एक मिंट में दौड़ेगी 27 किलोमीटर्स,महत्वाकांक्षी सुपरसोनिक कार एयरोडायनामिक्स
चंडीगढ़ ; 7 जुलाई : आरके शर्मा विक्रमा /करण शर्मा ;—–आज कलियुग नहीं अपितु करयुग भी नहीं है ! जिसमे इंसान हाथ से मेहनत करके कमाकर खाता था ! आज का दौर कल का युग यानि कलपुर्जों का युग है ! और देखा जाये तो सच भी इंसान मशीन बना हुआ है और उसकी संवेदनाएं सब खत्म हैं ! फिरंगी मुल्ख के मेधावी शोधकर्ताओं ने ऐसा फार्मूला बनाने में कामयाबी हासिल कर ली है जिसमे एक सुपरसोनिक कार एयरोडायनामिक्स जरूरतों से तालमेल बिठाते हुए 1600 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से रिकॉर्ड गति में भाग सकेगी। स्वेंसिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने ये समझने की कोशिश की है कि उक्त कार कैसे लहरयुक्त सुपरसोनिक धरातल पर चलेगी नहीं दौड़ेगी ! और इसके पहिए किस तरह घूमेंगे-इस संबंध में दक्षिण अफ्रीका के हाकसीन पैन में धरातल संबंधी रिकॉर्ड परीक्षण किए गए। माना जा रहा है 800 मील प्रति घंटा की रफ्तार वाली कार वर्ष 2015 तक बनकर तैयार हो जाएगी और 1000 मील प्रति घंटा की रफ्तार तक पहुंचने की कोशिश को वर्ष 2016 तक अंजाम दिया जा सकेगा। एक हजार मील प्रति घंटा की रफ्तार की यात्रा के लायक वाहन बनाने के लिए डिजाइनर्स ने अंतरिक्ष, एयरोनाटिक्स और फार्मूला वन इंजीनियरिंग को साथ मिलाने की कोशिश की। इंजीनियरों का कहना है कि ब्लडहाउंड सुपरसोनिक कार मौजूदा वक़्त में तो सबसे रोमांचक और गतिशील इंजीनियरिंग चुनौती है। जब इंजीनियरों ने ऐसा वाहन बनाने की सोची, तो उनके सामने केवल एयरोडायनामिक चुनौतियां ही नहीं थीं बल्कि उन्हें जमीन पर ऐसी सतह भी विकसित करनी थी, जहां ये वाहन ट्रांससोनिक गति से सुरक्षित यात्रा कर सकें। लेकिन वास्तव में ये सोच ये मनोरथ कितना साकार हुआ ज्ञात करना बाकी है ! इस के लिए ये कहना होगा कि स्पीड ही जीवन है स्पीड है तो जीवन में अँधेरा है !