चंडीगढ़: 15 फरवरी :-आरके विक्रमा शर्मा/ करण शर्मा+ अनिल शारदा प्रस्तुति:—–भारत में लगभग 8 करोड़ से ज्यादा लोगों को डाइबटीज है और 3 करोड़ से ज्यादा को हो जाएगी और लगभग 22 करोड़ प्रिडायबिटिक हैं जिन्हें अगले कुछ सालों में हो सकती है (आंकड़े ऐसा कह रहे हैं)।
हर 2 मिनट में एक आदमी डाइबटीज से मर रहा है और साथ में बहुत सारे कॉम्प्लिकेशन्स भी बहुत हैं।
किसी की किडनी खराब हो रही है,
किसी का लीवर खराब हो रहा है,
किसी को लकवा हो रहा है,
किसी को ब्रेन स्ट्रोक हो रहा है,
किसी को हार्ट अटैक आ रहा है।
कुल मिलाकर डायबिटीज के कॉम्प्लिकेशन्स
बहुत हैं।
मधुमेह या सुगर की बीमारी एक खतरनाक रोग है जिसका कारण कहीं न कहीं हमारी जीवनशैली और अनभिज्ञता है।
ब्लड शुगर लेवल बढा़ हुआ मिलता है, यह रोग मरीजों के रक्त मे गंदा कोलेस्ट्रॉल, के अवयव के बढने के कारण होता है।
ऐसे मरीजों में आँखों, गुर्दों, स्नायु, मस्तिष्क, हृदय के क्षतिग्रस्त होने से इनके गंभीर, जटिल, घातक रोग का खतरा बढ़ जाता है।
थोड़ा जानिये…
भोजन पेट में जाकर एक प्रकार के ईंधन में बदलता है जिसे ग्लूकोज कहते हैं।
यह एक प्रकार की शर्करा होती है।
ग्लूकोज हमारे रक्त धारा में मिलता है और शरीर की लाखों कोशिकाओं में पहुंचता है।
पैंक्रियास या अग्न्याशय ग्लूकोज उत्पन्न करता है।
इनसुलिन भी रक्तधारा में मिलता है और कोशिकाओं तक जाता है।
मधुमेह बीमारी का असली कारण जब तक आप लोग नही समझेगे तब तक आपकी मधुमेह या डायबिटीज कभी भी ठीक नही हो सकती है।
जब आपके रक्त में वसा (गंदे कोलेस्ट्रोल) LDL की मात्रा बढ जाती है तब रक्त में मौजूद कोलेस्ट्रोल कोशिकाओ के चारों तरफ चिपक जाता है और खून में मौजूद इन्सुलिन, कोशिकाओं तक नही पहुँच पाता है।
इंसुलिन की मात्रा तो पर्याप्त होती है किन्तु इससे द्वारों को खोला नहीं जा सकता है अर्थात पूरे ग्लूकोज को ग्रहण कर सकने के लिए रिसेप्टरों की संख्या कम हो सकती है।
वो इन्सुलिन शरीर के किसी भी काम में नही आता है जिस कारण जब हम शुगर लेवेल चैक करते हैं।
शरीर में हमेशा शुगर का स्तर हमेशा ही बढा हुआ होता है क्यूंकि वो कोशिकाओ तक नहीं पहुंचती।
कारण वहाँ (गंदे कोलेस्ट्रोल) LDL, VLDL जमा हुआ रहता है जबकि जब हम बाहर से इन्सुलिन लेते है तब वो इन्सुलिन नया नया होता है तो वह कोशिकाओं के अन्दर पहुँच जाता है।
अब आप समझ गये होगे कि मधुमेह का रिश्ता कोलेस्ट्रोल से है न कि शुगर से।
जब सम्भोग के समय पति पत्नी आपस में नही बना कर रख पाते है या सम्भोग के समय बहुत तकलीफ होती है समझ जाइये मधुमेह हो चुका है या होने वाला है क्योकि जिस आदमी को मधुमेह होने वाला हो उसे सम्भोग के समय बहुत तकलीफ होती है क्योकि मधुमेह से पहले जो बीमारी आती है, वो है सेक्स में प्रोब्लम होना।
मधुमेह रोग में शुरू में तो भूख बहुत लगती है।
लेकिन धीरे-धीरे भूख कम हो जाती है।
शरीर सुखने लगता है, कब्ज की शिकायत रहने लगती है।
बार बार बहुत अधिक प्यास लगती है।
अधिक पेशाब आना और पेशाब में चीनी आना शुरू हो जाती है और रोगी का वजन कम होता जाता है।
शरीर में कहीं भी जख्म घाव होने पर वह जल्दी नहीं भरता।
तो ऐसी स्थिति मे हम क्या करें ??
डॉ. वंदना आर्या की एक छोटी सी सलाह है कि आप इंसुलिन पर ज्यादा निर्भर ना रहें ! क्यूंकि ये इंसुलिन डायबिटीज से भी ज्यादा खराब और खतरनाक है।
इसके बहुत सारे साइड इफेक्ट्स हैं।
आप इस प्राकृतिक फार्मूला अपना सकते हैं।
100 ग्राम (मेथी का दाना) ले ले इसे धूप मे सूखा कर पत्थर पर पीस कर इसका पाउडर बना लें !
100 ग्राम (तेज पत्ता) ले लें।
इसे भी धूप मे सूखा कर पत्थर पर पीस कर इसका पाउडर बना लें !
150 ग्राम (जामुन की गुठली) ले लें।
इसे भी धूप मे सूखा कर पत्थर पर पीस कर इसका पाउडर बना लें !
250 ग्राम (बेलपत्र के पत्ते) ले लें।
इसे भी धूप मे सूखा कर पत्थर पर पीस कर इसका पाउडर बना लें !
तो
मेथी का दना- 100 ग्राम
तेज पत्ता – 100 ग्राम
जामुन की गुठली – 150 ग्राम
बेलपत्र के पत्ते – 250 ग्राम
इन सबका पाउडर बनाकर इन सबको एक दूसरे मे मिला लें।
बस नुस्खा तैयार है..
इसे सुबह शाम (खाली पेट) 1 से डेढ़ चम्मच, खाना खाने से एक घण्टा पहले गरम पानी के साथ लें।
कम से कम 120 दिन लगातार इसका सेवन करें !!
(सुबह खाली पेट और रात को डिनर से एक घण्टा पहले।)
कई बार लोगो से सीधा पाउडर लिया नहीं जाता तो उसके लिए क्या करें ??
आधे से आधा गिलास पानी को गर्म करे उसमे पाउडर मिलाकर अच्छे से हिलाएँ !!
वो सिरप की तरह बन जाएगा !
उसे आसानी से एक दम पी सकते है।
उसके बाद एक आधा गिलास अकेला गुनगुना पानी पी लीजिये !!
अगर आप इसके साथ एक और काम करे तो सोने पे सुहागा हो जाएगा !
और ये दवा का असर बहुत ही जल्दी होगा !!
जैसा कि आप जानते है शरीर की सभी बीमारियाँ वात पित और कफ के बिगड़ने से होती हैं।
दुनिया मे सिर्फ दो ही ओषधियाँ है जो इन तीनों के सतर को बराबर रखती है।
एक है गौ मूत्र , दूसरी है त्रिफला चूर्ण।
गौ मूत्र ऑप्शनल है लेकिन उसके बारे में जानना जरूरी है।
आगे अपनी मर्जी क्योंकि कई जगह धर्मिक कारणों से भी नही ली जाती।
लेकिन हम गौ मूत्र के महत्व को बता रहे हैं और उसके लिए उपयुक्त, अमेरिका का उदाहरण देना चाहूंगा।
क्यूंकि अंग्रेज़ मेकोले के बनाए इंडियन एजुकेशन सिस्टम को पढ़ कर हमारी मानसिकता या बुद्धि ऐसी हो गई है कि हमको, आपको और सभी को, सिर्फ अमेरिका (अंग्रेज़ो) द्वारा किये गए काम मे ही विश्वास होता है।
आपको कहीं ना कहीं लगता ही होगा कि अमेरिकन बहुत समझदार हैं और जो करते है वो सोच समझ के करते हैं।
आपकी जानकरी के लिए बता दूँ कि अमेरिका ने गौ मूत्र पर 6 पेटेंट ले लिए हैं !!
उसको इसका महत्व समझ आने लगा है और हमारे शास्त्रो मे करोड़ो वर्षो पहले से इसका महत्व बताया है ! लेकिन गौ मूत्र का नाम सुनते हमारी नाक चढ़ती है !
खैर जिसको पीना है वो पी सकता है, इस पर कोई बंधेज नहीं है।
स्वस्थ गाय का गौ मूत्र बिलकुल ताजा पिये सबसे बढ़िया।
बाहरी प्रयोग के लिए जितना पुराना उतना अच्छा है लेकिन पीने के लिए ताजा सबसे बढ़िया !!
हमेशा देशी गाय का ही मूत्र पिये (देशी गाय की निशानी जिसकी पीठ पर हम्प होता है)।
3-4 घंटे से अधिक पुराना मूत्र ना पिये
और याद रखे गौ मूत्र पीना है अर्क नहीं।
आधे से एक सुबह सुबह कप पिये, सारी बीमारियाँ दूर।
अब बात करते हैं त्रिफला चूर्ण की !
त्रिफला अर्थात तीन फल !
कौन से तीन फल !
(1) हरड़ (Terminalia chebula)
(2) बहेडा (Terminalia bellirica)
(3) आंवला (Emblica officinalis)
एक बात याद रखें इनकी मात्रा या अनुपात या रेशियो हमेशा 1:2:3 होनी चाहिए।
*1 अनुपात 2 अनुपात 3*
बाजार मे जितने भी त्रिफला चूर्ण मिलते है सब मे तीनों की मात्रा बराबर होती है।
बहुत ही कम बीमारियाँ होती है जिसमे त्रिफला बराबर मात्रा मे लेना होता है।
इसलिए आप जब त्रिफला चूर्ण बनवाए तो
*1:2:3* मे ही बनायें।
*सबसे पहले हरड़ 100 ग्राम,*
*फिर बहेड़ा 200 ग्राम*
*और अंत में आंवला 300 ग्राम।*
इन तीनों को भी एक दूसरे मे मिलकर पाउडर बना लीजिये और रात को एक से डेढ़ चम्मच गर्म दूध के साथ प्रयोग करें।
*सावधानियाँ*
चीनी का प्रयोग कभी ना करें और जो शुगर फ्री गोलियां का तो सोचे भी नहीं लेकिन स्टीविया या मीठी तुलसी ले सकते हैं !!
देसी गुड़ खाये,
देसी खांड खायें, स्टीविया या मीठी तुलसी या फल खाये।
प्रकृति की बनाई गई कोई भी मीठी चीजे खा सकते हैं।
ऐसी चीजे ज्यादा खाए जिसमे फाइबर हो रेशे ज्यादा हो,
हाई फाइबर, लो फैट डाइट।
घी, तेल वाली डायेट कम हो और फाइबर वाली ज्यादा हो रेशेदार चीजे ज्यादा खाए। सब्जिया में बहुत रेशे है वो खायें।
छिलके वाली दाल खायें,
मोटा अनाज ज्यादा खाए,
फल ऐसे खाए जिनमे रेशा बहुत है।
साभार।।।नेचुरोपैथ कौशल।।।