चंडीगढ़/अबोहर:- 26 मार्च:- आरके विक्रमा शर्मा/ धर्मवीर शर्मा राजू:– विदेशों की तरह भारत में राइट टू टेस्ट का अधिकार नहीं है सो अब मरना और भी ज्यादा दुश्वार हो जाएगा क्योंकि जीवन बचाने वाली अति आवश्यक दवाइयां अगले वित्त वर्ष की पहली तारीख से ही खूब महंगी हो जाएंगी यानी एक बुखार को उतारने वाली पेरासिटामोल दवाई को खरीदते वक्त ही जीव और दिमाग का पारा चर जाना लाजमी है यही नहीं अनेकों जीवन रक्षक बुनियादी अनिवार्य दवाइयां आम आदमी की पहुंच से बहुत दूर हो जाएंगी। वहां तक चाह कर भी जीवन जीने की लालसा पहुंच नहीं पाएगी। और यह देश के सतत विकास की एक झलक है। हालांकि पंजाब में बहुत सारे लोगों को इस मुश्किल से दो-चार हो होने से मौजूदा आम आदमी पार्टी की सत्तारूढ़ सरकार ने सुविधा सरल सहज मुहैया करवाई है। पंजाब में हर महिला को ₹1000 महीना सरकार की ओर से एक भत्ता मिलेगा। कम से कम उनके घर महंगी दवाई का अभाव तो दूर होगा। साथ ही चौका चूल्हा भी चलेगा। लेकिन बाकी प्रदेशों की जनता पर दवाइयों पर महंगाई की मार का बोझ बहुत गहरे असर डालेगा।
फार्मा इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का दावा है कि देश में आवश्यक दवाओं के दामों में बढ़ोतरी किए जाने के पीछे अहम वजह पिछले दो साल के दौरान कुछ प्रमुख एपीआई की कीमतें 15 से 130 फीसदी तक इजाफा होना है।. पैरासिटामोल की एपीआई (कच्चा माल) की कीमतों में 130 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
नई दिल्ली : देश में पेट्रोल-डीजल, सीएनजी-पीएनजी और एलपीजी के दाम बढ़ने से भोजन-पानी और आना-जाना भारी होने के साथ ही अब बुखार उतारना भी 1 अप्रैल 2022 से महंगा हो जाएगा।. इसका कारण यह है कि केंद्र की मोदी सरकार एक अप्रैल से बुखार उतारने की जानी-मानी आम प्रचलित दवा पैरासिटामोल समेत करीब 800 से अधिक आवश्यक दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी करने जा रही है।. मीडिया की रिपोर्ट्स की मानें तो इन दवाओं की कीमतों में कम से कम 10.7 फीसदी तक इजाफा किया जाएगा।
मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार की ओर से पैरासिटामोल समेत जिन 800 से अधिक आवश्यक दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी की जाएगी। उनमें बुखार, हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर, त्वचा रोग और एनीमिया के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवाएं भी शामिल हैं। अगले महीने से से पेनकिलर और एंटी बायोटिक जैसे पैरासिटामॉल फिनाइटोइन सोडियम, मेट्रोनिडाजोल जैसी जरूरी दवाएं महंगी मिलने लगेंगी।
कम से कम 10.7 फीसदी बढ़ेंगे दाम,,,,,,,
रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्र की मोदी सरकार की ओर से अनुसूचित दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर मंजूरी दे दी गई है. नेशनल फार्मा प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) के अनुसार, देश में थोक महंगाई दर के आधार पर दवाओं के दाम में बढ़ोतरी करने का फैसला किया गया है. बताया यह भी जा रहा है कि देश में कोरोना महामारी आने के बाद ही फार्मा इंडस्ट्री की ओर से दवाओं के दाम में बढ़ोतरी करने की मांग की जा रही थी. सरकार के फैसले के बाद दवाओं की कीमतों में कम से कम 10.7 फीसदी बढ़ोतरी की जा सकती है.
कोरोना के इलाज में काम आने वाली दवाएं भी शामिल
बताते चलें कि अनुसूचित दवाओं की श्रेणी में आवश्यक दवाएं शामिल हैं और इनकी कीमतों पर सरकार का नियंत्रण होता है. सरकार की अनुमति के बिना आवश्यक दवाओं के दामों में इजाफा नहीं किया जा सकता है. जिन दवाओं के दाम बढ़ने जा रहे हैं, उनमें कोरोना के मध्यम से लेकर गंभीर लक्षणों वाले मरीजों के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं भी शामिल हैं.
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क्यों बढ़ाए जा रहे दाम?
फार्मा इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का दावा है कि देश में आवश्यक दवाओं के दामों में बढ़ोतरी किए जाने के पीछे अहम वजह पिछले दो साल के दौरान कुछ प्रमुख एपीआई की कीमतें 15 से 130 फीसदी तक इजाफा होना है. पैरासिटामोल की एपीआई (कच्चा माल) की कीमतों में 130 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. वहीं, सिरप और ओरल ड्रॉप के साथ कई अन्य दवाओं और मेडिकल एप्लीकेशन में यूज होने वाले ग्लिसरीन के दाम 263 प्रतिशत और पॉपीलन ग्लाइकोल की कीमत 83 प्रतिशत तक बढ़ गई है. इंटरमीडिएट्स के दाम 11 प्रतिशत से 175 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं.