्ष प्रारंभ हो रहा है। और चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का चंद्र दर्शन अति शुभ कार्य है। इसी प्रारंभ से विवाह एवं अन्य शुभ मुहूर्त भी शुरू होंगे। 2 अप्रैल को पंचक समाप्त होंगे 11 घड़ियां 1 मिनट पर और 25 अप्रैल को 5:00 घड़ियां 30 मिनट पर पंच फिर शुरू होंगे और यह पंचक 29 अप्रैल 18:45 पर समाप्त होंगे यानी चेत्र अमावस के अगले दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को पंचक समाप्त होंगे और फिर बेशक कृष्ण दशमी को शुरू होकर वैशाख कृष्ण चतुर्दशी को मास शिवरात्रि व्रत के साथ समापन होगा। वैशाख अमावस 30 अप्रैल को शनिवारी अमावस के रूप में है। चैत्र पूर्णिमा 16 अप्रैल को वैशाख स्नान प्रारंभ हो गया। श्री हनुमान जयंती है श्री सत्यनारायण का व्रत भी चैत्र पूर्णिमा को रखा जाएगा। और चैत्र शुक्ल द्वादशी को श्री विष्णु दमन उत्सव मनाया जाएगा। 12 अप्रैल को चैत्र शुक्ल एकादशी यानी कामदा एकादशी व्रत होगा। चैत्र शुक्ल द्वादशी दशमी को नवरात्र व्रत पारण होगा 3 अप्रैल की श्री मत्स्य जयंती होगी चैत्र शुक्ल तृतीया यानी 4 अप्रैल को गणगौरी चैत्र शुक्ल चतुर्दशी को 5 अप्रैल को श्री लक्ष्मी पंचमी होगी चैत्र शुक्ल षष्ठी 7 अप्रैल को व्रत होगा चैत्र शुक्ल अष्टमी 9 अप्रैल को श्री दुर्गा अष्टमी अष्टमी अन्नपूर्णा पूजन होगा।  बताते चलें कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को चैत्र नवरात्र प्रारंभ होते हैं और विक्रमी संवत 2079 जिसे नल नामक नव विक्रम समस्त 2079 की संज्ञा प्राप्त है, से देसी नव वर्ष शुरू होता है। और इसका समापन चैत्र पूर्णिमा श्री हनुमान जयंती के दिन 16 अप्रैल को इस मास का समापन है। चैत्र मास का प्रारंभ चैत्र कृष्ण प्रतिपदा होला मेला आनदपुर साहिब 19 मार्च को शुरू हुआ था। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन फाल्गुन का समापन होली पर्व के साथ हो गया था।। और 23 मार्च को मौसम विभाग दिवस जबकि 22 मार्च को श्री रंग पंचमी के दिन जल संरक्षण दिवस मनाया जाता है।। विक्रम संवत 2079 के क्रम से महीनों के नाम भी स्मरण और संग्रह योग्य हैं।

1. चैत्र
2. वैशाख
3. ज्येष्ठ
4. आषाढ़
5. श्रावण
6. भाद्रपद
7. अश्विन
8. कार्तिक
9. मार्गशीर्ष
10. पौष
11. माघ
12. फाल्गुन

चैत्र मास ही हमारा प्रथम मास होता है, जिस दिन ये मास आरम्भ होता है, उसे ही वैदिक नव-वर्ष मानते हैं l चैत्र मास अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार मार्च-अप्रैल में आता है, चैत्र के बाद वैशाख मास आता है जो अप्रैल-मई के मध्य में आता है, ऐसे ही बाकी महीने आते हैं l फाल्गुन मास हमारा अंतिम मास है जो फरवरी-मार्च में आता है, फाल्गुन की अंतिम तिथि से वर्ष की सम्पति हो जाती है, फिर अगला वर्ष चैत्र मास का पुन: तिथियों का आरम्भ होता है जिससे नववर्ष आरम्भ होता है।

हमारे समस्त वैदिक मास (महीने) का नाम 28 में से 12 नक्षत्रों के नामों पर रखे गये हैं।

जिस मास की पूर्णिमा को चन्द्रमा जिस नक्षत्र पर होता है उसी नक्षत्र के नाम पर उस मास का नाम हुआ।

1. चित्रा नक्षत्र से चैत्र मास
2. विशाखा नक्षत्र से वैशाख मास
3. ज्येष्ठा नक्षत्र से ज्येष्ठ मास
4. पूर्वाषाढा या उत्तराषाढा से आषाढ़
5. श्रावण नक्षत्र से श्रावण मास
6. पूर्वाभाद्रपद या उत्तराभाद्रपद से भाद्रपद
7. अश्विनी नक्षत्र से अश्विन मास
8. कृत्तिका नक्षत्र से कार्तिक मास
9,. मृगशिरा नक्षत्र से मार्गशीर्ष मास
10. पुष्य नक्षत्र से पौष मास
11. माघा मास से माघ मास
12. पूर्वाफाल्गुनी या उत्तराफाल्गुनी से फाल्गुन मास

हर हर महादेव🚩
जय जय सियाराम🚩

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