चंडीगढ़:- 25 दिसंबर:- आरके विक्रमा शर्मा:— आधुनिक दौर में हम परंपराओं और बुनियादी शुरू त्रों का बुरी तरह से विनाश करते हुए अपनी भावी पीढ़ियों के सर्वांगण विकास का विनाश करने पर तुले हुए हैं। आज हम अपनी बर्बादी दिखावा प्रखंड और भौतिक ऐश्वर्या के गुलाम होते जा रहे हैं। और अपनी सभ्य संस्कृति धर्म पराकाष्ठा को गौण साबित करने पर तुले हुए हैं। यह सब आधुनिक सुविधाओं का दुरुपयोग है। बेहतर होगा, इनके सदुपयोग की गाथा लिखी जाए। आज दुनिया भर में लाखों की तादाद में नई नई कंपनीज, स्टोर्स व मॉल सिर्फ एक ही विषयवस्तु पर तुले हैं कि वह आपके धन-संपदा स्वास्थ्य और पैतृक संपत्तियों को सही तरीके से सदुपयोग के लिए वचनबद्ध हैं। और शिक्षित समाज आज दूसरों के इशारे पर अपनी शिक्षा की उपलब्धियों को पददलित करते हुए अपने विनाश की सुर्खियां खुद बटोर रहा है।
स्वास्थ्य संबंधी विषयों को लेकर नाना प्रकार के सब्जबाग दिखाने में आज हर कंपनी एक दूसरे कंपनी से प्रतिस्पर्धा करते हुए मानव समाज के स्वास्थ्य का बेड़ा गर्क कर रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है। आज हर कंपनी नाना प्रकार की स्किन क्रीम टैबलेट्स पेय पदार्थ शक्ति वर्धक कैप्सूल्स पेस्ट आदि खरीदने पर बाध्य करते हैं। और दावा करते हैं कि आप बिल्कुल स्वस्थ जीवन जीओगे। अगर आप उनकी आमुक दवा खरीद कर उपयोग में लाओगे। लेकिन जब उनसे इस संबंधी समय अवधि और शर्तिया स्वास्थ्य लाभ परिणाम की कानूनन बात करेंगे। तो बड़े-बड़े दावे और वादे करने वाली कंपनी फार्मास्युटिकल्स डाक्टर वैद्य आदि खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे माकिफ मुंह ताकते रह जाते हैं। तब सीना ठोक कर कानूनन अधिकार से कोई एक भी काली जुबां तक खोलने से बगले झांकने लगते हैं।