इम्यूनिटी का बूस्टर और गरीबों का ड्राई फ्रूट है सर्दियों में सिंघाड़ा फल:–डॉक्टर कैलाश चंद्र शर्मा पाटोदा

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चंडीगढ़/जयपुर:09 जनवरी:- आरके विक्रमा शर्मा+एडवोकेट विनीता शर्मा प्रस्तुति:––डाँ.कैलाश शर्मा पाटोदा, सहायक निदेशक, आयुर्वेद विभाग सीकर, राजस्थान अल्फा न्यूज इंडिया के माध्यम से सेहत का खजाना आयुर्विज्ञान के नुक्ते और नुस्खे सांझा करते हुए लोगों के कल्याण में अथक रूप से संघर्षरत और कार्यरत हैं। शिशिर ऋतु में सिंघाड़ा फल खाने के क्या-क्या लाभ हैं। और यह कितना ड्राई फ्रूट के मुकाबले सस्ता और सहज मिलने वाला फल है। इसके बारे में विस्तृत जानकारी आप सबके समक्ष प्रस्तुत है।

*_सिघाड़ा : स्वाद ही नहीं आयुर्वेद का भी है खजाना जानिए सर्दियों में सिंघाड़े के सेवन के फायदे_*

सर्दियों के आते ही सिंघाड़ा मिलना शुरू हो जाता है। कई लोगों को ये खूब पसंद भी आता है। इसे अंग्रेजी में वाटप चेस्टनट कहा जाता है। सिंघाड़ा खाने में जितना स्वादिष्ट है उतना ही इसके फायदे अनेक है जी हा स्वास्थ्य के लिहाज से ये काफी फायदेमंद होता है। वहीं अगर आप इसका नियमित सेवन करते है तो आपको कई बीमारियों से सुरक्षा मिलती हैं। तो आइए जानते हैं सिंघाड़े के फायदो के बारे में

सर्दियों में सिंघाड़े का सेवन बहुत फायदेमंद माना जाता है। दिल के मरीजों के लिए ये बहुत लाभकारी है। दिल के मरीजों को रोजाना सिंघाड़ा का सेवन करना चाहिए।

ये बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। इसलिए इसे अपनी डाइट में जरूर शामिल करें।

सांस संबंधी परेशानियों से राहत पाने के लिए सिंघाड़ा बहुत फायदेमंद होता है। अस्थमा के मरीजों के लिए सिंघाड़ा बहुत लाभकारी होता है। सिंघाड़े को नियमित रूप से खाने से सांस संबधी समस्याओं से भी राहत मिलती है।

मेटाबॉलिज्म को स्ट्रोंग करने के लिए सिंघाड़ा का सेवन लाभकारी होता है। ये फल आपके वजन को नियंत्रण में रखने में भी सहायक होता है। अगर आप अपने वजन को कम करना चाहते है, तो सिंघाड़े को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें।

बवासीर से जो लोग परेशान होते है उनके लिए भी सिंघाड़े का सेवन काफी लाभकारी होता है। ये इस मुश्किल समस्या से निजात दिलाने में कारगर होता है।

सिंघाड़े में कैल्शियम भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसके सेवन से
हड्डिडयां और दांत स्ट्रोंग होते है। साथ ही यह आंखों के लिए भी फायदेमंद है।
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः।
सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु।
मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥

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