रचयिता कौन है पता नहीं, पर रचना है बड़ी सुंदर…

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चंडीगढ़ : 16 अक्टूबर:-आरके विक्रमा शर्मा करण शर्मा प्रस्तुति:– रचयिता कौन है पता नहीं, पर रचना है बड़ी सुंदर…*

*सेक्युलर लोगों के लिए एक संदेश है :-*

*”मन्दिर लगता आडंबर ,*

*और मदिरालय में खोए हैं ,”*

*”भूल गए कश्मीरी पंडित ,*

*और अफजल पे रोए हैं……..”*

*”इन्हें गोधरा नहीं दिखा ,*

*गुजरात दिखाई देता है ,”*

*”एक पक्ष के लोगों का ,*

*जज्बात दिखाई देता है……..”*

*”हिन्दू को गाली देने का ,*

*मौसम बना रहे हैं ये ,”*

*”धर्म सनातन पर हँसने को ,*

*फैशन बना रहे हैं ये…….”*

*”टीपू को सुल्तान मानकर ,*

*खुद को बेच कर फूल गए ,”*

*”और प्रताप की खुद्दारी की ,*

*घास की रोटी भूल गए…….”*

*”आतंकी की फाँसी इनको ,*

*अक्सर बहुत रुलाती है ,”*

*”गाय माँस के बिन भोजन की ,*

*थाली नहीं सुहाती है…….”*

*”होली आई तो पानी की ,*

*बर्बादी पर ये रोते हैं ,”*

*”रेन डाँस के नाम पर ,*

*बहते पानी से मुँह धोते हैं……..”*

*”दीवाली की जगमग से ही ,*

*इनकी आँखें डरती हैं ,”*

*”थर्टी फर्स्ट की आतिशबाजी ,*

*इनको क्यों नहीं अखरती है…….”*

*”देश विरोधी नारों को ,*

*ये आजादी बतलाते हैं ,”*

*”राष्ट्रप्रेम के नायक संघी ,*

*इनको नहीं सुहाते हैं……..”*

*”सात जन्म के पावन बंधन ,*

*इनको बहुत अखरते हैं ,”*

*”लिव इन वाले बदन के ,*

*आकर्षण में आहें भरते हैं…..”*

*”आज समय की धारा कहती ,*

*मर्यादा का भान रखो ,”*

*”मूल्यों वाला जीवन जी कर ,*

*दिल में हिन्दुस्तान रखो……..”*

*”भूल गया जो संस्कार ,*

*वो जीवन खरा नहीं रहता ,”*

*”जड़ से अगर जुदा हो जाए ,*

*तो पत्ता हरा नहीं रहता……..”*

*”भारत माता की जय”**”वन्दे मातरम”*llll

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