चंडीगढ़:- 20 मार्च:- आरके विक्रमा शर्मा/ राजेश पठानिया+ अनिल शारदा:—- सनातन भारतीयों के हिंदुस्तान में मुगलों मंगोलों ने इस देश को आर्थिक मानसिक और शारीरिक तौर पर असहनीय और ना भूलने वाले घाव दिए हैं। सनातनी हिंदू देवी देवताओं के मंदिरों को तोड़कर उनकी नींव पर ही अपने मकबरे दरगाहें मस्जिदों की इमारतें बनाई हैं। उत्तर प्रदेश का विश्व विख्यात भगवान भोलेनाथ के ज्योतिर्लिंग में अग्रणी मंदिर काशी विश्वनाथ का हाल ही में जीर्णोद्धार हुआ है। भगवान श्री रामचंद्र जी महाराज जी का मंदिर का जीर्णोद्धार हो रहा है। कभी यहां मस्जिदों का कब्जा था। सब जानते हैं कि मुसलमान भारत में 500 साल पहले आए थे। और इसी देश का नमक खाते हुए इसी की धरती पर रहते हुए इसी का विध्वंस किया था। लेकिन हिंदू सभ्यता संस्कृति और पौराणिक धरोहर हैं। हजारों हजारों साल पुरानी है। इनको मिटाने का मतलब है खुद को मिटा देना। और यही अब इन मंदिरों को मिटाने वाली सभ्यताओं का समूल नाश हो रहा है।
कर्नाटक के कोलार क्लॉक टावर पर 92 वर्षों बाद अब भारतीय झण्डा फहराया है सरकार ने। उस पर मज़हबी विशेष का झण्डा लगा था। और रंग भी हरा था। अब जाके उस असंवैधानिक झण्डे से छुटकारा मिल पाया और उस टावर का रंग भी बदला गया। एक लंबे अरसे के बाद भारतीय पहचान को जो मिटाने की साजिश की गई थी आज उस साजिश का समूल नाश करते हुए पुरानी पहचान को पुनः स्थापित किया गया है यह देशवासियों के लिए गर्व का विषय है। ये हुआ है हिन्दू एकता से स्वतंत्र भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा कह रहा रहा है।