चंडीगढ़,21 फरवरी:- राजेश पठानिया+अनिल शारदा प्रस्तुति:—- हितधारकों के विरोध के बावजूद और करोड़ों का मुनाफा कमाने वाले चंडीगढ़ बिजली विभाग को कोड़ियों के भाव में बेचने के खिलाफ देशभर के बिजली कर्मचारी एवं इंजीनियर लामबंद हो गए हैं। उल्लेखनीय है कि चंडीगढ़ के बिजली कर्मचारी निजीकरण के खिलाफ 21 फरवरी को रात 11 बजे से 72 घंटे की हड़ताल पर चले गए हैं। नेशनल को-आर्डिनेशन कमेटी आफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाईज एंड इंजीनियर (एनसीसीओईईई) के आह्वान पर देश भर के बिजली कर्मचारियों एवं इंजीनियरों ने निजीकरण के खिलाफ शुरू हुई हड़ताल के साथ एकजुटता प्रकट करने के लिए सभी राज्यों की राजधानियों में विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। यह जानकारी देते हुए नेशनल को-आर्डिनेशन कमेटी आफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाईज एंड इंजीनियर के सदस्य एवं इलेक्ट्रीसिटी इंप्लाईज फेडरेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि पंजाब के बिजली कर्मचारी एवं इंजीनियर 22 फरवरी, हरियाणा के बिजली कर्मचारी 23 फरवरी और हिमाचल के बिजली कर्मचारी 24 फरवरी से चंडीगढ़ में हड़ताली कर्मचारियों के प्रदर्शन में शामिल हो कर एकजुटता प्रकट करेंगे।
चंडीगढ़ के सभी विपक्षी दलों के काउंसलर्स, आरडब्ल्यूए, गांव संघर्ष समिति, संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल किसान संगठनों, केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों, गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, व्यापार मंडल और सीटीयू युनियन, चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड आदि ने एक स्वर में बिजली निजीकरण का विरोध करते हुए तीन दिवसीय हड़ताल का पुरजोर समर्थन का ऐलान किया है। नेशनल को-आर्डिनेशन कमेटी आफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाईज एंड इंजीनियर ने यूटी चंडीगढ़ प्रशासन को चेतावनी दी है कि निजीकरण का फैसला वापस लेने की बजाय हड़ताली कर्मचारियों का किसी भी प्रकार का दमन एवं उत्पीड़न करने का प्रयास किया तो देश भर के 27 लाख बिजली कर्मचारी एवं इंजीनियर कार्य बहिष्कार कर सड़कों पर उतरने पर मजबूर होंगे। जिसकी सारी जिम्मेदारी केंद्र एवं यूटी चंडीगढ़ प्रशासक की होगी। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि एनसीसीओईईई के वरिष्ठ नेता शैलेन्द्र दुबे,पदमजीत सिंह, प्रशांत नंदी चोधरी, सुभाष लांबा, मोहन शर्मा, अभिमन्यु धनखड़,समर सिन्हा आदि 22 फरवरी को चंडीगढ़ पहुंच रहे हैं। उक्त नेता हड़ताल की मोनिटरिंग करेंगे और प्रशासन द्वारा हड़ताल को विफल बनाने के उठाएं जाने वाले कदमों पर नजदीकी नजर रखेंगे और उसी अनुरूप जरुरी फैसले लेंगे। उन्होंने कहा कि हड़ताल के दौरान बिजली आपूर्ति को सुचारू रूप से चलाने के लिए पंजाब, हरियाणा व हिमाचल से कोई बिजली कर्मचारी एवं इंजीनियर चंडीगढ़ नहीं जाएगा। यूटी पावरमैन यूनियन चंडीगढ़ के प्रधान ध्यान चंद व महासचिव गोपाल दत्त जोशी ने बताया कि तीन दिवसीय हड़ताल ऐतिहासिक एवं अभूतपूर्व होगी। उपभोक्ताओं, सभी विपक्षी दलों, किसान संगठनों, आरडब्ल्यूए गांव संधर्ष समिति, ट्रेड यूनियनों व अन्य विभागों के कर्मचारियों का भरपूर सहयोग एवं समर्थन प्राप्त हो रहा है। जिससे बिजली कर्मचारियों के हौसले बुलंद हैं। फेडरेशन के यूटी चंडीगढ़ इंप्लाईज एंड वर्कर्स फेडरेशन के प्रधान रघबीर चंद ने हड़ताल का पुरजोर समर्थन किया है। उन्होंने बताया कि तीनों दिन अन्य विभागों के कर्मचारी अपने अपने विभागों में विरोध प्रदर्शन करेंगे ओर जुलूस की शक्ल में प्रदर्शन करते हुए हड़ताली कर्मचारियों में शामिल होंगे।
यूटी पावरमैन यूनियन चंडीगढ़ के महासचिव गोपाल दत्त जोशी व प्रधान ध्यान चंद ने बताया कि केन्द्र सरकार पिछले 5 सालों से 150 करोड़ से 350 करोड़ तक मुनाफा कमा रहे बिजली विभाग को देश में सबसे महँगी बिजली बेचने वाली कोलकाता की एक निजी कम्पनी को बेचने पर तुली हुई है। उन्होंने बताया कि चण्डीगढ़ में 100 प्रतिशत मीटरिंग सप्लाई है। लाइन लॉस केन्द्र सरकार के मानक 15 प्रतिशत से काफी कम 10 प्रतिशत से भी नीचे हैं। बिजली विभाग को अच्छी सेवा के लिए अवार्ड दिये गये हैं। पिछले 5 साल से बिजली की दरें नहीं बढ़ाई गई है, बल्कि इस साल रेट घटाये हैं तथा बिजली की दर 150 युनिट तक 2.50 रूपये तथा अधिकतम 4.50 रूपये है। लेकिन ऐमीनेंट कम्पनी ( जिसे सरकार विभाग को बेच रही है) का 150 यूनिट तक का रेट 7.16 रूपये तथा 300 यूनिट से आगे 8.92 रूपये है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के निर्देश पर बिजली कानून- 2003 की धज्जियाँ उड़ाकर गैर कानूनी तरीके से बिजली विभाग निजी हाथों में बेचा जा रहा है, वह भी सबसे मंहगी बिजली बेचने वाली निजी कम्पनी को, जो सिर्फ 2 साल पहले अस्तित्व में आई है। उन्होंने बताया कि यह शक के दायरे में भी है व समझ से बाहर भी है कि 20000-25000 करोड़ की अनुमानित सम्पत्ति सिर्फ 871 करोड़ में बेची जा रही है। बेचने से पहले मशीनरी, बिल्डिंग व जमीन की कीमत तय कर आडिट भी नहीं कराया गया है। निजीकरण के बाद तो ए.जी. का ऑडिट का प्रावधान भी खत्म हो जायेगा। उन्होंने कहा कि जब चंडीगढ़ बिजली विभाग का गठन हुआ तब 1 लाख 10 हजार के करीब कनेक्शन थे और 2200 कर्मचारी काम करते थे। आज 2.50 लाख के करीब कनेक्शन हैं और करीब 1000 कर्मचारी है, जिसमें भी करीब 400 ठेका कर्मचारी हैं। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में 66 केवी के 14 और 33 केवी के 5 सब स्टेशन तथा 2500 के करीब डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफर है। कनेक्शन दुगुने से भी ज्यादा और कर्मचारी आधे से भी कम होने के बावजूद रात दिन काम कर उपभोक्ताओं को 24 घंटे निर्बाध बिजली दी जा रही है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार व प्रशासन निजी कम्पनियों को जमीन व बिल्डिंग को 1 रूपये प्रति महीने किराये पर दिया जा रहा है, जो हास्यास्पद भी है। यह भी बड़ी हैरानी की बात है कि इतना बड़ा जनविरोधी फैसला लेने से पहले प्रशासन ने मुख्य हितधारकों विशेषकर कर्मचारियों व उपभोक्ताओं से जरूरी सुझाव व एतराज लेना भी उचित नहीं समझा। अरबों / करोड़ों की प्रोपर्टी को कोड़ियों के भाव निजी घरानों को लुटाया जा रहा है । जिसे बचाना हमारा अधिकार भी है व कर्त्तव्य भी है। उन्होंने कहा कि सरकार व प्रशासन के इस कदम से जहाँ जनता पर कई गुना मँहगी बिजली का भार पडेगा व बिजली गरीब लोगों की पहुँच से दूर हो जायेगी।
इसी दौरान आज चण्डीगढ़ प्रशासक के सलाहकार श्री धर्मपाल ने यूनियन के पदाधिकारियों की मीटिंग बुलाई। यूनियन के पदाधिकारियों ने अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए कई कमियां गिनाई तथा सभी केन्द्रशासित प्रदेशों के लिए पॉलिसी बनाने तक चण्डीगढ़ के बिजली विभाग का निजीकरण रोकने की मांग की। जिस पर प्रशासक के सलाहकार ने यूनियन का पक्ष केन्द्र सरकार के पास रखने की बात की। बाद में यूनियन के पदाधिकारियों ने मीटिंग कर निजीकरण की प्रक्रिया रद्द करने तक हड़ताल जारी रखने का फैसला किया। उन्होंने सभी कर्मचारियों से मुकम्मल हड़ताल कर 22-23-24 फरवरी को परेड़ ग्राऊण्ड के सामने की जा रही रैली में बढ़चढ़कर भाग लेने की अपील की। यूनियन ने प्रशासन को चेतावनी दी कि अगर प्रशासन ने दमनकारी रवैया अपनाया। तो हड़ताल को आगे बढ़ाया जायेगा।