नेकदिल इन्सान थे लंगर बाबा जगदीश आहुजा — नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज

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चंडीगढ़:-29 नवंबर आरके विक्रमा शर्मा करण शर्मा अनिल शारदा प्रस्तुति:–+ सोहणी सिटी के ‘लंगर बाबा’ पदमश्री जगदीश आहुजा ने आज भौतिक संसार को छोड़कर श्री गुरु चरणों में चिरस्थाई पनाह ले ली।

स्थानीय सेक्टर 12 स्थित पीजीआई के बाहर करीब 21 साल से लंगर लगाने वाले पदमश्री जगदीश आहूजा के निधन पर समाज के गणमान्य व्यक्तियों ने गहरी संवेदना व्यक्त की है।. जूना अखाड़े के प्रमुख सन्त नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज ने अपने श्रद्धांजलि सन्देश में कहा कि हर उस गरीब की दुआ उनके साथ थी, जिनको इतनी लंबी अवधि में भूखे होने पर खाना परोसा था। एक साल पहले ही उन्हें राष्ट्रपति द्वारा पदमश्री से अलंकृत किया गया था। 4-5 हजार कहना तो आसान है, लेकिन नियमित तौर पर इतने लोगों को रोजाना लंगर परोसना आसान कतई नहीं हो सकता। देश के बंटवारे के वक्त मात्र 12 साल की उम्र में पंजाब आ गए थे। रेलवे स्टेशन पर नमकीन तक बेची। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक परियाला में उन्होंने गुड व फ्रूट भी बेचा। 1956 में लगभग 21 साल की उम्र में उस समय चंडीगढ़ आ गए थे, जब इस शहर को योजनाबद्ध तरीके से बनाने की कवायद शुरू हुई थी। यहां भी रेहड़ी पर केले बेचने शुरू किए। कैंसर की चपेट में आने से पहले वो खुद गाड़ी में दो से तीन हजार लोगों को खाना खिलाते थे।

जूना अखाड़े के सन्त स्वामी रसिक महाराज ने बताया कि जीवन के लंबे सफर में पदमश्री जगदीश आहूजा ने चंडीगढ़ में कई संपत्तियां भी बनाईं। लेकिन लंगर चलाने के लिए धीरे-धीरे अपनी संपत्तियां बेच दीं। 21 सालों के इतिहास में केवल कोविड के दौरान पीजीआई के बाहर 7 दिन का लंगर रोकना पड़ा था। उनकी इच्छा थी कि वो चंडीगढ़ में जरूरतमंदों के लिए सराय का निर्माण भी करवाएं। एक साक्षात्कार में लंगर वाले बाबा के नाम से मशहूर जगदीश आहूजा ने कहा था कि जब वो लोगाों को सड़कों पर भूखे पेट देखते हैं। तो बेचैनी होने लगती हैै। ये भी जानकारी है कि उन्होंने अपने बेटे के 8वें जन्मदिन पर 100 से 150 बच्चों को खाना खिलाना शुरू किया था। 18 साल तक सैक्टर-23 में मकान नंबर 2430, घर से लंगर चलाया। 2001 में पीजीआई चंडीगढ़ के बाहर हर दिन लंगर लगाना शुरू कर दिया था। हर कोई दिवंगत आत्मा की शांति की प्रार्थना कर रहा है।

अल्फा न्यूज इंडिया इस महान विभूति लंगर बाबाजी को श्रद्धा भाव से नमन करता है। पद्मश्री लंगर बाबा जगदीश आहूजा जी अपने पीछे अपनी धर्मपत्नी को रोता बिलखता हुआ छोड़ गए हैं। भगवान उन्हें यह सदमा सहने का बल बख्शें। और दिवंगत हुई आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान देते हुए परम पिता परमेश्वर मोक्ष प्रदान करें।।

ब्रह्मलीन 1008 श्री श्री गीतानंद जी महाराज भिक्षु जी के परम स्नेही शिष्य और धर्मरत पंडित रामकृष्ण शर्मा ने अल्फा न्यूज़ इंडिया को टेलिफोनिक मैसेज द्वारा जगदीश आहूजा जी के यकलखत देहावसान पर गहरा शोक व्यक्त किया है। और उनकी धर्मपत्नी के साथ दुख साझा करने की बात कही है। उन्होंने बताया कि जगदीश आहूजा जी ने अटूट लंगर एक बार शुरू किया। तो सिर्फ कोविड-19 में 7 दिन के लिए अटूट भणडारा रोका था। भणडारा आज तक जारी रखे हुए थे। और श्री गुरु मुनि महाराज जी की अनुकंपा से आगे भी यथावत जारी रहेगा। इसके लिए समाज के धनाढ्य और समर्थ लोगों को आगे आना चाहिए। और जगदीश आहूजा जी द्वारा भूखे पेटों के लिए भोजन मुहैया कराने की मुहिम को अनवरत चलाए रखना होगा। दूसरा, जगदीश अहूजा जी अपनी धर्म पत्नी के साथ हर बृहस्पतिवार को मुनि श्री श्री ब्रह्मलीन 108 गौरवानंद गिरि जी महाराज जी के पावन समाधि स्थल पर नियमित रूप से हाजिरी भरते रहे। जगदीश अहूजा जी समाज के लिए बतौर दानवीर एक महान उदाहरण है। उनका सेवा भाव और सेवा भर्ती होना अपने आप में एक अनूठा अनुकरणीय उदाहरण है।

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