कुछ लोगों के घाव दूसरों के घावों के भरने को बनते मरहम

Loading

चंडीगढ़:- 29 दिसंबर:- आरके विक्रमा शर्मा/करण शर्मा+ अनिल शारदा प्रस्तुति:—–+

 

कितना अजीब है ना,

दिसंबर और जनवरी का रिश्ता?

जैसे पुरानी यादों और नए वादों का किस्सा…

 

दोनों काफ़ी नाज़ुक है

दोनो मे गहराई है,

दोनों वक़्त के राही है,

दोनों ने ठोकर खायी है…

 

यूँ तो दोनों का है

वही चेहरा-वही रंग,

उतनी ही तारीखें और

उतनी ही ठंड…

पर पहचान अलग है दोनों की

अलग है अंदाज़ और

अलग हैं ढंग…

 

एक अन्त है,

एक शुरुआत

जैसे रात से सुबह,

और सुबह से रात…

 

एक मे याद है

दूसरे मे आस,

एक को है तजुर्बा,

दूसरे को विश्वास…

 

दोनों जुड़े हुए है ऐसे

धागे के दो छोर के जैसे,

पर देखो दूर रहकर भी

साथ निभाते है कैसे…

 

जो दिसंबर छोड़ के जाता है

उसे जनवरी अपनाता है,

और जो जनवरी के वादे है

उन्हें दिसम्बर निभाता है…

 

कैसे जनवरी से

दिसम्बर के सफर मे

११ महीने लग जाते है…

लेकिन दिसम्बर से जनवरी बस

१ पल मे पहुंच जाते है!!

 

जब ये दूर जाते है

तो हाल बदल देते है,

और जब पास आते है

तो साल बदल देते है…

 

देखने मे ये साल के महज़

दो महीने ही तो लगते है,

लेकिन…

सब कुछ बिखेरने और समेटने

का वो कायदा भी रखते है…

 

दोनों ने मिलकर ही तो

बाकी महीनों को बांध रखा है,

.

अपनी जुदाई को

दुनिया के लिए

एक त्यौहार बना रखा है..!

 

😊मेरा अंत ही आदि है।।

साभार:- प्रिंसिपल बीबी विक्रमजीत कौर बब्बल जी की व्हाट्सएप वाले से।।।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

160711

+

Visitors