चंडीगढ़ :-25 दिसंबर: आरके विक्रमा शर्मा/करण शर्मा+अनिल शारदा प्रस्तुति:— सत्य बहुत “कडवा” होता है और तथ्य बहुत “क्रूर” होते है!! इन दोनों को झेल पाना – हर किसी के – बस की बात नहीं होती। और जो यह सब झेल जाए वह धर्म में आस्थावान श्रद्धा से परिपूर्ण होता है। विनय, बुद्धि और विवेक ज्ञानवान ही खुद की और दूसरे की हिफाज़त करने में सक्षम और सफल होता है।
जानिये – कुछ कडवी सचाइयां और कुछ तथ्य जो – पंजाब और पुरे देश में फैलाए गये है।।
1 – पहला झूठ :— सिक्खो को आरक्षण नही मिलता..
सच :— सिक्खो मे केवल 25% आबादी “जट्टो” की है, जो “सामान्य वर्ग” मे आते है।
बाकी के 75% सरदार “रामदासिये और मजहबी” सिक्ख है, जो “दलित वर्ग” मे आते है,
इन्हे SC/ST का आरक्षण, तथा अनूसूचित जाति एवं जनजाती “एट्रोसिटी एक्ट” का पूरा संरक्षण भी मिलता है।
2 – दूसरा झूठ :— सिक्ख धर्म मे – ऊँच -नीच , भेदभाव और जाति प्रथा नही है।
सच, इससे बडी दोगली और बेतुकी बात हो ही नही सकती।
पंजाब प्रांत में तो स्पष्ट और मजबूत विभाजन रेखा है।
“रामदासियों और मजहबी सिक्खों ” के गुरूद्वारे भी अलग हैं, और जट्टों के अपने अलग है।।
जट्टों के गुरूद्वारे मे आज तक कोई “मजहबी सिक्ख ग्रंथी” नही बना है।
और
ना ही बन सकता है।
गुरूद्वारे को तो छोड ही दीजिए – सेना की भर्ती में भी आपको इस “सामाजिक विभाजन” की जड़ें नजर आ जायेंगीं।
जट्ट-सिक्ख को केवल “सिक्ख रेजीमेंट” मे भर्ती किया जाता है। उसके लिए आपको “जट्ट जाति” का “प्रमाण पत्र” प्रस्तुत करना होता है।
जबकि – अन्य छोटी जातियां जैसे – “तरखान , जुलाहे और रामदासिये और मजहबी सिक्ख” चाहकर भी “सिक्ख रेजीमेंट” मे भर्ती नहीं हो सकते हैं।
उनके लिए अलग से रेजीमेंट खडी की गई है। जिसे सिखली (SIkhLi) बोलते हैं।
अपने नरवणे साहब उसी रेजीमेंट से हैं। कुल मिलाकर जट्ट को SikhLi मे भर्ती नहीं किया जाता और मजहबी तथा रामदासिये सिक्ख (दलित सिक्ख) रेजीमेंट मे भर्ती नहीं हो सकते।
3 – तीसरा झूठ :– जातिगत भेदभाव — सबसे ज्यादा जातिगत भेदभाव आपको सिक्खों मे ही मिलेगा।
बहुत सालों से “रामदासिये सिक्खों ” ने गुरूद्वारों को छोडकर अपने लोकल गुरू मानने शुरू कर दिये थे। कभी निरंकारियो के पास भटके, तो कभी व्यास वाले आश्रम के अनुयायी बने।
बहुजन समाज पार्टी के नेता “कांशीराम” पंजाब से थे। और “रामदासिया सिक्ख” थे, अंतत: स्वयं “बौद्ध धर्म” का अनुयायी बताने लगे, और मायावती ने पार्टी (Take Over) हथिया ली।
“रामदासिया समुदाय” के ही लेखक है “गुरूनाम सिंह मुक्तसर”!! उन्होने तो बाकायदा किताबें लिख लिखकर सिक्खों को बौद्ध साबित कर दिया है।
भेदभाव का ये आलम यह है कि – आज पूरा का पूरा “रामदासिया और महजबी सिक्ख” समुदाय पगड़ी, जटा जूट बाँधकर , गले मे “क्रास” लटकाये थोक के भाव “क्रिस्चियन” बन रहे है।
और इनका दलित मुख्यमंत्री “चन्नी” क्रिस्मस मनाने मे बिजी है। क्योंकि चन्नी खुद क्रिस्चियन है।यह खोजबीन का विषय है कि मूल रूप से पृष्ठभूमि क्रिश्चियन है या आर्थिक मंदी के चलते क्रिश्चियन बन गए थे। केवल राजनैतिक लाभ के लिए पगड़ी बाँधे घूम रहा है।
अगर जाति आधारित भेदभाव सिक्ख धर्म मे है ही नही,
तो सिक्खो मे “बौद्ध” और क्रिस्चियन” धर्म की घुसपैठ कैसे हो गई -??-
4 – चौथा झूठ – आईडेंटिटी क्राईसिस – पंजाबी लेंग्वेज मे हो रही उर्दू की घुसपैठ के कारण इनमें आईडेंटिटी क्राईसिस हो गया है। ये कमीने मुस्लिम विशेषकर पाकिस्तानी मुस्लिमों के कारण Stockholm syndrome के शिकार हैं।
बेअदबी उर्दू का शब्द है। कोई बताये कि – पंजाबी मे बेअदबी का समानार्थी शब्द क्या है -??-
ये हरामी लोग भिंडरवाले को “मर्द ए मुजाहिद” लिखते हैं।
बताओ तो सही :— नीले घाघरे वालों कि – “मुजाहिद” का पंजाबी भाषा मे समानार्थी शब्द क्या है -??- बात बात में “कौम” का ढिंढोरा पीटने वालो, कौम का मतलब देश होता है, तो सिक्ख संम्प्रदाय के लिए कौम शब्द लिखने का मतलब क्या हुआ -??-
बेअदबी, मुजाहिद, कौम नाम के शब्द जब ग्रंथ साहिब में है ही नही, तो तुम कहाँ से उठा लाये “बेअदबी”।।
ये विशुद्ध रूप से इस्लामी काॅन्सेप्ट है ,जो तुम अपने स्टाॅकहोम सिंड्रोम से पीडित होने के चलते इस्लामिक परम्पराओ से उठा लाये हो।
पहले सुना करते थे कि – कुरान की बेअदबी हो गई। अब ग्रंथ साहिब की भी बेअदबी होने लगी है। इनका तो इतिहास बोध ही मर चुका है।
गंगू ब्राहम्ण ने – गुरू के साहेबजादो को पकडवा दिया तो पूरी “ब्राह्मण जाति” गुनाहगार है,
मगर ये तो बताओ कि – पकडा किसने था, दीवार मे किसने चुनवाया था -??-
गुरू अर्जन देव के कत्ल करवाने वाले जहाँगीर का धर्म क्या था –??-
गुरू तेगबहादुर का कत्ल करवाने वाले का धर्म क्या था -??-
उसको भी छोडो – जरा ये बताओ कि – नांदेड मे गुरू गोविंद सिंह की हत्या किसने करी थी -??- सोते हुए गुरू के सीने मे तलवार किसने भौंकी थी। और साथ ही ये भी बताना कि – उन पठानों को बचपन से अपने बच्चों की तरह पाला किसने था -??-इन सब के जवाब ही झूठ फरेब और गुमराह करते तथ्यों पर से पर्दा उठायेंगे।। सच ज़हर है पर जीवन रक्षक है। झूठ मीठा है पर जीवन भक्षक है।।
साभार व्हाट्सएप यूजर।।।।।