आंवला नवमी को अतुलनीय धन प्राप्ति हेतु पुजा का शुभ मुहूर्त :–पंडित कृष्ण मेहता

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चंडीगढ़ 12 नवंबर आरके विक्रमा शर्मा अनिल शारदा प्रस्तुति:—आंवला नवमी कब है? आज हम यहां आपको शुभ मुहूर्त बतायेंगे। साथ ही क्यों इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने का खास महत्व है। अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे खाना बनाकर खाने का भी विशेष महत्व होता है। अगर आंवले के पेड़ के नीचे खाना बनाने में असुविधा हो तो घर में खाना बनाकर आंवले के पेड़ के नीचे जाकर पूजा करने के बाद भोजन करना-करवाना चाहिए।_*

*_कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी अक्षय या आंवला नवमी के नाम से जानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। और आंवले के पेड़ की पूजा भी की जाती है। इस दिन स्नान, दान, व्रत-पूजा का विधान रहता है। यह संतान प्रदान करने वाली और सुख समृद्धि को बढ़ाने वाली नवमी मानी जाती है।_*

*_भारतीय सनातन धर्म में पुत्र की प्राप्ति के लिए आंवला नवमी की पूजा को अत्यंत ही महत्वपूर्ण माना गया है। इस वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 12 नवम्बर 2021 दिन शुक्रवार को अक्षय नवमी है। कहा जाता है, कि यह पूजा व्यक्ति के समस्त पापों को दूर कर शुभ फलदायी मानी जाती है। इसीलिए कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को महिलाएं आंवले के पेड़ की विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर अपनी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करती हैं।_*

*_आंवले के पेड़ के नीचे खाना बनाने एवं खाने का महत्त्व_*

*_मित्रों, अक्षय नवमी के दिन आंवले के नीचे खाना बनाकर खाने का भी विशेष महत्व है। अगर आंवले के पेड़ के नीचे खाना बनाने में असुविधा हो तो घर में खाना बनाकर आंवले के पेड़ के नीचे जाकर पूजा करने के बाद भोजन करना चाहिए। भोजन में खीर, पूड़ी और मिठाई बनानी चाहिए। अनेकों प्रकार के मिष्टान्न तैयार करके सर्वप्रथम आंवले के वृक्ष में भगवान का आवाहन करना एवं विधि-विधान पूर्वक पूजन करके समस्त पकवानों का भोग लगाना चाहिए। उसके उपरांत ब्राह्मणों को श्रद्धा से भोजन करवाना चाहिए। भोजन के उपरान्त दक्षिणा देना चाहिए। कहा गया है, कि आज गुप्त दान भी करना चाहिए। क्योंकि आज का दान अक्षय माना जाता है।_*

*_अक्षय नवमी को आंवला नवमी भी कहा जाता है। इसलिए आज पानी में आंवले का रस मिलाकर स्नान करने की परंपरा भी है। ऐसा करने से हमारे आसपास से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और सकारात्मक ऊर्जा और पवित्रता बढ़ती है। साथ ही यह त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। इसके बाद पेड़ की जड़ों को दूध से सींचकर उसके तने पर कच्चे सूत का धागा लपेटना चाहिए। फिर रोली, चावल, धूप दीप से पेड़ की पूजा करें। आंवले के पेड़ की 108 परिक्रमाएं करने के बाद कपूर या घी के दीपक से आंवले के पेड़ की आरती करें।_*

*_इसके बाद आंवले के पेड़ के नीचे ब्राह्मण भोजन भी कराना चाहिए। आखिर में खुद भी आंवले के पेड़ के पास बैठकर भोजन करने कि परम्परा है। अक्षय नवमी को धात्रीनवमी और कूष्माण्ड नवमी भी कहा जाता है। घर में आंवले का पेड़ न हो तो किसी बगीचे में आंवले के पेड़ के पास जाकर पूजा दान आदि करने की परंपरा है। या फिर गमले में आंवले का पौधा लगाकर घर में भी यह काम पूरा कर लेना चाहिए।_*

 *_अक्षय अथवा आंवला नवमी के पूजन का शुभ मुहूर्त_*

*_अक्षय नवमी पूजन के पूर्वान्ह का समय- सुबह 06:31 AM से 8:29 AM तक। इसके बाद दोपहर में विजय मुहूर्त में कर सकते हैं। शाम को यह पूजन प्रदोष काल में भी करें तो अत्यंत शुभ फलदायी होता है। क्योंकि नवमी तिथि का आरंभ- 12 नवंबर की सुबह 05:51 AM पर एवं नवमी तिथि की समाप्ति- 13 नवंबर की सुबह 05:31 AM को हो रही है।_*

*_अक्षय नवमी पर इन उपायों को करने से दूर होंगी परेशानियां_*

*_मित्रों, अक्षय नवमी के दिन दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर भगवान विष्णु का अभिषेक करें। इस उपाय को करने से देवी लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होकर घर में सदा के लिए वास करती है। अक्षय नवमी के दिन अपने स्नान करने के जल में आंवला के रस की कुछ बूंदे डालें। ऐसा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा तो जाएगी ही साथ ही माता लक्ष्मी भी घर में विराजमान होंगी।_*

*_अक्षय नवमी के दिन शाम के समय घर के ईशान कोण में घी का दीपक प्रज्जवलित करें। बत्ती में रुई की जगह पर लाल रंग के धागे का इस्तेमाल करें। साथ ही हो सके तो दीपक में केसर भी डाल दें। इससे देवी जल्द प्रसन्न होकर कृपा करेंगी। दिन में पूजन के बाद शाम को 5 कुंवारी कन्याओं को घर बुलाकर खीर खिलाएं। सभी कन्याओं को पीला कपड़ा और दक्षिणा देकर विदा करें। इससे माता लक्ष्मी जी बहुत प्रशन्न होती हैं। इसके अलावा शुद्ध स्फटिक श्री यंत्र का गाय के दूध से अभिषेक करें। अभिषेक का जल की छींटे पूरे घर में करें। श्रीयंत्र को कमलगट्टे के साथ तिजोरी में पर रख दें। ऐसा करने से अतुलनीय धन का लाभ होता है।_*

*_इस उपाय से दूर होगा कुंडली से शनि दोष_*

*_मित्रों, अगर आपकी कुंडली में शनि का दोष है तो अक्षय नवमी के दिन से आरंभ कर 41 दिन लगातार लाल मसूर की दाल की कच्ची रोटी बनाकर मछलियों को खिलाएं। इससे मंगल ग्रह मजबूत होता है। साथ ही कर्ज या भूमि जायदाद से जुड़ी समस्या में कमी आती है। इससे माता महालक्ष्मी की कृपा भी बरसती है। वहीं मंगल ग्रह शांति के लिए ब्राह्मणों और गरीबों को गुड़ मिश्रित दूध या चावल खिलाएं। नवमी तिथि की स्वामिनी देवी माता दुर्गा जी हैं। ऐसे में जातक को माता दुर्गा की उपासना भी इस दिन अवश्य करनी चाहिए।_*

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